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    वाहनों के फर्जी निबंधन से बैंकों को लगाई करोड़ों की चपत, BR-01 पीजी सीरीज की गाड़ियों की हो रही जांच

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 26 Sep 2020 08:16 AM (IST)

    जिला परिवहन कार्यालय में वाहनों के निबंधन का फर्जी खेल खेला जा रहा था। पटना में चोरी की गाड़ी या बैंकों व फाइनेंसरों से खरीदी गाड़ियों का दूसरे नामों से फर्जी निबंधन कर करोड़ों की कमाई कर ली गई।

    लॉकडाउन के दौरान जिला परिवहन कार्यालय में वाहनों के निबंधन का फर्जी खेल खेला जा रहा था।

    पटना, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के कारण लागू हुए लॉकडाउन में जब अधिकांश लोग अपने घरों में दुबके थे तो वहीं, जिला परिवहन कार्यालय में वाहनों के निबंधन का फर्जी खेल खेला जा रहा था। तीन माह के लॉकडाउन में लिपिक अमित कुमार गौतम ने ही नहीं, बल्कि आला अधिकारियों तक ने चोरी की गाड़ी या बैंकों व फाइनेंसरों से खरीदी गाड़ियों का दूसरे नामों से फर्जी निबंधन कर करोड़ों की कमाई कर ली। लॉकडाउन के दौरान दो हजार से अधिक वाहनों का पुरानी सीरीज के नंबरों से फर्जी निबंधन हुआ है।

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    कई नए राजफाश होने लगे

    अब जबकि मामले की जांच शुरू हो गई है, तब कई नए राजफाश होने लगे हैं। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो पिछले परिवहन अधिकारी की गलती से बीआर-01पीजी व बीआर-01डीएन सीरीज में 2000-3000 नंबर खाली छोड़ दिए गए थे। इसके साथ अन्य चार से पांच सीरीज में भी बड़ी संख्या में नंबर खाली रह गए थे। लिपिक अमित कुमार को इसकी पूरी जानकारी थी। परिवहन अधिकारी को अपने विश्वास में लेकर उसने कंप्यूटर का कोड ही नहीं लिया, बल्कि फर्जी निबंधित वाहनों की आरसी व कागजात पर परिवहन अधिकारी के साथ अन्य सदस्यों से हस्ताक्षर भी करा लेता था।

    अधिकांश वाहनों को बैंक या फाइनेंसर से लोन पर खरीदा गया

    ओटीपी नंबर लेने के बाद ही नई आरसी जारी की जाती थी। अब जब इसकी जांच शुरू हो गई, तो यह सामने आने लगा कि इनमें से अधिकांश वाहनों को बैंक या फाइनेंसर से लोन पर खरीदा गया था। खरीदार फर्जी या अन्य नाम से वाहन खरीद लेते हैं और दो-तीन माह बाद इसे चोरी घोषित कर किसी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा देते हैं। बाद में इन्हीं पुराने नंबरों से उसी गाड़ी का निबंधन करा लेते हैं। खरीदार अधिकतर लक्जरी व महंगी गाडिय़ों का ही फर्जी निबंधन कराए हैं। बीआर-01 पीजी सीरीज की ऐसी 78 गाडिय़ों का नंबर पता चला है, जिसे बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन पर खरीदकर इसे 2014, 2016 व 2018 मॉडल के नाम से निबंधित करा लिया गया। जिला परिवहन कार्यालय द्वारा निबंधित लगभग 7000 गाडिय़ों को संदिग्ध माना जा रहा है।

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