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    पटना में जल्द खराब होने वाली खाद्य सामग्री की जांच तेज, आइसक्रीम फैक्ट्री व डेयरी को सुधार नोटिस

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 04:52 PM (IST)

    पटना में एक बार फिर से खाद्य संरक्षा आयुक्त मनोज कुमार सिंह के निर्देश पर बड़े होटलों के बाद अब फूड प्वायजनिंग दस्त डायरिया व टाइफाइड रोगों का कारण बनने वाले की जांच की जाएगी। दोनों जगह हाइजीन-सैनिटाइजेशन की कमी पाई गई। इसके बाद अधिकारियों ने दोनों को सुधार नोटिस जारी किया है।

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    पटना में जांच करते खाद्य विभाग के अधिकारी

    जागरण संवाददाता, पटना । नए खाद्य संरक्षा आयुक्त मनोज कुमार सिंह के निर्देश पर बड़े होटलों के बाद अब फूड प्वायजनिंग, दस्त, डायरिया व  टाइफाइड जैसे रोगों का कारण बनने वाले हाई रिस्क फूड आइटम की जांच की जाएगी।

    इस अभियान की जिम्मेदारी भी पूर्व में बड़े होटलों की जांच करने वाले चार खाद्य संरक्षा पदाधिकारियों की टीम को सौंपी गयी है। इस टीम ने सोमवार को राष्ट्रीय ब्रांड की एक डेयरी व स्थानीय आइसक्रीम फैक्ट्री का निरीक्षण किया। दोनों जगह हाइजीन-सैनिटाइजेशन की कमी पाई गई।

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    इसके बाद अधिकारियों ने दोनों को सुधार नोटिस जारी किया है। डेयरी से दही व लस्सी तो आइसक्रीम फैक्ट्री से मिलाए जाने वाले रंग का नमूना लेकर जांच के लिए खाद्य प्रयोगशाला भेजा गया है। टीम में पटना के खाद्य संरक्षा  पदाधिकारी अजय कुमार, गया के मुकेश कश्यप, तिरहुत के तपेश्वरी सिंह व मुजफ्फरपुर के सुदामा चौधरी शामिल थे। 

    गर्मी-बरसात को देखते हुए कार्रवाई 

    गर्मी व वर्षा के मौसम में दूध, पनीर, खोया, मिठाइयों, तले खाद्य पदार्थ, बासी मांस-मछली, पैकेज्ड जूस-पानी व बर्फ के गोले हाई रिस्क फूड कैटेगरी में आते हैं। इनमें मिलावट या खराब गुणवत्ता से फूड प्वायजनिंग, दस्त, डायरिया व  टाइफाइड जैसे रोगों की आशंका बढ़ जाती है।

    अबतक खाद्य संरक्षा पदाधिकारी मिठाइयों, नमकीन, डेयरी उत्पाद, तेल, मसालों आदि की जांच तक सिमटे रहते थे। आमजन तक गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री ही पहुंचे इसलिए जागरूकता अभियान के साथ फूड हैंडलर्स को स्वच्छता एवं सही भंडारण का प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा है।

    आमजन से कहा गया है कि वे किसी भी प्रकार की संदिग्ध खाद्य सामग्री या मिलावट की सूचना फूड सेफ्टी हेल्पलाइन नंबर या स्थानीय कार्यालय को दें।

    हाई रिस्क फूड आइटम 

    - दूध व दुग्ध उत्पाद : दूध, पनीर, दही, खोआ, रसगुल्ला, छेना, पेड़ा जैसी मिठाइयां आदि। 

    - मांस-मछली-कच्चा या पका चिकेन-मटन, मछली, अंडा आदि। 

    - पके खाद्य पदार्थ- चावल, दाल, करी, सब्ज़ियां, बिरयानी आदि।

    - तला-खुले में बिकने वाला सामान जैसे समोसे, कचौड़ी, पूड़ी, चाउमिन आदि। 

    - कटे फल-सलाद : खुले में बिकने वाले या बिना ठंडे वातावरण में रखे हुए। 

    - क्रीम या मेयोनीज आधारित फास्ट फूड जैसे बर्गर, सैंडविच, पेस्ट्री, केक आदि।

    - बर्फ गोला, ठंडा पानी, फ्लेवर्ड आइस (खासकर बिना फिल्टर्ड पानी से बने) हुए। 

    - पैकेज्ड जूस-बिवरेज यदि एक्सपायरी डेट पार या उचित तापमान में नहीं रखी गई हो तो। 

    रखरखाव के मानक

    - स्वच्छता-खाना पकाने या परोसने से पहले हाथ-बर्तन अच्छी तरह साफ करें।

    रसोईघर साफ-सुथरा व कीट-मुक्त हो।

    - सही तापमान पर संग्रहण- 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे दूध, दही, कटे फल, मिठाई, मांस रखने चाहिए। 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर गर्म परोसे जाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे करी, पुलाव रखे जाने चाहिए। बर्फ व ठंडे खाद्य पदार्थ के लिए डीप फ्रीज़र या रेफ्रिजरेटर ज़रूरी है। 

    - क्रास-कंटामिनेशन से बचाव को कच्चे व पके खाद्य पदार्थों के लिए अलग चाकू, कटिंग बोर्ड व बर्तन का प्रयोग करना चाहिए। 

    -हाथ धोना अनिवार्य, खासकर मांस, अंडा छूने के बाद।

    - खुले में रखने से बचें - खाद्य पदार्थों में धूल, मक्खियां, प्रदूषण से संक्रमण का खतरा। मिठाइयां, समोसे, सलाद को ढंक कर रखें।

    - ताजगी व एक्सपायरी- पैकेज्ड फूड में उत्पादन तिथि व एक्सपायरी डेट अनिवार्य रूप से देखें। बचा हुआ खाना 2 घंटे के भीतर फ्रिज में रखें एवं  24 घंटे में इस्तेमाल कर लें। 

    -तापमान मापक यंत्र, बाल नेट, दस्ताने, एप्रन आदि का उपयोग जरूर करें।

    खाद्य वस्तुओं को सीधे जमीन पर न रखें।