Move to Jagran APP

बिहार के बालिका गृहों में शोषण की इंतिहा: यहां निर्वस्त्र कर मिलती सजा, रॉड से पिटाई व दुष्‍कर्म

बिहार में मुजफ्फरपुर जैसे अनेक बालिका अाश्रय गृह हैं, जहां लड़कियां नरक का जीवन काट रहीं हैं। इसकी पड़ताल के तहत जानिए शासन की नाक के नीचे पटना के एक आश्रय गृह का हाल।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 08:43 AM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 11:51 PM (IST)
बिहार के बालिका गृहों में शोषण की इंतिहा: यहां निर्वस्त्र कर मिलती सजा, रॉड से पिटाई व दुष्‍कर्म
बिहार के बालिका गृहों में शोषण की इंतिहा: यहां निर्वस्त्र कर मिलती सजा, रॉड से पिटाई व दुष्‍कर्म

पटना [जेएनएन]। सजा ऐसी कि सुनकर रूह कांप जाए। मैडम खाना खराब मिलता है - बस, इतना कहते ही लड़कियों को कमरे में ले जाकर पहले रॉड से पीटा जाता था, फिर निर्वस्त्र कर पूरे दिन आश्रय गृह के अंदर घूमने की सजा सुनाई जाती थी। लोकलाज से लड़की कोने में छिपकर रोती थी, लेकिन 'मैडम' के डर से कोई दूसरी लड़की उसे कपड़े देने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।

loksabha election banner

सूत्रों के अनुसार पाटलिपुत्र कॉलोनी स्थित इकार्ड के आश्रय गृह में एक लड़की के साथ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया गया था। 22 मई को भी एक लड़की को गलती पर मैडम ने निर्वस्त्र कर आश्रय गृह में घुमाया था। वह एक कोने में सिसक रही थी, लेकिन कोई उसे कपड़े नहीं दे रहा था। एक लड़की ने साहस दिखा उसे कपड़े दिए। लेकिन, जब मैडम को पता चला तो उसे रॉड से पीटा और 10 दिनों तक शौचालय के मग से नहाने की सजा दी गई। विरोध किया तो और पीटा गया। कई और लड़कियों को ऐसी सजा दी गई।

सूत्र बताते हैं कि एक लड़की को अनुसंधानकर्ता कोतवाली लेकर गए। वहां उसने फरियाद लगाई कि साहब, इस नरक से अच्छा जेल भेज दीजिए। तो पुलिस का जवाब था, गलती की है, तब न यहां तक आई हो। अब तुम्हारे माई-बाप यही हैं।

महिला दलाल भी थीं

सूत्रों की मानें तो इकार्ड संस्था के लिए दो-तीन महिला दलाल काम करती थीं, जो सरकारी कार्यालयों और थानों में पकड़कर लाई गईं लड़कियों को फंसाकर आश्रय गृह में लाती थीं। ऐसी लड़कियों को शिकार बनाती थीं, जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो, वे पढ़ी-लिखी न हों।

कोई लड़की अगर किसी लड़के के साथ भागी हो। परिजनों ने थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया और वह लड़की संबंधित थाने की पुलिस को मिल गई। तब दलाली का खेल शुरू होता था। महिला दलाल खुद को अधिवक्ता बताकर थाना पुलिस से संपर्क करती थीं। यदि दोनों पक्ष आपस में सुलह कर लें तो भी समझौता नहीं होने देती थीं और लड़की पक्ष को डरा-धमकाकर जबरन लड़के पर केस कराती थीं। फिर, पुलिस की मंजूरी से लड़की को आश्रय गृह ले जाती थीं।

जबरन केस का दबाव

सूत्रों ने बताया कि महिला प्रभारी पीडि़ताओं के आने पर कांड के बारे में पूछताछ करतीं और न बोलने पर मारा जाता। इसके बाद वो केस के आइओ को कॉल कर सारी बातें पूछ लेतीं और कहतीं कि वे नहीं बताएंगी तो क्या पता नहीं चलेगा। एक लड़की को पांच दिन बाद मां से दस हजार रुपये लेकर मुक्त किया गया। एक लड़की की मां ने रुपये नहीं दिए तो उसे काफी दिनों तक रखा गया।

मैडम का नाम सुनकर सिहर जाती थीं

समाज में बदनाम करने का भय दिखा कर एक लड़की को ढाई महीने तक आश्रय गृह में रखा गया। सबसे ज्यादा डर लड़कियों को अफसर मैडम से लगता था, जो थाने में मिली थीं। वह कार से आती थीं। लंबी कद-काठी और सांवली रंग की मैडम हर बात में गंदी-गंदी गाली देती थी। जब पता चलता कि आज रात वह यहीं रुकने वाली हैं तो लड़कियां सिहर जाती थीं। उनके साथ एक सर भी रहते थे। दोनों कहते कि यहां खूब पैसा मिलेगा मगर जो कहेंगे करना होगा। अगर तेज बनोगी तो यहां से सीधे जेल जाओगी। एक लड़की से कहा गया कि घर जाना चाहती है तो 25 हजार मंगवाए। उसने फोन कर एक रिश्तेदार को बुलाया और रुपये देकर मुक्त हुई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.