अपराधियों ने दिनदहाड़े कुख्यात अजय वर्मा को मारी गोली
अपराधी से नेता बने अजय वर्मा को अपराधियों ने बुधवार को गोली मार दी। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल में इलाज चल रहा है।
पटना [जेएनएन]। हत्या, रंगदारी, लूट जैसे कई संगीन कांड के आरोपित रहे कुख्यात अजय वर्मा को चलती कार में अपराधियों ने गोली मार दी। घटना बुधवार की दोपहर सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के गुलबी घाट मोहल्ले में उसके घर से करीब सौ मीटर की दूरी पर हुई।
गोली लगते ही चालक ने रफ्तार तेज कर दी और आनन-फानन में उसे पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने समय रहते उपचार करके उसकी जान बचा ली। फिलहाल उसे बेहतर इलाज के लिए आलमगंज थाना क्षेत्र के बिस्कोमान कॉलोनी स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। पुलिस प्रथमदृष्टया घटना को आपसी रंजिश से जोड़कर देख रही है।
सिविल कोर्ट जाने के लिए निकला था घर से
दोपहर लगभग सवा बारह बजे अजय वर्मा सिविल कोर्ट जाने के लिए काले रंग की सफारी कार से चालक पंकज और करीबी राकेश सिन्हा के साथ घर से निकला था। करीब सौ मीटर आगे मोड़ पर गाड़ी जैसे ही धीमी हुई, पहले से मौजूद आधा दर्जन बदमाशों में से एक युवक ने गोली चला दी, जो अजय वर्मा के गर्दन में लगी,
हालांकि चालक ने आपा नहीं खोया। वह बैक गियर लगाकर कुछ दूर तक गाड़ी पीछे ले गया और जगह मिलते ही उसने गाड़ी वापस घुमाई, फिर तेज रफ्तार में पीएमसीएच पहुंचा। पंकज की मानें तो बदमाशों ने दो-तीन बाइक से कार का पीछा किया, लेकिन कार की गति तेज होने के कारण वे पकड़ नहीं पाए और सुमति पथ में घुसकर फरार हो गए। इस दौरान अजय की कार पोल से टकराकर क्षतिग्रस्त भी हुई।
बोला अजय, बढ़ती लोकप्रियता घटना का कारण
अजय ने होश में आने पर कहा कि वह वर्तमान में चित्रगुप्त समाज का महासचिव है। समाजसेवी के रूप में उसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। ईर्ष्या के कारण किसी प्रतिद्वंद्वी ने उसे मौत के घाट उतारने के लिए साजिश रची। अजय की भाभी सीमा वर्मा पटना नगर निगम के वार्ड संख्या 49 की पार्षद हैं। उसने विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाई थी। इधर, घटना की जानकारी मिलने पर सिटी एसपी (पूर्वी) विशाल शर्मा, एएसपी हरिमोहन शुक्ला दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। अस्पताल के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पहले भी हुआ था हमला
करीब दो दशक पूर्व इनकम टैक्स गोलंबर के पास अजय वर्मा पर उसके विरोधियों ने हमला बोला था। उस वक्त वह बेउर जेल में बंद था और उसे कैदी वाहन से पेशी के लिए पटना सिविल कोर्ट ले जाया जा रहा था। लगभग चार साल पहले अजय जेल से रिहा हुआ था। इसके बाद उसने अलग-अलग सामाजिक कार्यों को लेकर इलाके में पोस्टर-बैनर लगवा रखे थे।
चुनावी रंजिश तो नहीं घटना का कारण
घटना के तार नगर निगम चुनाव से भी जोड़कर देखे जा रहे हैं। पुलिस उसके प्रतिद्वंद्वियों से पूछताछ कर सकती है। वहीं उसके विरोधी शंकर वर्मा गिरोह पर भी पुलिस का शक है। बहरहाल, पुलिस अब तक किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।
'तीन दशकों से अजय वर्मा का लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास रहा है। आपसी रंजिश में हमला किए जाने की आशंका है। अजय से पूछताछ के बाद हमलावरों के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है।'
- मनु महाराज, एसएसपी
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