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    भारत का पहला राष्ट्रीय गैंडा प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र बनकर तैयार, इस मामले में पटना जू अव्वल Patna News

    भारत का पहला राष्ट्रीय गैंडा प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र बनकर तैयार हो गया है। इसका साथ ही गैडों की संख्या के मामले में पटना जू आगे निकल गया है।

    By Akshay PandeyEdited By: Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:55 AM (IST)
    भारत का पहला राष्ट्रीय गैंडा प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र बनकर तैयार, इस मामले में पटना जू अव्वल Patna News

    पटना, जेएनएन। भारत का पहला राष्ट्रीय गैंडा प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र बनकर तैयार हो गया है। केंद्र सरकार के सहयोग से इसका निर्माण करीब चार करोड़ 11 लाख रुपये की लागत से कराया गया है। फिलहाल, इसका उद्घाटन टल गया है। इस कारण विश्व गैंडा दिवस (22 सितंबर) के अवसर पर इसमें गैंडा नहीं छोड़ा जाएगा। प्रजनन केंद्र को कीटाणुमुक्त बनाने के बाद इसमें गैंडा को छोड़ा जाएगा।

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    उपमुख्यमंत्री सह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री सुशील कुमार मोदी 22 सितंबर को पटना से बाहर रहेंगे। इस कारण स्थानीय चिड़ियाघर में विश्व गैंडा दिवस 23 सितंबर को मनाया जाएगा। उस दिन उपमुख्यमंत्री के समक्ष तमिलनाडु के अरिगनर अन्ना जूलॉजिकल पार्क बेंडालूर, चेन्नई से एक जोड़ा बाघ सहित 22 वन्य प्राणियों को दर्शकों के दर्शनार्थ केज में छोड़ा जाएगा।

    दर्शक तमिलनाडु से आए एक जोड़ा युवा बाघ, एक जोड़ा लायन टेल्ड मकाक, एक जोड़ा ग्रे-वुल्फ (भेड़िया), एक जोड़ा ऑस्ट्रिच (शुतुरमुर्ग), एक जोड़ा रेटिकुलेटेड पाइथन, एक जोड़ा सफेद मोर व 10 पेंटेड स्टॉर्क (पक्षी) को देख सकेंगे। एक गैंडे के बदले यहां 22 वन्य प्राणियों को लाया गया है।

    एशिया महादेश में सबसे ज्यादा पटना में हैं गैंडा

    गैंडा तेज गति से विलुप्त होता जा रहा है। विश्व में अमेरिका के सेंट डियागो जू के बाद गैंडे के मामले में स्थानीय चिड़ियाघर का दूसरा स्थान है। जबकि एशिया महादेश में यह पहले स्थान पर है। फिलहाल, यहां 11 गैंडे मौजूद हैं। भारत के अधिकांश चिड़ियाघरों में गैंडे की मांग बढ़ गई है। इसी क्रम में एक गैंडा तमिलनाडु भेजा गया।

    2008 में डाली गई थी गैंडा प्रजनन केंद्र की नींव

    पटना में राष्ट्रीय गैंडा प्रजनन केंद्र बनाने की नींव 21 से 24 फरवरी 2008 को दिल्ली में हुई 'इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इंडिया कंजरवेशन ब्रीडिंग इनिशिएटिव' में पड़ी थी।

    20 मई 1979 को असम से लाया गया था गैंडा

    असम से 20 मई 1979 को एक जोड़ा भारतीय गैंडा स्थानीय चिड़ियाघर में लाया गया था। उसका कांछा व कांछी नाम रखा गया था। 28 मार्च 1982 को बेतिया से एक गैंडा यहां लाया गया। जुलाई 1988 में एक मादा गैंडे का जन्म हुआ। आठ जुलाई 1991 को कांछी ने एक और मादा गैंडे का जन्म दिया। 1991 में गैंडे की संख्या पांच हो गई थी। 1993 में कांछा पिता बना और कांछी ने तीसरे बच्चे के रूप में एक नर गैंडे का जन्म दिया। 1988 में जन्मी हड़ताली ने 1997 में नर गैंडे को जन्म दिया।

    2012 तक हड़ताली ने कुल आठ बच्चों का जन्म दिया। अब तक यहां से अमेरिका के सेंट डियागो जू, दिल्ली जू, कानपुर जू, रांची जू, हैदराबाद जू और वेंडालूर जू को गैंडा दिया जा चुका है। फिर भी अभी यहां 11 गैंडा हैं।

    होते हैं शाकाहारी, फिर भी मांसाहारी पर भारी

    आहार की दृष्टि से गैंडा शाकाहारी होते हैं। ये मांसाहार नहीं करते हैं। इसके बावजूद ये मांसाहारी जानवरों की तुलना में उन पर भारी बैठते हैं। ये अपने बचाव का तरीका जानते हैं। गैंडे मूलरूप से भारत, नेपाल व हिमालय के तराई क्षेत्रों में पाए जाते हैं।