भारत सरकार ने की पहल तो रोमानिया ने खोल दिया रास्ता, पटना पहुंचे छात्र-छात्राओं ने बयां किए हालात
Russia Ukraine War News यूक्रेन में किस कदर बुरे हो चुके हैं हालात बिहार लौटे छात्रों ने बताई हर बात अंतिम 96 घंटे दहशत में रहे छात्र खाना-पानी की होन ...और पढ़ें

पटना, जागरण संवाददाता। यूक्रेन से भारतीय विद्यार्थियों के बाहर निकलने का सिलसिला जारी है। छात्रों को उनके कालेज व विश्वविद्यालय प्रबंधन लौटने नहीं दे रहे हैं। इसके बावजूद वहां से छात्र रोमानिया की सीमा पर पहुंचकर वतन लौट रहे हैं। सीमा पर 16 घंटे तक इन छात्रों को रोमानिया में प्रवेश करने का इंतजार करना पड़ रहा है। यूक्रेन की महिलाएं व बच्चे भी बड़ी संख्या रोमानिया के रास्ते देश से बाहर निकलने में लगे हैं। भारत सरकार की पहल पर रोमानिया में प्रवेश करने वाले छात्रों के लिए वीजा की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। इसके कारण बोर्डर पर भीड़ है। कई ऐसे छात्र बोर्डर पर दो दिनों से भूखे-प्यासे फंसे हुए हैं। खाने व पीने की दिक्कत है। पटना पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं ने कई ऐसी चीजें जागरण को बताईं।
भारतीय दूतावास को सराहा
पटना एयरपोर्ट पर पहुंची नालंदा की दिव्या भारती ने कहा कि हमसब राज्य व केंद्र सरकार की मदद से सकुशल आ गए। यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास से भी काफी मदद मिल रही है। यूक्रेन के हालात खराब होने लगे हैं। वहां खाने-पीने की स्थिति खराब होने लगी थी। बाजार बंद हो गए थे। आने की कोशिशें जारी थी लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। एयरपोर्ट ध्वस्त हो रहे थे। पहले से ली गई टिकटें रद किए जा रहे थे। वह घर वालों के संपर्क में थी। भारत सरकार और बिहार सरकार बधाई के पात्र हैं।
हर तरफ दहशत का माहौल नजर आ रहा
मधेपुरा के रहने वाले सतीश कुमार साहिल ने कहा कि यूक्रेन के हालात पल-पल बिगड़ रहे थे। वह बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा है। उसके कई दोस्त और सैकड़ों भारतीय फंसे हुए हैं। बोर्डर पर लंबी कतारें लगी हैं। हर तरफ दहशत के माहौल नजर आ रहा था। सरकार के सहयोग से यहां तक आ पाए। रोमानिया बोर्डर तक पहुंचने में डर तो लग रहा था लेकिन दिल्ली पहुंचे तो राहत मिली।
रोमानिया बोर्डर पर 15 घंटे तक लग रही लाइन
मुजफ्फरपुर की सना तश्कीन ने कहा कि घर पहुंचते ही दहशत से मुक्त हो गई हूं। अब राहत है। डर तो लग रहा था। कब क्या हो जाएगा इसकी चिंता हर समय थी। रोमानिया की सीमा तक पहुंचना लक्ष्य था। दूतावास से मिली मदद के जरिये बस से रोमानिया बोर्डर पहुंची। वहां अब 14-15 घंटे तक लंबी लाइन लग रही है। हम सब घर आ गए हैं तो राहत है। वहां बम धमाकों का शोर है। लोग डरे हुए हैं।
अचानक हालात बिगड़ने लगे
अरवल के रामपुर चौरम निवासी अमित ने बताया कि यूक्रेन में रहकर वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। तनाव तो कई दिनों से था, लेकिन अचानक हालात ऐसे हो जाएंगे यह पता नहीं था। सरकार की ओर से देर से ही सही पर मदद मिली। कई बिहारी छात्र अब भी यूक्रेन में फंसे हैं।
जंग छिड़ने के बाद कीव और खारकीव की स्थिति खराब
छपरा के रहने वाले अनमोल प्रकाश ने कहा कि वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। जंग छिडऩे के बाद कीव और खारकीव की स्थिति काफी खराब हो गई है। खाने-पीने की समस्या है। दहशत से बाजार बंद हो रहे हैं। यूक्रेन की आबोहवा में गोला बारूद का गंध है। डर से लोग जगह-जगह दुबके हुए हैं। बोर्डर पर लंबी लाइन है। घर पहुंचने के बाद अब सुकून मिला है।
अचानक युद्ध शुरू होने के बाद रद हो गई फ्लाइट
मोतीहारी निवासी आशीष गिरी ने कहा कि उन्होंने पहले से ही घर आने के लिए पांच मार्च की फ्लाइट का टिकट ले रखा था। अचानक युद्ध शुरू होने के बाद फ्लाइट रद हो गई। दो दिन पहले से हालात बिगडऩे लगे। वह बस से रोमानिया सीमा पहुंचा जहां भारतीयों को नहीं रोका जा रहा था। कतार काफी लंबी हो गई थी। दो दिन पहले तक चार घंटे में सीमा पार हो रहा था अब 14 से 16 घंटे तक लाइन में लगना पड़ रहा है। घर पहुंचते ही राहत की सांस ली है।
यूक्रेन की स्थिति हो गई है काफी खराब
सीतामढ़ी की रहने वाली स्मृति पांडेय ने कहा कि यूक्रेन की स्थिति युद्ध के कारण काफी खराब हो गई है। वहां से भारतीय छात्रों का पलायन शुरू हो चुका है। केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से वह सुरक्षित घर तक पहुंच गई है।

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