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India Emergency 1975: नरेंद्र मोदी जिंदगी दांव पर लगाकर आपातकाल से लड़े थे, बोले बिहार भाजपा उपाध्यक्ष

India Emergency 1975 आपातकाल को आजाद भारत के राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय बताते हुए भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि सत्ता के लिए कांग्रेस किस हद तक नीचे गिर सकती है यह देश ने सन् 1975 में 25 जून को साक्षात देखा था।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 12:29 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 12:29 PM (IST)
India Emergency 1975: नरेंद्र मोदी जिंदगी दांव पर लगाकर आपातकाल से लड़े थे, बोले बिहार भाजपा उपाध्यक्ष
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। जागरण आर्काइव। -

राज्य ब्यूरो, पटना : आपातकाल को आजाद भारत के राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय बताते हुए भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि सत्ता के लिए कांग्रेस किस हद तक नीचे गिर सकती है, यह देश ने सन् 1975 में 25 जून को साक्षात देखा था।

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राजीव रंजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आपातकाल के दौरान भूमिका के बारे में कहा कि गुजरात में चली आपातकाल विरोधी मुहिम में अन्य नेताओं के साथ वे 25 वर्ष से भी कम उम्र में सक्रिय हो गए थे। देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए जिंदगी को जोखिम में डालकर नरेंद्र मोदी सरकारी निरंकुशता के विरोध के लिए गठित गुजरात लोक संघर्ष समिति का हिस्सा बन गए थे। यही नहीं, संगठन संभालने के उनके कौशल को देखते हुए उन्हेंं समिति का महासचिव बनाया गया था।

जेल में लोगों को दिया गया था ठूंस

उन्होंने कहा कि उस अलोकतांत्रिक दौर में मीसा और डीआइआर में एक लाख ग्यारह हजार लोगों को जेल में ठूंस दिया गया, क्योंकि यह सभी इंदिरा गांधी और आपातकाल का विरोध कर रहे थे। इस दौरान, उन्हें जेल में दिल को दहला देने वाली यातानाएं दी गईं. जयप्रकाश नारायण को ऐसी यातना दी गई कि उनकी किडनी कैद के दौरान खराब हो गई। देश के सभी बड़े विपक्षी नेता सलाखों के पीछे थे, इनके साथ छात्र आंदोलन के युवा नेता भी कैद कर लिये गए थे। कैद के दौरान युवा नेताओं को देश के बड़े नेताओं से राजनीति का पाठ सीखने का मौका मिला, इस तरह से जेलें पाठशाला भी बन गईं।

मोदी के विषय में जानना जरूरी

आपातकाल में प्रधानमन्त्री मोदी की भूमिका के बारे में बताते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आपातकाल के समय से ही कांग्रेसी निरंकुशता के प्रखर विरोधियों में शुमार रहे हैं। 45 साल पहले जब देश पर इमरजेंसी यानी आपातकाल थोपा गया, उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 वर्ष से भी कम उम्र के थे, लेकिन गुजरात में चली आपातकाल विरोधी मुहिम में अन्य नेताओं के साथ वह भी बढ़-चढ़कर सक्रिय हो गए थे। संगठन संभालने के उनके कौशल को देखते हुए उन्हें इस समिति का महासचिव बनाया गया। गैर कांग्रेसी चेहरों पर पुलिस की पैनी निगरानी को देखते हुए ये एक बेहद कठिन काम था लेकिन मोदी शुरू से विपरीत परिस्थितियों को हैंडल करना बखूबी जानते थे। आज के समय में लोगों को यह जानना जरूरी भी है और दिलचस्प भी कि जिस शख्सियत के नेतृत्व में आज विश्व में भारत का डंका बज रहा है, उसने आपातकाल के विरोध में कितनी सक्रिय भूमिका निभाई थी।


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