सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं तो पढ़ें यह खबर, आयकर विभाग ऐसे पकड़ेगा टैक्स चोरी
अब सोशल मीडिया पर चमक-दमक दिखाते हुए आयकर की चोरी संभव नहीं। आयकर विभाग आपके टैक्स का आकलन सोशल मीडिया पर आपकी गतिविधियों से भी करेगा। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।
By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 01:38 PM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 10:21 PM (IST)
पटना [जितेंद्र कुमार]। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। आयकर विभाग का नया सॉफ्टवेयर आपकी 90 फीसद आय-व्यय का डाटा तैयार कर लेगा। पहली अप्रैल से आयकर विभाग 'इंटर प्रोजेक्ट इनसाइट' सॉफ्टवेयर के माध्यम से वित्तीय मॉनीटरिंग के लिए आरंभ कर रहा है। यह टैक्स चोरी से संबंधित डाटा अन्वेषण कर उच्च जोखिम के टॉप 100 लेनदेन से अलर्ट करते रहेगा। यी सॉफ्टवेयर रिटर्न दाखिल करने के बाद आमदनी या खर्च का छुपाया गया डाटा पकड़ लेगा।
अब तक ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने की सुविधा तो थी, लेकिन दाखिल रिटर्न में दस्तावेजों की पड़ताल मैनुअल ही की जाती थी। नया सॉफ्टवेयर कम से कम समय में स्वचालित (ऑटोमेटिक) तरीके से डाटा अन्वेषण कर गड़बड़ी बता देगा। यह सॉफ्टवेयर 90 फीसद डाटा स्वत: तैयार कर लेगा।
कैसे करेगा सर्विलांस
आयकर विभाग का नया सॉफ्टवेयर आयकरदाताओं का पैन नंबर, मोबाइल नंबर, ई-मेल, आधार, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, शॉपिंग, विदेश यात्रा और फेसबुक सहित बैंक खाते का ऑटोमेटिक सर्विलांस करता रहेगा। आयकर रिटर्न दाखिल करते ही आपके डाटा सर्च में छिपाई गई आमदनी या खर्च का हिसाब कंप्यूटर स्क्रीन पर विभाग को मिलेगा। उच्च जोखिम के आमदनी और खर्च का पता लगते ही सॉफ्टवेयर अलर्ट करेगा।
नई तकनीक से आयकर विभाग टॉप 100 आयकरदाताओं की सूची तैयार करेगा। डाटा के आधार पर आयकर विभाग कार्रवाई कर सकेगा। आय के स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) और आय स्रोत से टैक्स वसूली (टीसीएस) का ब्यौरा सहित विदेशी खाते, एनआरआइ बैंक खाते, विदेश में भुगतान या आमदनी के हिसाब की नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से मॉनीटरिंग होगी।
ट्रैकिंग सिस्टम से बचना मुश्किल
आयकर विभाग के नए टैक्स ट्रैकिंग सिस्टम से बचना मुश्किल होगा। इसका मकसद है कि हर व्यक्ति अपने आय-व्यय का सही हिसाब रिटर्न में शामिल करे। विदेश यात्रा, महंगी गाड़ी, स्टार होटल और रेस्टोरेंट में होने वाले खर्च की जानकारी नए सॉफ्टवेयर से सीधे विभाग को मिल जाएगी। सोशल मीडिया पर लक्जरी जीवन से जुड़ी तस्वीरें पोस्ट करने वालों का डाटा भी सॉफ्टवेयर जुटाएगा। यदि आयकर रिटर्न में ऐसे खर्चे को नहीं दिखाया तो मामला टैक्स चोरी का माना जाएगा।
आयकर रिटर्न का त्वरित समीक्षा
ऑटोमेटिक सिस्टम से किसी भी आयकर रिटर्न की त्वरित समीक्षा होगी, क्योंकि 90 फीसद डाटा कंप्यूटर ही मिलान कर देगा। आयकर अधिकारी कम से कम समय में समीक्षा कर सकेंगे। गड़बड़ी पकड़े जाने पर कोई मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि साक्ष्य आधारित डाटा आयकर विभाग के पास सॉफ्टवेयर में सुलभ रहेगा।
अब तक ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने की सुविधा तो थी, लेकिन दाखिल रिटर्न में दस्तावेजों की पड़ताल मैनुअल ही की जाती थी। नया सॉफ्टवेयर कम से कम समय में स्वचालित (ऑटोमेटिक) तरीके से डाटा अन्वेषण कर गड़बड़ी बता देगा। यह सॉफ्टवेयर 90 फीसद डाटा स्वत: तैयार कर लेगा।
कैसे करेगा सर्विलांस
आयकर विभाग का नया सॉफ्टवेयर आयकरदाताओं का पैन नंबर, मोबाइल नंबर, ई-मेल, आधार, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, शॉपिंग, विदेश यात्रा और फेसबुक सहित बैंक खाते का ऑटोमेटिक सर्विलांस करता रहेगा। आयकर रिटर्न दाखिल करते ही आपके डाटा सर्च में छिपाई गई आमदनी या खर्च का हिसाब कंप्यूटर स्क्रीन पर विभाग को मिलेगा। उच्च जोखिम के आमदनी और खर्च का पता लगते ही सॉफ्टवेयर अलर्ट करेगा।
नई तकनीक से आयकर विभाग टॉप 100 आयकरदाताओं की सूची तैयार करेगा। डाटा के आधार पर आयकर विभाग कार्रवाई कर सकेगा। आय के स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) और आय स्रोत से टैक्स वसूली (टीसीएस) का ब्यौरा सहित विदेशी खाते, एनआरआइ बैंक खाते, विदेश में भुगतान या आमदनी के हिसाब की नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से मॉनीटरिंग होगी।
ट्रैकिंग सिस्टम से बचना मुश्किल
आयकर विभाग के नए टैक्स ट्रैकिंग सिस्टम से बचना मुश्किल होगा। इसका मकसद है कि हर व्यक्ति अपने आय-व्यय का सही हिसाब रिटर्न में शामिल करे। विदेश यात्रा, महंगी गाड़ी, स्टार होटल और रेस्टोरेंट में होने वाले खर्च की जानकारी नए सॉफ्टवेयर से सीधे विभाग को मिल जाएगी। सोशल मीडिया पर लक्जरी जीवन से जुड़ी तस्वीरें पोस्ट करने वालों का डाटा भी सॉफ्टवेयर जुटाएगा। यदि आयकर रिटर्न में ऐसे खर्चे को नहीं दिखाया तो मामला टैक्स चोरी का माना जाएगा।
आयकर रिटर्न का त्वरित समीक्षा
ऑटोमेटिक सिस्टम से किसी भी आयकर रिटर्न की त्वरित समीक्षा होगी, क्योंकि 90 फीसद डाटा कंप्यूटर ही मिलान कर देगा। आयकर अधिकारी कम से कम समय में समीक्षा कर सकेंगे। गड़बड़ी पकड़े जाने पर कोई मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि साक्ष्य आधारित डाटा आयकर विभाग के पास सॉफ्टवेयर में सुलभ रहेगा।
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