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    बिहारः 'बंटी-बबली' के प्यार में यूपी में कट रही रात, कहते हैं कि थकान मिट जाती है

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Wed, 24 Nov 2021 04:46 PM (IST)

    शराबियों की अब चल नहीं पा रही है तो नशे के आदि बिहार छोड़ यूपी में ही रात गुजार रहे हैं। यूपी में देशी शराब का बंटी-बबली ब्रांड है और रोज कमाने-खाने वाले कई लोग अपनी बुरी लत की खातिर सीमा पर कर तलब मिटा रहे हैं।

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    शराब की लत के चक्कर में कामगार जा रहे यूपी। सांकेतिक तस्वीर।

    संवाद सहयोगी, कृष्णाब्रह्म (बक्सर): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक्शन में आने के बाद शराबबंदी कानून का पालन कराने के लिए पुलिस दिन रात लगी हुई है। जैसे ही कोई सूचना शराब से संबंधित मिलती है, पुलिस उस स्थान के लिए कूच कर जाती है। सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है, ऐसे में शराबियों की अब चल नहीं पा रही है तो नशे के आदि बिहार छोड़ यूपी में ही रात गुजार रहे हैं। यूपी में देसी शराब का बंटी-बबली ब्रांड है और रोज कमाने-खाने वाले कई लोग अपनी बुरी लत की खातिर सीमा पर कर तलब मिटा रहे हैं। कहते हैं कि पीने से थकान मिट जाती है। 

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    शाम को जाने वाली 511 पैसेंजर ट्रेन में यह नजारा आम है। ये लोग ट्रेन से गहमर और दिलदारनगर चले जाते हैं। वहां पीने के बाद रिश्तेदारी में अथवा स्टेशन पर और रैन बसेरा में रात गुजारने के बाद सुबह की ट्रेन से यहां आ जाते हैं। टुड़ीगंज, डुमरांव, बरुना तथा बक्सर स्टेशन से सवार होने वाले ऐसे कामगारों की अच्छी संख्या होती है। यूपी जाने वाले एक कामगार रंका सिंह ने बताया कि दिनभर काम करने के बाद जो पैसा मिलता है, उसमें दो हिस्से पैसे घर में दे देते हैं, बाकी पैसों से अपना थकान मिटाने के लिए उत्तर प्रदेश चले जाते हैं। उनके जैसे कई साथी हैं जो सप्ताह में दो-तीन दिन उधर जाते हैं। सुबह दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन से आने वाली पैसेंजर ट्रेन से फिर वापस आकर काम में जुट जाते हैं। एक मजदूर ने बताया कि बिहार में शराबबंदी सफल बनाने के लिए कार्रवाई तेज कर दी गई है। सीमा पर भी चौकसी बरती जा रही है। ऐसे में रिस्क लेना ठीक नहीं। शराब के लिए उत्तर प्रदेश जाते हैं। पीने के बाद काफी समय यूपी में ही बीतता है। नशा उतरते ही फिर बिहार आ जाते हैं।