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    सुप्रीम कोर्ट का आदेश, चारा घोटाला में लालू पर चलेगा आपराधिक साजिश का केस

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Mon, 08 May 2017 11:51 PM (IST)

    राजद अध्यक्ष लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाला मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में अहम फैसला सुनाते हुए उन्हें बड़ा झटका देते हुए उनपर आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया है।

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    सुप्रीम कोर्ट का आदेश, चारा घोटाला में लालू पर चलेगा आपराधिक साजिश का केस

    पटना [जेएनएन]। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चारा घोटाला केस में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद को बड़ा झटका देते हुए उनपर आपराधिक साजिश करने का मुकदमा चलाने का फैसला सुनाया है। लालू के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई की याचिका पर आज कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नौ महीने के भीतर इसका ट्रायल पूरा करने का भी आदेश दिया है।

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    इस फैसले से राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सुप्रीमकोर्ट ने चारा घोटाले के एक मामले में उन पर आरोप रद किये जाने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया है। लालू प्रसाद पर झारखंड के देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपये गैरकानूनी तरीके से निकालने के मामले पर अब मुकदमा चलेगा।

    सीबीआइ ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा व पूर्व वरिष्ठ अधिकारी सजल चक्रवर्ती पर भी आरोप रद करने को चुनौती दी थी। सीबीआई ने रांची स्थित झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी।

    हाईकोर्ट ने 14 नवंबर 2014 को चारा घोटाले के एक मामले में लालू प्रसाद के खिलाफ कई धाराओं के आरोप रद कर दिए थे। हाईकोर्ट ने कहा था कि एफआइआर संख्या 20ए-1996 में इन्हीं धाराओं में उन पर मुकदमा चल चुका है इसलिए दोबारा उन्हीं धाराओं में मुकदमा नहीं चल सकता।

    यह कहते हुए हाईकोर्ट ने एफआईआर संख्या 64ए-1996 में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लंबित आइपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 477, 477ए और  भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(सी)(डी) और 13(2) के आरोप निरस्त कर दिये थे। हाईकोर्ट ने सिर्फ आइपीसी की धारा 201 व 511 सबूत नष्ट करने की कोशिश में ही मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी।

    हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 300 को आधार बनाते हुए यह आदेश दिया था। धारा 300 कहती है कि एक ही आरोप पर दो मामले नहीं चल सकते। सीबीआइ ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है।

    शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में 20 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, साथ ही मामले से संबंधित सभी पक्षों से एक हफ्ते के भीतर अपने सुझाव देने को कहा था।

    इसके साथ ही कोर्ट ने राजद सुप्रीमो की ओर से दाखिल याचिका पर भी सुनवाई की थी। बता दें कि चारा घोटाले में मिली जेल की सजा को लालू यादव ने चुनौती दी है। चारा घोटाला 1990 के बीच में बिहार के पशुपालन विभाग से जुड़ा हुआ मामला है, इस दौरान लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे।

    दूसरी ओर चारा घोटाला के एक मामले में झारखंड हाईकोर्ट के लालू प्रसाद के खिलाफ एफआईआर को खारिज करने को चुनौती देते हुए सीबीआई ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर की थी।

     सीबीआई ने अपनी हालिया अपील में हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें लालू प्रसाद यादव के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में केवल दो धाराओं के तहत सुनवाई को मंजूरी दी गई थी, जबकि अन्य आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि एक अपराध के लिए किसी व्यक्ति का दो बार ट्रायल नहीं हो सकता।

    गौरतलब है कि झारखंड हाईकोर्ट ने  उनके खिलाफ षड्यंत्र का चार्ज रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लालू के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 और धारा 511 के तहत मामला चलेगा, लेकिन षड्यंत्र का चार्ज रद्द कर दिया जाता है। 

    सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान लालू की तरफ से देश के जाने-माने वकील राम जेठमलानी ने कहा था कि सभी मामलों में आरोप एक जैसे हैं, इसीलिए मामले को लेकर दर्ज किए गए अलग-अलग केसों को सुनने की जरूरत नहीं है।

    इधर, सुप्रीम कोर्ट ने 20 अप्रैल को सुनवाई पूरी कर ली थी। चारा घोटाला में लालू यादव पर 6 अलग-अलग मामले लंबित हैं और इनमें से एक में उन्हें 5 साल की सजा भी हो चुकी है।