Bihar News: अब नहीं कटेगा पैर, इलिजारोव तकनीक से विकसित होंगी हड्डियां
पटना में बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन और असम इंडिया के मिड टर्म मीट में इलिजारोव तकनीक पर चर्चा हुई। इस तकनीक में हड्डियों को विकसित करने की प्रक्रिया शामिल है जिससे पैर काटने की नौबत कम हो जाती है। हड्डी रोग विशेषज्ञों ने युवा डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने पर जोर दिया ताकि वे भविष्य में अंगों को बचाने में सक्षम हो सकें। डॉक्टरों ने इसे भविष्य की सर्जरी बताया।

जागरण संवाददाता, पटना। पैर बड़ा हो या छोटा, जटिल विकृति हो, संक्रमण से पैर के कटने की आशंका हो, हड्डियों के बीच गैप हो तो इसके इलाज में इलिजारोव तकनीक काफी कारगर है। इस तकनीक में जटिल विकृति या घाव होने पर बोन ट्रांसपोर्ट यानी हड्डियों को उगाया जाता है।
अब दुर्घटना या संक्रमण की स्थिति में पैर काटने की बजाय इलिजारोव तकनीक से बोन ट्रांसपोर्ट के जरिए हड्डियों को दोबारा उगाया जा सकेगा। बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन और असम इंडिया के मिड टर्म मीट में देश भर से आए हड्डी रोग विशेषज्ञों ने विभिन्न जटिल मामलों पर प्रेजेंटेशन और कार्यशाला में इसकी बारीकियां सिखाईं। सभी ने इसे भविष्य की सर्जरी बताया।
शुक्रवार की सुबह आयोजन सचिव डॉ. शमशुल होदा ने विषय परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि मिड टर्म मीट का उद्देश्य युवा हड्डी रोग विशेषज्ञों को इलिजारोव पद्धति और घुटने की जटिल सर्जरी तकनीक का प्रशिक्षण देना है ताकि वे भविष्य में बिना अंग काटे अंगों को बचाने की दिशा में बेहतर काम कर सकें।
वैज्ञानिक सत्र की शुरुआत घुटने के पास चोट विषय पर चर्चा से हुई। अध्यक्ष डॉ वीके सिन्हा, डॉ एचएन दिवाकर, डॉ एनके सिंह और डॉ एसएन सर्राफ थे। ट्रॉमा सीक्वेल सत्र में डॉ भरत सिंह, डॉ उपेंद्र प्रसाद, डॉ अशोक कुमार सिन्हा और डॉ विनोद कुमार ठाकुर ने जटिल मामलों को प्रस्तुत किया। फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में डॉ प्रवीण साहू, डॉ मधुसूदन कुमार, डॉ सुभाष चंद्रा और डॉ राजीव आनंद अध्यक्ष थे।
डॉ मंगल परिहार, डॉ जयंत शर्मा और डॉ अमर सोनी समन्वयक थे। डॉ जयदीप मंडल ने सीपीटी के साथ क्रॉस यूनियन प्रोटोकॉल पर चर्चा की, जबकि डॉ मनीष कुमार ने एचटीवीओ के बाद एसीएल पुनर्निर्माण पर अपने विचार प्रस्तुत किए। आयोजन अध्यक्ष डॉ जन मुखोपाध्याय, असम इंडिया के संरक्षक डॉ एसएस झा, अध्यक्ष इंदौर के डॉ जयंत शर्मा, गुजरात के डॉ अमर सोनी, एम्स पटना के डॉ रितेश पांडे, आईजीआईएमएस के डॉ आशुतोष कुमार और डॉ विकास कुमार
क्या है इलिजारोव तकनीक?
- रूस के डॉ. गैवरिल इलिजारोव द्वारा विकसित हड्डियों को धीरे-धीरे बढ़ाने और जोड़ने की तकनीक।
- अस्थि परिवहन द्वारा नई हड्डी का निर्माण होता है। बाह्य फिक्सेटर की सहायता से नियंत्रित खिंचाव देकर, छोटे-बड़े पैर, फ्रैक्चर गैप, विकृति, अस्थि संक्रमण को ठीक किया जा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।