'आईआईटी में पहले सेमेस्टर की मातृभाषा में हो पढ़ाई', केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने लोकल फॉर वोकल पर दिया जोर
आईआईटी पटना के 12वें दीक्षा समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आईआईटी को छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे नवाचार की क्षमता बढ़ेगी। मंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहुंचाने में आईआईटी पटना की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
जागरण संवाददाता, पटना। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), पटना के 12वें दीक्षा समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सभी आईआईटी पहले सेमेस्टर में विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई के लिए प्रेरित और खुद को तैयार करें। इससे विद्यार्थियों में इनोवेशन की क्षमता का विकास होगा। आईआईटी जोधपुर पहले दो सेमेस्टर की पढ़ाई हिंदी में कराता है, इसका सकारात्मक प्रभाव दिखेगा।
उन्होंने मौलिक चिंतन पर बल देते हुए कहा कि आज राष्ट्र की समृद्धि के लिए युवाओं को संघर्ष करना होगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का भी प्रयास करना चाहिए। विकसित भारत की संकल्पना ''लोकल फॉर वोकल'' के मूल मंत्र के साथ ही पूरी होगी। समाज को मज़बूत और सशक्त बनाने के लिए आईआईटी जैसे संस्थानों से पढ़े हुए युवाओं को ज्यादा जिम्मेवारी लेनी होगी। केंद्रीय मंत्री ने विद्यार्थियों को कई सवाल पूछे और सहमति व असहमति पर हाथ उठाकर जवाब देने को कहा।
मंत्री ने पूछा की हिंदी में पढ़ाई की इच्छा कितने लोग रखते हैं, इसपर कम ही हाथ उठे। कोचिंग में पढ़ाई कर आईआईटी पहुंचने वाले के वारे में भी प्रश्न पूछे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिहार के स्थानीय उत्पाद वैश्विक बाज़ार में पहुंचे, इसमें आईआईटी पटना को बड़ा योगदान देना होगा। यह तभी संभव होगा जब हम मातृभाषा में शिक्षा पर जोर देंगे। हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की है, जिसमें प्रारंभिक शिक्षा में बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है, क्योंकि हमारा मौलिक चिंतन मातृभाषा में ज्यादा सुदृढ़ होता है। देश का भाग्य बदलने के लिए एक नई कार्य संस्कृति लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आईआईटी को 10 वर्ष का टाइमलाइन देता हूं, हमें देश की सोच को नौकरी प्राप्त करने वालों से देने वालों की संस्कृतिक में परिवर्तित करने का काम करना है।
नकली डॉन की हेकड़ी निकल जाएगी:
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने छात्रों को पैकेज के बजाए स्टार्टअप प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया। कहा कि आईआईटी से पढ़ाई करने वाले यूपीएससी की तैयारी में जुट जाते हैं, जबकि यहां के पढ़े युवा तकनीक के बल पर एक हजार आईएसएस की क्षमता के बराबर हैं।
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बगैर नाम लिए हुए कहा कि आजकल नकली डॉन टैरिफ-टैरिफ खेल रहे हैं। सिलकन वैली से भारतीय निकल गए तो सारी हेकड़ी निकल जाएगी। उन्हेांने विद्यार्थियों को कार्बन फाइवर पर काम करने का टास्क भी दिया।
एक नरेन्द्र की भविष्यवाणी दूसरे कर रहे पूरा:
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने अमृत काल में विकसित भारत की बुनियाद में आईआईटियन की भूमिका को जाहिर किया। उन्हेांने कहा कि 19वीं सदी में जब देश गुलाम था तब विवेकानंद ने 21वीं सद को भारत का बताया था। उनक बचपन का नाम नरेन्द्र ही था। आज उन्हीं के नाम वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनकी भविष्यवाणी का सत्य कर रहे हैं। अनुसंधान सिर्फ प्रयोगशाला में ही नहीं होता है। लोकल समस्याओं को टेक्नोलाजी के सहयोग से निदान की अपेक्षा आप सभी छात्रों से देश व समाज की है।
सफलता तो पूरे राष्ट्र की है:
भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकरानंद ने दीक्षा भाषण में कहा कि हम जितना अपनी संस्कृति और शास्त्र को समझेंगे, उतना ही विकास की रफ्तार तेज होगी। सच्ची शिक्षा तब तक पूर्ण नहीं मानी जा सकती, जब तक उसमें हमारी सांस्कृतिक मूल्यों की गहरी समझ न हो। मैं यह विशेष रूप से कहना चाहता हूं कि व्यक्ति और राष्ट्र एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते। आपकी सफलता केवल आपकी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की सफलता है।
निदेशक प्रो. टीएन सिंह ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत किए। उन्हेांने कहा कि आज का दिन किसी यात्रा का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। आईआईटी, पटना में आपका समय केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं रहा, यह चरित्र निर्माण, संकल्पशीलता को प्रोत्साहित करने और जिज्ञासु सोच को विकसित करने की यात्रा रही है। आपने यहां जो ज्ञान और कौशल अर्जित किए हैं, वे आपकी सफलता की बुनियाद अवश्य हैं, लेकिन अंततः आपकी मूल्यपरक सोच और ईमानदारी ही आपकी असली पहचान बनाएगी। कुलसचिव प्रो. एके ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
दीक्षा समारोह में 1320 उपाधियां प्रदान की गईं, इसमें 856 उपाधियां नियमित पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों को तथा 464 हाइब्रिड मोड कार्यक्रमों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को दी गईं। इनमें 445 बीटेक छात्र, 47 बीएस छात्र, आठ बीटेक एमबीए ड्यूल डिग्री के छात्र, 207 एमटेक छात्र, 85 एमएससी छात्र, 64 पीएचडी. शोधार्थी, 221 हाइब्रिड एमटेक कार्यक्रम के छात्र, 243 हाइब्रिड एमबीए कार्यक्रम के छात्र शामिल हैं।
चार विद्यार्थियों को स्वर्ण तथा 28 को रजत पदक से सम्मानित किया गया। मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव, एमएलसी संजय मयूख, विधायक डा. संजीव चौरसिया, आरएसएस के क्षेत्र कार्यवाह डा. मोहन सिंह आदि मौजूद थे।
इन्हें मिला स्वर्ण पदक:
- भारत के राष्ट्रपति स्वर्ण पदक : एएस पूर्नश (बीटेक, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग)
- चेयरमैन का स्वर्ण पदक: धीरज कुमार (एमटेक, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी)
- निदेशक का स्वर्ण पदक: ऋषिकांत चिग्रुपाटी (बीटेक, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग)
- आर्यभट्ट स्वर्ण पदक : यश कुमार (एमएससी, गणित)
इन्हें मिला रजत पदक:
- साई सुंदर संदीपगंती – बीटेक (केमिकल इंजीनियरिंग)
- शैलेन्द्र मिश्रा – बीटेक (इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग)
- कृष्ण कुमार – बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
- पार्थ सारथी यादव – बीटेक (मेटालर्जिकल और मटेरियल्स इंजीनियरिंग)
- अमन राज – बीटेक (सिविल इंजीनियरिंग)
- एएस पूर्नश – बीटेक (कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग)
- अमन वर्मा – बीटेक (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस)
- मोहम्मद दारिश खान – बीटेक (गणित और कम्प्यूटिंग)
- शिल्पा कंजिलाल – बीटेक (इंजीनियरिंग फिजिक्स)
- ऋषिकांत चिग्रुपाटी – बीटेक (कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग), केदार नाथ दास मेमोरियल रजत पदक
- सौम्या संत्रा – एमएससी (फिजिक्स)
- वैश्णवी वर्षनी – एमएससी (रसायन विज्ञान)
- यश कुमार – एमएससी (गणित)
- नयोनय वाघ – एमटेक (केमिकल इंजीनियरिंग)
- विशाल जायसवाल – एमटेक (कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग)
- नैरुत्य मनीषकुमार पटेल – एमटेक (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)
- ऋशव रानुत – एमटेक (गणित और कम्प्यूटिंग)
- आनंद कमल सुर – एमटेक (मटेरियल्स साइंस और इंजीनियरिंग)
- अंजलि शॉ – एमटेक (कम्युनिकेशन सिस्टम्स और सिग्नल प्रोसेसिंग)
- मुकेश सिंह – एमटेक (पावर और कंट्रोल)
- शुभम हलदर – एमटेक (वीएलएसआइ और एम्बेडेड सिस्टम्स)
- रश्मि प्रिया – एमटेक (सिविल इंजीनियरिंग)
- गौरव कुमार – एमटेक (स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग)
- राजेश कुमार – एमटेक (जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग)
- ऋषभ जैनबार – एमटेक (थर्मल और फ्लूइड्स इंजीनियरिंग)
- प्राग्वंश शर्मा – एमटेक (मैकेनिकल डिजाइन)
- धीरज कुमार – एमटेक (एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलाजी)
- उदय नारायण शर्मा – एमटेक (मेकेट्रानिक्स)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।