बांका के चांदन नदी के अवशेषों का सर्वे करेगी आइआइटी कानपुर की टीम, सामने आएगा इतिहास
बांका स्थित चांदन नदी के गर्भ में करीब दो हजार साल पुराना इतिहास दफन होने की उम्मीद है। इसको लेकर कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने चांदन नदी के पश्चिम ...और पढ़ें

पटना, राज्य ब्यूरो। बांका जिले के भदरिया गांव के समीप चांदन नदी (Chandan River in Banka) की गर्भ में छिपे पुरातात्विक अवशेष (Archaeological remains) के इतिहास से पर्दा हटाने में आइआइटी कानपुर (IIT Kanpur) की टीम मदद करेगी। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग ने चांदन नदी के पश्चिमी क्षेत्र का ग्राउंड पेनेटरिंग रडार (जीपीआर) सर्वे और मैपिंग कार्य कराने का निर्णय लिया है। इसकी जवाबदेही आइआइटी कानपुर की डिपार्टमेंट आफ अर्थ साइंस( Department of Earth Science) की टीम को दी गई है। इस पर कुल नौ लाख 98 हजार चार सौ रुपये की राशि खर्च होगी जिसकी निकासी की स्वीकृति विभाग ने दे दी है।
सर्वे के आधार पर चिह्नित होगा खोदाई स्थल
चांदन नदी के पश्चिमी क्षेत्र में जीपीआर सर्वे (GPR Survey) के आधार पर ही खोदाई स्थल और उसका दायरा चिन्हित किया जाएगा। जीपीआर तकनीक में रेडियो तरंगों के माध्यम से जमीन के अंदर दबे अवशेषों की मैपिंग की जाती है। इससे एक अनुमान लग जाता है कि अंदर दबा अवशेष कितना बड़ा और कहां तक फैला है। इसी आधार पर पुरातात्विक स्थल की खोदाई की जाएगी। विभाग ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को खोदाई की अनुमति देने के लिए पत्र भी लिखा है। जीपीएस सर्वे रिपोर्ट और एएसआइ से अनुमति मिलते ही स्थल की खोदाई शुरू कराई जाएगी।
दो हजार साल पुरानी सभ्यता के निशान
मान्यता एवं अध्ययन के अनुसार चांदन नदी में करीब दो हजार साल पुरानी सभ्यता के दबे होने की उम्मीद है। नदी के पश्चिमी क्षेत्र में धारा के बीच पुराने भवन के अवशेष मिले हैं। ईंटों की बनावट से इसके पांचवीं-छठीं सदी से पहले का बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिसंबर में स्थल का जायजा भी लिया था और चांदन नदी की पुरानी धारा में डायवर्ट कर खोदाई कराने का निर्देश दिया था, ताकि नदी की पेटी में दफन इतिहास से पर्दा हटाया जा सके।

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