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    IAS संजीव हंस को पटना हाई कोर्ट से राहत, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मिली जमानत

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 04:42 AM (IST)

    पटना उच्च न्यायालय ने मनी लांड्रिंग मामले में आईएएस अधिकारी संजीव हंस को जमानत दे दी है। उन पर बियाडा के प्रबंध निदेशक रहते हुए एक कंपनी को अवैध रूप से जमीन आवंटित करने का आरोप है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था। निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है।

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    मनी लांड्रिंग केस: आईएएस संजीव हंस को पटना हाईकोर्ट से मिली जमानत। फाइल फोटो

    विधि संवाददाता, जागरण पटना। बिहार कैडर के 1997 बैच के आइएएस अधिकारी संजीव हंस को पटना हाईकोर्ट ने मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में जमानत दे दी है। न्यायाधीश चंद्र प्रकाश सिंह की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।

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    हंस पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लांड्रिंग के गंभीर आरोप हैं, जो ऊर्जा विभाग में उनके कार्यकाल से जुड़े हैं। यह मामला ईसीआईआर नंबर पीटीजेडओ/04/2024 पर आधारित है, जो 14 मार्च, 2024 को दर्ज किया गया था। इसमें धारा-3 और 4 के तहत मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं का उल्लंघन बताया गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह जांच रूपासपुर पीएस केस नंबर 18

    2023 से शुरू हुई, जिसमें हंस पर आइपीसी की धाराओं 323, 341, 376, 376डी, 420, 313, 120बी, 504, 506 और 34 के तहत दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।

    जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भ्रष्टाचार के और सबूत मिले, जिसके आधार पर 28 अगस्त, 2024 को विशेष सतर्कता इकाई, बिहार को सूचना दी गई। इसके बाद 14 सितंबर, 2024 को एफआइआर नंबर 5/2024 दर्ज हुई, जिसमें धाराएं जोड़ी गईं। हंस समेत 14 नामजद हैं।

    ईडी की जांच में सामने आया कि हंस ने ऊर्जा विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) के सीएमडी रहते (27 जुलाई 2020 से 1 अगस्त 2024 तक) करीबी सहयोगियों के जरिए भ्रष्ट तरीके अपनाए।

    स्मार्ट मीटर लगाने के दो बड़े कान्ट्रैक्ट (997 करोड़ और 2850 करोड़ रुपये) जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिए गए, जिसमें कथित रिश्वत के 123 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ।

    पवन धूत की धूत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 60 करोड़ ट्रांसफर हुए, जिनमें से 29 करोड़ पुष्पराज बजाज की प्रेर्ना स्मार्ट साल्यूशन को चले गए। जांच में ये ट्रांजेक्शन शैडो कंपनियों के जरिए लेयरिंग और लांड्रिंग के रूप में पाए गए।

    बिहार कैडर के 1997 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव हंस को पटना हाईकोर्ट ने मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में जमानत दे दी है। न्यायाधीश चंद्र प्रकाश सिंह की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। हंस पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं, जो ऊर्जा विभाग में उनके कार्यकाल से जुड़े हैं। 

    यह मामला ईसीआईआर नंबर पीटीजेडओ/04/2024 पर आधारित है, जो 14 मार्च, 2024 को दर्ज किया गया था। इसमें धारा-3 और 4 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) धाराओं का उल्लंघन बताया गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह जांच रूपासपुर पीएस केस नंबर 18 की

    2023 से शुरू हुई, जिसमें हंस पर आइपीसी की धाराओं 323, 341, 376, 376डी, 420, 313, 120बी, 504, 506 और 34 के तहत दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। 

    जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भ्रष्टाचार के और सबूत मिले, जिसके आधार पर 28 अगस्त, 2024 को विशेष सतर्कता इकाई, बिहार को सूचना दी गई। इसके बाद 14 सितंबर, 2024 को एफआईआर नंबर 5/2024 दर्ज हुई, जिसमें धाराएं जोड़ी गईं। हंस समेत 14 नामजद हैं।

    ईडी की जांच में सामने आया कि हंस ने ऊर्जा विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) के सीएमडी रहते (27 जुलाई 2020 से 1 अगस्त 2024 तक) करीबी सहयोगियों के जरिए भ्रष्ट तरीके अपनाए।

    स्मार्ट मीटर लगाने के दो बड़े कॉन्ट्रैक्ट (997 करोड़ और 2850 करोड़ रुपये) जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिए गए, जिसमें कथित रिश्वत के 123 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। 

    पवन धूत की धूत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 60 करोड़ ट्रांसफर हुए, जिनमें से 29 करोड़ पुष्पराज बजाज की प्रेरणा स्मार्ट सॉल्यूशन को चले गए। जांच में ये ट्रांजेक्शन शैडो कंपनियों के जरिए लेयरिंग और लांड्रिंग के रूप में पाए गए।