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    मैं उस तरह का मंत्री नहीं, आखिर क्‍यों बिहार सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय को कहनी पड़ गई ये बात

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Tue, 30 Nov 2021 08:44 PM (IST)

    Bihar Politics बिहार विधान परिषद में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय एनडीए के ही विधान पार्षद की बात पर भड़क गए। वे कहने लगे कि मैं उस तरह का मंत्री नहीं हूं। आप भी जान लीजिए ये पूरा मामला...

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    बिहार सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय। फाइल फोटो

    पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय मंगलवार को विधानपरिषद में एनडीए के सदस्यों के सवाल पर ही बिफर पड़े। मामला इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में होने वाले अल्ट्रासाउंड जांच की रिपोर्ट में देरी का था। संजीव श्याम सिंह ने मरीज किरण देवी के नाम का हवाला देते हुए बताया कि सितंबर में जांच की रिपोर्ट की तारीख नवंबर दी गई है। गुलाम सरवर और नीरज कुमार ने भी इस समस्या को गंभीर बताया।

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    इस पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि मरीजों के दबाव के कारण देश भर के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में ऐसी स्थिति होती है। फिर भी वह इस मामले को दिखाएंगे। इस पर संजीव श्याम सिंह ने कहा कि यह दोषियों को बचाने वाली बात है। इतना सुनते ही मंगल पांडेय बिफर पड़े। कहा, 'यह बात कार्यवाही से हटाई जाए। मैं उस तरह का मंत्री नहीं। किसी का बचाव करने के लिए मैं मंत्री नहीं बना हूं। गलती होगी तो सजा दी जाएगी।' इसके बाद मंगल पांडेय ने मामले की जांच करने की बात कही।

    सीरो सर्वे की जरूरत नहीं, बूस्टर डोज का निर्देश नहीं

    विधानपरिषद में संजीव श्याम सिंह के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में कोरोना के सक्रिय मामले महज 38 है। एंटीबाडी 76 प्रतिशत लोगों में पाई गई है। ऐसे में फिलहाल सीरो सर्वे की जरूरत नहीं है। भविष्य में जरूरत होगी तो सर्वे कराया जाएगा। प्रेमचंद्र मिश्रा के कोरोना टीके के डबल डोज लेने वालों की कमी और बूस्टर डोज की व्यवस्था पर मंगल पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से बूस्टर डोज को लेकर कोई निर्देश नहीं मिला है। राज्य में 18 वर्ष से अधिक उम्र के 5.95 करोड़ लोगों को टीका दिया जाना है। इसमें 5.43 करोड़ लोगों को पहला डोज और 2.66 करोड़ को दूसरा डोज दिया जा चुका है।

    एक अन्य सवाल के जवाब में मंगल पांडेय ने बताया कि केंद्र सरकार के कर्मियों की तरह राज्यकर्मियों के लिए नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह मामला अभी प्रक्रियाधीन है। फिलहाल चिकित्सा भत्ता के रूप में एक हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है।

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