Patna News: होटल पाटलिपुत्र अशोक की जगह बनेगा JW मैरियट, हयात रीजेंसी या ITC होटल
पटना में होटल पाटलिपुत्र अशोक की जगह एक नया पांच सितारा होटल बनाया जाएगा। पुराने होटल को तोड़कर जेडब्ल्यू मैरियट, हयात रीजेंसी या आईटीसी जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों में से कोई एक यहां स्थापित होगा, जिसमें जेडब्ल्यू मैरियट की संभावना अधिक है।

राज्य ब्यूरो, पटना। राजधानी के आयकर गोलंबर के पास होटल पाटलिपुत्र अशोक की जमीन पर बनने वाले नए फाइव स्टार होटल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पर्यटन विभाग के अनुसार, होटल पाटलिपुत्र अशोक को तोड़कर वहां नए सिरे से फाइव स्टार होटल का निर्माण किया जाएगा। प्रसिद्ध जेडब्ल्यू मैरियट, हयात रीजेंसी या आईटीसी होटल में से कोई एक ब्रांड होटल पाटलिपुत्र अशोक की जगह लेगा।
सूत्रों के अनुसार, इसमें जेडब्ल्यू मैरियट के नाम पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद ज्यादा है। विभाग ने मेसर्स कुमार इंफ्राट्रेड एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड पटना को पांच सितारा होटल निर्माण के लिए चयनित करने के बाद लेटर ऑफ अवॉर्ड जारी कर दिया है।
इसके विकास, संचालन और रखरखाव के लिए 60 वर्ष 30 वर्ष की अवधि के लिए लीजहोल्ड अधिकार प्रदान किया गया है। चयनित एजेंसी को होटल पाटलिपुत्र अशोक, पटना की मौजूदा संरचना को ध्वस्त करना होगा और पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए मानदंडों और दिशानिर्देशों के अनुसार नए पांच सितारा होटल का निर्माण करना होगा।
चयनित एजेंसी ने पर्यटन विभाग को सूचित किया है कि उन्होंने तीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध 5 सितारा होटल ब्रांडों को होटल निर्माण हेतु सूचीबद्ध किया है। इन ब्रांड में जेडब्ल्यू मैरियट, हयात रीजेंसी तथा आईटीसी होटल शामिल है।
एजेंसी होटल पाटलिपुत्र अशोक, पटना की भूमि पर न्यूनतम 100 कमरों वाले फाइव स्टार होटल संचालित करने के लिए उपरोक्त तीन ब्रांडों में से किसी एक को चयनित करेगी। बीरचंद पटेल पथ स्थित होटल पाटलिपुत्र अशोक की लगभग डेढ़ एकड़ जमीन पर नए पांच सितारा होटल का निर्माण किया जाएगा।
150 दिनों के अंदर ब्रांड के साथ करना होगा अनुबंध:
आरएफपी की शर्तों के अनुसार, चयनित एजेंसी को एमओयू पर हस्ताक्षर करने से पहले लेटर ऑफ अवॉर्ड (एलओए) की प्राप्ति की तारीख से 150 दिनों के भीतर एक प्रतिष्ठित पांच सितारा होटल ब्रांड के साथ ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट (ओएंडएम) हेतु अनुबंध फाइनल करना आवश्यक है।
चयनित एजेंसी को 7.57 करोड़ रुपये का वार्षिक लीज प्रीमियम (करों और शुल्कों, जीएसटी आदि को छोड़कर) जमा करना होगा। यह वार्षिक लीज प्रीमियम राशि भी हर 5 साल में 10 प्रतिशत बढ़ जाएगी।
इसके अलावा, एजेंसी को 11 साल की अवधि में एमवीआर मूल्य यानी 28.5 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। यदि यह राशि एकमुश्त दे दी जाती है तो यह ब्याजमुक्त होगी अन्यथा बकाया अग्रिम प्रीमियम राशि पर 9.5 प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा।
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