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    Holika Dahan 2022: इस शुभ मुहूर्त पर आज होगी होलिका दहन की पूजा, पटना में की गई ये तैयारी

    Holika Dahan 2022 पूरे देश में गुरुवार को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन रात में होलिका जलाई जाती है। होली से पहले इस पर्व का खास महत्य है।

    By Rahul KumarEdited By: Updated: Thu, 17 Mar 2022 07:40 PM (IST)
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    Holika Dahan: आज होगी होलिका दहन। सांकेतिक तस्वीर

    पटना, आनलाइन डेस्क। Holika Dahan 2022: हिन्दू पंचाग के मुताबिक फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन की आग में सभी दुख जलकर राख हो जाते हैं। होली से पहले होलिका दहन का खास महत्व है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक होलिका दहन पर विधि विधान से पूजा करने पर सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। गुरुवार को शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन से जुड़ी कई पौराणिक कहानियां भी हैं। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। होलिका दहन को लेकर पटना में कई जगहों पर तैयारी की गई है। राजधानी के कई चौक-चौराहों पर होलिका दहन की पूरी तैयारी की गई है।

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    इस बार होलिका दहन को लेकर ज्योतिषों को यह मत है कि पूर्णिमा 17 मार्च की दोपहर 01.03 बजे से लेकर 18 मार्च के दोपहर 12.52 बजे तक रहेगी। ज्योतिषों का मत है कि 17 मार्च को ही 01:19 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:58 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि ऐसे में भद्राकाल होने के कारण शाम के वक्त होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा।

    बन रहे हैं खास योग

    ज्योतिषाचार्यों की माने तो इस बार होलिक दहन के दिन काफी अच्छे संयोग बन रहे हैं। जातकों के ऊपर इन योगों का असर अच्छा होगा। इस दिन अभिजीत, अमृत सिद्धि,  सर्वार्थ सिद्धि और धुव्र योग आदि योग बन रहे हैं।

    क्या है पूजा की विधि

    होलिका दहन के दिन श्रद्धालु स्नान करके होलिका दहन वाले स्थान पर जाते हैं। इसके बाद पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। होलिका दहन के स्थन पर ही गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाने की परंपरा है। प्रतिमा बनने के बाद श्रद्धालु अच्छी तरह हाथ धोकर गोबर की प्रतिम पर जल अर्पित करने के बाद अक्षत, रोली, हल्दी, गुलाल मूंग, गेहूं की बालियां चना इत्यादी अर्पित करते हैं। इस दौरान भगवान नरसिंह की भी पूजा की जाती है। होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें।