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नूपुर शर्मा के बयान पर भड़के कतर में हिंदू नहीं कर सकते अंतिम संस्‍कार, पूजा के लिए भी होती है परेशानी

Qatar India Relations भाजपा की प्रवक्‍ता रहीं नूपुर शर्मा के बयान पर जब कतर नाराजगी जाहिर कर रहा था तब संयोग से भारत का एक उच्‍च स्‍तरीय शिष्‍टमंडल वहां दोनों देशों के रिश्‍ते बेहतर करने के लिए दौरा कर रहा था।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 08 Jun 2022 08:45 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jun 2022 05:06 PM (IST)
नूपुर शर्मा के बयान पर भड़के कतर में हिंदू नहीं कर सकते अंतिम संस्‍कार, पूजा के लिए भी होती है परेशानी
कतर में शूरा काउंसिल के पदधारकों से मिलते भारत के उपराष्‍ट्रपति वैंकैया नायडू व अन्‍य। उपराष्‍ट्रपति के ट्व‍िटर हैंडल से

राज्य ब्यूरो, पटना। पैगंबर मोहम्‍मद के बारे में भाजपा प्रवक्‍ता नूपुर शर्मा के एक बयान से अरब देश कतर की नाराजगी काफी चर्चा में रही। दिलचस्‍प यह है कि जब कतर इस मामले में अपनी नाराजगी का इजहार कर रहा था, तब भारत सरकार का एक उच्‍च स्‍तरीय शिष्‍टमंडल वहां आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए दौरा कर रहा था। कतर की नाराजगी दूर करने में भारत की ओर से की गई पहल कारगर साबित हुई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के साथ गेबान, सेनेगल एवं कतर की आठ दिवसीय राजकीय यात्रा से लौटने के बाद राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने बताया कि भाजपा के कुछ नेताओं के आपत्तिजनक बयान के बाद की गई कार्रवाई से कतर के राजनयिक संतुष्ट दिखाई पड़े। इस दौरान सुशील मोदी ने और भी कई महत्‍वपूर्ण बातें बताईं।

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पटना से दोहा के लिए विमान सेवा की मांग 

मोदी ने कहा कि कतर की 27 लाख की आबादी में 27 प्रतिशत (7.50 लाख) भारतीय मूल के लोग हैं। इनमें बड़ी संख्या में बिहार के लोग भी शामिल हैं। कतर यात्रा के दौरान बिहार सरकार द्वारा अप्रवासी बिहारियों के लिए गठित बिहार फाउंडेशन के सदस्यों से भी मुलाकात हुई। इस उन लोगों ने आग्रह किया कि पटना से दोहा के लिए सीधी विमान सेवा प्रारंभ की जाए क्योंकि बड़ी संख्या में बिहारियों को दिल्ली या लखनऊ के रास्ते बिहार आना पड़ता है। उनका यह भी आग्रह था कि बिहार सरकार प्रवासी बिहारियों के लिए एक सेल गठित करे जिसके माध्यम से उनकी बिहार से जुड़ी समस्याओं के समाधान में मदद मिल सके।

दाह संस्‍कार के लिए जमीन देने का अनुरोध 

मोदी ने कहा कि उपराष्ट्रपति नायडू ने कतर के प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि भारतीयों के पूजा स्थल एवं दाह संस्कार के लिए भूमि प्रदान करें। ज्ञातव्य है कि अभी मृत्यु होने पर शव को या तो दफनाना पड़ता है या वापस भारत लाना पड़ता है, क्योंकि वहां शवों के दाह संस्कार की अनुमति नहीं है। ज्ञातव्य है कि गेबान और सेनेगल की 1960 में आजादी के बाद पहली बार भारत के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल का इन देशों का राजकीय दौरा था।


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