'केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारे देश'...गीत से गूंज गया बिहार म्यूजियम Patna News
द जर्नी ऑफ हिम्मत शाह कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को बिहार संग्रहालय में अर्थशिला की ओर से किया गया। इस दौरान कई तरह की कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
By Edited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 01:53 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 08:52 AM (IST)
पटना, जेएनएन। बिहार संग्रहालय और अर्थशिला के सौजन्य से 'द जर्नी ऑफ हिम्मत शाह' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मशहूर कलाकार हिम्मत शाह की कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई। मौके पर एक संगोष्ठी भी आयोजित की गई। संग्रहालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बिहार बाल भवन किलकारी के बच्चों ने सूफी और लोक गीतों की प्रस्तुति दी। बच्चों ने 'केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारे देश' गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की।
'हे रे सखी मंगल गावो री..', 'मन लागे मेरे फकीरी में..' एवं 'बहे खून मेरा चमन के लिए..' गीत को पेश कर अतिथियों का दिल जीता। कार्यक्रम का उद्घाटन कला संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव रवि मनुभाई परमार और वरिष्ठ मूर्तिकार हिम्मत शाह ने किया। वही समारोह के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से आए कला विशेषज्ञों ने हिम्मत शाह को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। शाह के 86वें जन्मदिन पर बिहार के जाने-माने फोटोग्राफर शैलेंद्र द्वारा शाह की तस्वीरों के बहाने उनकी संस्मरण पर प्रकाश डाला गया। फोटोग्राफी प्रदर्शनी एक अगस्त तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
कला की बारीकियों से हुए अवगत हुए कलाप्रेमी
बिहार संग्रहालय परिसर का नजारा बिल्कुल बदला-बदला सा नजर आ रहा था। परिसर में आगे-आगे देश के वरिष्ठ मूर्तिकार हिम्मत शाह और उनके पीछे कई कलाकार। हिम्मत शाह कला दीर्घा में लगी उनकी कलाकृतियों के बारे में खुद शाह उनकी बारीकियों से अवगत कराते नजर आए। यहां शाह की अनमोल कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। मेटल क्राफ्ट, टेराकोटा के साथ उनके जीवन से जुड़ी कई कहानी को फोटोग्राफी के जरिए बयां किया गया था। बिहार में पहली बार लगी हिम्मत शाह की कलाकृतियों की अलग-अलग कहानी है। शाह के रचना संसार को कलाकृति के जरिए देखा जा सकता है। शाह ने कलाकृतियों के बारे में कहा कि मिट्टी जब पुरानी होती है, वह अपने स्वभाव में आती है। मिट्टी के साथ काम करने में काफी वक्त लगता है। उन्होंने कहा कि कला हर इंसान के लिए भिन्न है, जिसको जो समझ में आए उसके लिए वही अर्थ है।
संस्मरण सुनाकर दी बधाई
समारोह के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से कला मर्मज्ञ मौजूद थे। जिन्होंने शाह से जुड़े अपने संस्मरण को साझा करते हुए उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। कला संस्कृति युवा विभाग के प्रधान सचिव रवि मनुभाई ने कहा कि ऐसे कलाकारों से पूरे जीवन सीखने की जरूरत है। शाह की बनाई कलाकृति न केवल संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही हैं, बल्कि नवोदित कलाकारों को सीखने का मौका दे रही हैं।
जो दिल से उपजे, उसकी ऊर्जा ही अलग
फोटोग्राफर रघु भाई ने कहा कि शाह से 50 साल पुरानी दोस्ती है। इनसे जीवन में बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। रघु ने कहा जो दिल से उपजे, उसकी ऊर्जा अलग होती है। शाह अपना जीवन अपने शर्तो में जीते रहे। हिम्मत अपने काम के आगे किसी का नहीं सुनते। जो उन्हें अलग रखती है। पीआर दरोज ने कहा कि शाह ने हमारे जीवन की दिशा बदल दी। मुंबई से आए आसिफ ने कहा कि बिहार में शाह की कलाकृति देखने के बाद अलग धारणा बनी। हिम्मत शाह का काम एक जिंदगी में करना दूसरों के लिए मुश्किल है। रविशंकर पांडेय ने कहा कि शाह पर फिल्म बनाना आसान नहीं था। पीआर दरोज, आसिफ, पीयूष डी शाह, तिलोतमा के गांधी, भैरवी एच कुमार मोदी, दीपाली दरोज आदि ने शाह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
'हे रे सखी मंगल गावो री..', 'मन लागे मेरे फकीरी में..' एवं 'बहे खून मेरा चमन के लिए..' गीत को पेश कर अतिथियों का दिल जीता। कार्यक्रम का उद्घाटन कला संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव रवि मनुभाई परमार और वरिष्ठ मूर्तिकार हिम्मत शाह ने किया। वही समारोह के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से आए कला विशेषज्ञों ने हिम्मत शाह को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। शाह के 86वें जन्मदिन पर बिहार के जाने-माने फोटोग्राफर शैलेंद्र द्वारा शाह की तस्वीरों के बहाने उनकी संस्मरण पर प्रकाश डाला गया। फोटोग्राफी प्रदर्शनी एक अगस्त तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
कला की बारीकियों से हुए अवगत हुए कलाप्रेमी
बिहार संग्रहालय परिसर का नजारा बिल्कुल बदला-बदला सा नजर आ रहा था। परिसर में आगे-आगे देश के वरिष्ठ मूर्तिकार हिम्मत शाह और उनके पीछे कई कलाकार। हिम्मत शाह कला दीर्घा में लगी उनकी कलाकृतियों के बारे में खुद शाह उनकी बारीकियों से अवगत कराते नजर आए। यहां शाह की अनमोल कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। मेटल क्राफ्ट, टेराकोटा के साथ उनके जीवन से जुड़ी कई कहानी को फोटोग्राफी के जरिए बयां किया गया था। बिहार में पहली बार लगी हिम्मत शाह की कलाकृतियों की अलग-अलग कहानी है। शाह के रचना संसार को कलाकृति के जरिए देखा जा सकता है। शाह ने कलाकृतियों के बारे में कहा कि मिट्टी जब पुरानी होती है, वह अपने स्वभाव में आती है। मिट्टी के साथ काम करने में काफी वक्त लगता है। उन्होंने कहा कि कला हर इंसान के लिए भिन्न है, जिसको जो समझ में आए उसके लिए वही अर्थ है।
संस्मरण सुनाकर दी बधाई
समारोह के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से कला मर्मज्ञ मौजूद थे। जिन्होंने शाह से जुड़े अपने संस्मरण को साझा करते हुए उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। कला संस्कृति युवा विभाग के प्रधान सचिव रवि मनुभाई ने कहा कि ऐसे कलाकारों से पूरे जीवन सीखने की जरूरत है। शाह की बनाई कलाकृति न केवल संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही हैं, बल्कि नवोदित कलाकारों को सीखने का मौका दे रही हैं।
जो दिल से उपजे, उसकी ऊर्जा ही अलग
फोटोग्राफर रघु भाई ने कहा कि शाह से 50 साल पुरानी दोस्ती है। इनसे जीवन में बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। रघु ने कहा जो दिल से उपजे, उसकी ऊर्जा अलग होती है। शाह अपना जीवन अपने शर्तो में जीते रहे। हिम्मत अपने काम के आगे किसी का नहीं सुनते। जो उन्हें अलग रखती है। पीआर दरोज ने कहा कि शाह ने हमारे जीवन की दिशा बदल दी। मुंबई से आए आसिफ ने कहा कि बिहार में शाह की कलाकृति देखने के बाद अलग धारणा बनी। हिम्मत शाह का काम एक जिंदगी में करना दूसरों के लिए मुश्किल है। रविशंकर पांडेय ने कहा कि शाह पर फिल्म बनाना आसान नहीं था। पीआर दरोज, आसिफ, पीयूष डी शाह, तिलोतमा के गांधी, भैरवी एच कुमार मोदी, दीपाली दरोज आदि ने शाह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
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