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    बिहारः सेनारी नरसंहार मामले में 14 दोषियों को रिहा करने का आदेश, 34 लोगों का बांधकर रेता गया था गला

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 21 May 2021 02:36 PM (IST)

    जहानाबाद के सेनारी नरसंहार मामले में शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट ने दोषी ठहराए गए 14 लोगों को तुरंत रिहा करने का आदेश दे दिया। इसी मामले में जहानाबाद की जिला अदालत ने 10 दोषियों को फांसी और तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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    जहानाबाद के सेनारी नरसंहार मामले में शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है।

    राज्य ब्यूरो, पटना: पटना हाई कोर्ट ने शुक्रवार को जहानाबाद जिले के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार के सभी 14 दोषियों को बरी कर दिया है। न्यायाधीश अश्वनी कुमार सिंह एवं न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद करते हुए सभी 14 दोषियों को तुरंत रिहा करने का भी आदेश दिया। जहानाबाद की जिला अदालत ने 15 नवंबर, 2016 को इस मामले में दस लोगों को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि तीन अन्य को उम्रकैद की सजा दी थी। 

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    बताते चलें कि 18 मार्च, 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन (माक्र्सवादी समन्वय समिति यानी एमसीएसी) के उग्रवादियों ने सेनारी गांव को चारों तरफ से घेर लिया था। उसके बाद एक जाति विशेष के 34 लोगों को उनके घरों से जबरन निकालकर गांव के मंदिर के सामने ले जाकर बेरहमी से गला रेत कर उनकी हत्या कर दी थी।निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना हाई कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया, जबकि दोषियों द्वारा पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव और अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। 

    इस वजह से किया रिहा

    अभियुक्तों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता अंशुल ने बताया कि हाई कोर्ट के समक्ष आए अभियुक्तों में कोई प्राथमिकी में नामित नहीं था। गवाहों के बयान में विरोधाभास और पुलिस द्वारा किए गए अनुसंधान में त्रुटियों की वजह से हाई कोर्ट ने उक्त फैसला दिया। चूंकि गवाह इस स्थिति में नहीं थे कि रात में अभियुक्तों की पहचान कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि जिस वक्त उक्त घटना को अंजाम दिया गया था उस समय वहां अंधेरा था और किसी प्रकार की रोशनी का स्रोत उपलब्ध नहीं था। उन्होंने यह भी दलील दी कि चश्मदीद कुछ भी स्पष्ट देख पाने में सक्षम नहीं थे। अधिसंख्य मामलों में सभी अभियुक्तों की रिहाई हो चुकी है।