पटना में गर्मी से गैस, उल्टी, पेट दर्द, दस्त, की बढ़ी समस्या, इन उपायों को अपनाएं; नहीं जाना पड़ेगा अस्पताल
चार-पांच दिन से झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है। पीएमसीएच एनएमसीएच आइजीआइएमएस से न्यू गार्डिनर रोड तक की ओपीडी में 20 से 25 प्रतिशत मरीज गर्मी के दुष्प्रभावों से पीड़ित हैं। बच्चों-बुजुर्गों व घरों में रहने वाली महिलाओं में बेचैनी की वजह से अनिद्रा चिड़चिड़ापन थकावट कमजोरी व तनाव की समस्या बढ़ी है।

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी में गत चार-पांच दिन से झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है। इसका असर स्वास्थ्य पर दिखने लगा है। ठंडा-गर्म होने से एक ओर सर्दी-खांसी, बुखार तो दूसरी ओर गैस-अपच व पाचन संबंधी अन्य रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ी है।
पीएमसीएच, एनएमसीएच, आइजीआइएमएस से न्यू गार्डिनर रोड तक की ओपीडी में 20 से 25 प्रतिशत मरीज गर्मी के दुष्प्रभावों से पीड़ित हैं। डाक्टरों के अनुसार गैस, उल्टी, अपच, दस्त, सर्दी-खांसी बुखार, सिरदर्द, चर्म रोग के रोगियों की संख्या बढ़ी है। पीएमसीएच के चर्म रोग विशेषज्ञ डा. अभिषेक कुमार झा के अनुसार तेज धूप के कारण फंगल इंफेक्शन, टीनिया, खुजली व एलर्जी के मामले बढ़े हैं।
इसके अलावा तेज धूप के कारण खासकर बच्चों-बुजुर्गों व घरों में रहने वाली महिलाओं में बेचैनी की वजह से अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, थकावट, कमजोरी व तनाव की समस्या बढ़ी है।
महामारी पदाधिकारी डा. प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि जिन रोगियों का बुखार 104 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, भ्रम की स्थिति में हों, बोले कुछ निकले कुछ तो उनका इलाज हीटवेब के लिए जारी मानक के अनुसार करना है। इसके तहत मरीज की हृदय गति, श्वसन गति, ब्लड प्रेशर, रेक्टम टेम्परेचर, मनोस्थिति जांच के अलावा कंप्लीट ब्लड काउंट, ईसीजी, इलेक्ट्रोलाइट्स, ब्लड कागुलेशन, क्लोराइड, किडनी व लिवर फंक्शन टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए।
इसके अलावा एंटी डायरिल मेडिसिन, एंटी एमोबिक मेडिसिन, एंटी इमेटिक मेडिसिन, आइवी फ्लूयूड्स, ओआरएस, चिकित्सकीय उपकरण पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए। डेडिकेटेड वार्ड में आवश्यक रूप से एसी-कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए। रोगी को जिन एंबुलेंस से रेफर किया जाए उनका एयर कंडीशन दुरुस्त हाेना चाहिए।
आयुर्वेदिक उपाय बचाएंगे गर्मी के दुष्प्रभाव से
वैद्य डा. रमण रंजन के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की तेज़ किरणों व शुष्क हवाओं से लोगों की शक्ति क्षीण हो जाती है। भीषण गर्मी पाचक अग्नि को कम करती है इसलिए हमें संयमित रूप से हल्का व सुपाच्य भोजन खाना चाहिए। गर्मी से बचाव को पानी की अधिक जरूरत होती है इसलिए पानी, फलों के रस, ओआरएस आदि का भरपूर सेवन करना चाहिए। शरीर में पानी की कमी थकावट, सुस्ती, सूखापन व ऊर्जा की कमी यानी कमजोरी लेकर आती है। एेसे में निम्न सावधानियां काफी कारगर होती हैं।
- - मीठा, हल्का, तरल भोजन, घी (मक्खन) को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- - मिट्टी के बर्तनों में रखे पानी, आम, अंगूर, गन्ना, अनार जैसे ताजे रसदार फलों से तैयार पानक, नारियल का पानी, पुदीना, छाछ आदि तरल पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
- -ताजे रसदार फल, सलाद (खीरा, गाजर) व उबले चावल को प्राथमिकता दें।
- -कुछ जड़ी-बूटियों व फलों जैसे अनंत, कमल, गुलाब, आमरा, आम, अंगूर, चंदन, जम्भीरी नींबू आदि का पतला घोल पिएं।
- -गुलाब की पंखुड़ियों व चीनी से बना गुलकंद गर्मी कम कर इसके दुष्प्रभावों से बचाता है।
- - शरीर पर चंदन लेप लगाएं व ठंडे पानी से स्नान करें, जहां तक संभव हो घर के अंदर रहें, धूप से बचें, पतले-हल्के व ढीले कपड़े पहनें एवं शीतल प्रकृति वाले इत्र का प्रयोग करें।
- -इस मौसम में बहुत अधिक परिश्रम व कठिन व्यायाम से बचना चाहिए।
- -गाय का घी दो बूंद नाक में डालें, यह लू से बचाता है। खाली पेट धूप में नहीं जाना चाहिए।
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