बिहार में SIR पर सुनवाई मामला: निर्वाचन आयोग को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, 12 अगस्त को होगी सुनवाई
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की जांच के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चल रहा है जिस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने SIR पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है लेकिन चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि वह आधार कार्ड और वोटर ID को दस्तावेजों के रूप में मान्य करने पर विचार करे।

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव होने से पहले वोटर लिस्ट की जांच के लिए के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) चल रहा है। विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं पर चल रही बहस अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। आज मंगलवार को याचिकाओं पर विचार करने के लिए समयसीमा तय करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सुनवाई 12 अगस्त को होगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को 8 अगस्त तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया है।
बता दें कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की जांच के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चल रहा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने SIR पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि वह आधार कार्ड और वोटर ID को दस्तावेजों के रूप में मान्य करने पर विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने SIR पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि SIR पर तत्काल कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि याचिकाकर्ताओं की ओर से इस पर स्थगन की मांग नहीं की गई है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 और 13 अगस्त को होगी।
चुनाव आयोग की कार्रवाई
चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को SIR के पहले चरण के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि बिहार में 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इनमें से 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, 36 लाख लोग स्थानांतरित हो गए हैं। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिया है कि किसी भी वोटर को वोटर लिस्ट से बिना सुनवाई के बाहर नहीं किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि वोटर लिस्ट रिवीजन नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा है। उनका कहना है कि SIR प्रक्रिया से लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने का खतरा है, खासकर महिलाओं, गरीबों और अल्पसंख्यक समुदायों के। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायण ने दलीलें पेश की हैं ।
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