Bihar Caste Census: जाति आधारित गणना पर हाई कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित; सरकार ने दी ये दलीलें
Bihar Caste Census बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि इस सर्वे का उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध में आंकड़ा एकत्रित करना है जिसका उपयोग जनता के कल्याण के लिए किया जाएगा। उन्होंने सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम 2008 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने नागरिकों से जुड़ी जानकारी एकत्रित कर सकती है।

राज्य ब्यूरो, पटना: पटना हाइकोर्ट ने जाति आधारित गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच दिनों की सुनवाई पूरी करने बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने “यूथ फॉर इक्वालिटी” एवं अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर राज्य सरकार की दलीलों को सुनने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रखा।
राज्य सरकार की दलील
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि इस सर्वे का उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध में आंकड़ा एकत्रित करना है, जिसका उपयोग जनता के कल्याण के लिए किया जाएगा। इस गणना को किसी दायरे में लाना उसके उद्देश्य को सीमित कर देगा।
उन्होंने सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने नागरिकों से जुड़ी जानकारी एकत्रित कर सकती है। कोई जाति न होने की विचारधारा अगले सौ साल तक संभव नहीं है। जाति संबंधी सूचना शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के समय भी दी जाती है।
उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण में जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला देते हुए कहा कि कानून के तहत एक राज्य अपने नागरिकों की जानकारी इकट्ठा कर सकता है । नागरिकों की जानकारी सरकार के पास सुरक्षित है।
सर्वेक्षण लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो गया है। इसमें नागरिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं हो रहा है। राज्य कोई ऐसी जानकारी नहीं मांग रहा जो सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध नहीं हैं। खंडपीठ ने मामले पर सभी पक्षों को सुन कर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया ।
याचिका में इन बिन्दुओं पर आपत्ति
- जाति आधारित गणना से जनता के निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
- राज्य सरकार सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना करा रही है जो इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
- सरकार ने इस गणना का उद्देश्य नहीं बताया है , जिससे इन संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है।
- राज्य सरकार द्वारा एकत्रित डाटा की सुरक्षा पर भी प्रश्न।
- राज्य सरकार ने आकस्मिक निधि से 500 करोड़ इस सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किया है, जो जनता के धन का दुरुपयोग है।
- संविधान राज्य सरकार को इस तरह का सर्वेक्षण करने की अनुमति नहीं देता है ।
सरकार का पक्ष
- जाति आधारित गणना राज्य की नीति निर्धारण और कई योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
- किसी की निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा, राज्य ऐसी कोई जानकारी नहीं मांग रहा जो पहले से सार्वजनिक न हो।
- किसी को बाध्य कर उससे जानकारी इकट्ठा नहीं की जा रही है , लोग अपनी स्वेक्षा से जानकारी दे सकते हैं।
- कानून के मुताबिक राज्य अपने नागरिकों की जानकारी इकट्ठा कर सकता है।
- इस गणना के लिए बजटीय प्रावधान किया गया है।
- नागरिकों का डाटा सरकार के पास सुरक्षित है।

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