गर्दन-सिर दर्द व हाथ-पैरों में झनझनाहट तो नहीं! उठने-बैठने का गलत तरीका बना सकता है मरीज, बरतें ये सावधानियां
एम्स पटना में न्यूरो मेडिसिन के पूर्व विभागाध्यक्ष वर्तमान में पीएमसीएच के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. गुंजन कुमार ने बताया कि उन्होंने आयरलैंड में 30 रोगियों पर गर्दन सिर दर्द और नसों में दबाव से हाथों में झनझनाहट जैसी समस्याओं से निजात के लिए स्मार्ट नेक अध्ययन किया था।
जागरण संवाददाता, पटना : उम्र कोई भी आजकल हर दस में से तीन लोगों को गर्दन-सिर दर्द, हाथ-पैरों में झनझनाहट की समस्या से परेशान हैं। इसका कारण है- उठने-बैठने, सोने की सही मुद्रा यानी पॉश्चर की जानकारी नहीं होना। पीएमसीएच में न्यूरोलॉजी की ओपीडी में ही हर दिन 20 से 25 ऐसे मरीज पहुंचते हैं। वहीं बहुत से लोग दर्द निवारक गोलियां खाकर इसकी अनदेखी करते हैं और हाथ-पैरों में झनझनाहट जैसे गंभीर लक्षण तक पहुंच जाते हैं।
एम्स पटना में न्यूरो मेडिसिन के पूर्व विभागाध्यक्ष वर्तमान में पीएमसीएच के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. गुंजन कुमार ने बताया कि उन्होंने आयरलैंड में 30 रोगियों पर गर्दन, सिर दर्द और नसों में दबाव से हाथों में झनझनाहट जैसी समस्याओं से निजात के लिए स्मार्ट नेक अध्ययन किया था। उन्होंने कहा कि पॉश्चर व्यायाम, विटामिन डी और कैल्शियम जैसे पूरक की मदद से अधिकतर रोगियों को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इलाज नहीं कराने वालों का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है।
क्यों होती है शरीर में झनझनाहट?
डॉ. गुंजन कुमार ने बताया कि कोरोना काल के बाद ऑनलाइन व्यवस्था बढ़ने, मोबाइल पर घंटों गर्दन झुकाकर उसका इस्तेमाल करना, तेज रफ्तार बाइक चलाने के क्रम में बार-बार गर्दन में लगने वाले झटके, घंटों कुर्सी पर गर्दन झुकाकर काम करने, तकिया, उठने-बैठने या सोने के सही आसन का ज्ञान नहीं होने से यह समस्या बढ़ी है।
गर्दन सीधी रखने पर उस पर पांच किलोग्राम तक का वजन पड़ता है। वहीं, 15 डिग्री गर्दन झुकाने पर 12 किलोग्राम, 30 डिग्री झुकाने पर 18 किलोग्राम और मोबाइल-लैपटॉप आदि देखते समय जब गर्दन 60 डिग्री पर झुकी होती है, तब गर्दन पर 27 किलोग्राम वजन पड़ता है। इससे गर्दन आगे की ओर झुक जाती है और नसें दबने से इस प्रकार की समस्याएं होती हैं।
कैसे जाने बॉडी पॉश्चर सही है या गलत?
डॉ. गुंजन के अनुसार, आपका बॉडी पॉश्चर सही है या गलत इसकी जांच आसान है। आप दीवार की ओर सामान्य रूप से जैसे खड़े होते हैं पीठ कर खड़ा होने पर यदि आपका सिर, कूल्हा और कंधे दीवार से सटे हों आपका पॉश्चर सही है। यदि गर्दन और दीवार के बीच गैप है तो पॉश्चर गलत है। इसके अलावा गर्दन व कमर में भी दीवार से गैप होना चाहिए। यदि आपके हिप्स भी काफी बाहर निकल रहे हैं और कमर में दर्द होता है तो ऐसा पाश्चर में गड़बड़ी के कारण है।
बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान
- बैठने का काम है तो कुर्सी के हैंडल मेज के किनारे के बराबर हों ताकि गर्दन नहीं झुकानी पड़े।
- गर्दन सीधी नहीं होने से आगे की ओर आती है और मांसपेशियों में तनाव आने से रीढ़ की हड्डी का आकार खराब होता है।
- इसके निदान में पॉश्चर संबंधी व्यायाम कर उसे दुरुस्त करने के लिए फिजियोथेरेपी बहुत कारगर है।
- जांच रिपोर्ट के आधार पर कुछ दवाएं व विटामिन की अहम भूमिका है।
- सबसे जरूरी है कि कंप्यूटर और मोबाइल पर स्क्रीन टाइम कम किया जाए।
- तकिया उतना ही मोटा रखें जितना सिर व गर्दन के बीच गैप है। ज्यादा मोटा होने से मुद्रा बिगड़ सकती है।
- सख्त तकिया या बेकार गद्दे का प्रयोग करने से भी कमर व गर्दन दर्द हो सकता है।
- कुर्सी पर अधिक देर तक बैठने पर थोड़ी-थोड़ी देर में पैरों की मुद्रा बदलते रहें और यदि सीधे बैठने पर दर्द हो तो समझ जाएं कि मांसपेशियों व ऊतकों में कड़ापन आ रहा है।
गलत मुद्रा के साइड इफेक्ट क्या हैं?
उन्होंने बताया कि उठने-बैठने और सोने की गलत मुद्रा से सिर-गर्दन व कमर में दर्द तो होता ही है। इसके अलावा, थकान, हाथ और पैरों में झनझनाहट की समस्या भी होती है। खराब मुद्रा के कारण हमारी आंतों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है और कब्ज के साथ पाचन संबंधी समस्याएं अधिक सताती हैं।
इतना ही नहीं, खराब आसन मांसपेशियों को तनावग्रस्त करते हैं, जिससे नींद प्रभावित होती है। गलत मुद्रा शारीरिक के साथ मानसिक तनाव बढ़ाती है और हार्मोनल असंतुलन पैदा कर कार्टिसोल का स्तर बढ़ाती हैं, जिससे तनाव बढ़ता है।
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