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    बर्न यूनिट में होंगे स्किन बैंक, मरीजों का तनाव दूर करने की अनूठी व्यवस्था; बिहार के मेडिकल कॉलेजों में और क्या सुविधाएं मिलेंगी?

    By Pawan Mishra Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Mon, 14 Jul 2025 12:42 PM (IST)

    स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि अग्नि दुर्घटनाओं में जले अंग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। राज्य के अस्पतालों में बर्न यूनिट सुदृढ़ किए जा रहे हैं और स्किन बैंक खोले जाएंगे। एनएबीआई के राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन युवा चिकित्सकों को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराता है। स्वास्थ्य मेलों में मुफ्त इलाज और मनोरंजन की व्यवस्था है।

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    स्वास्थ्य विभाग जल्द ही उन मेडिकल कॉलेजों में स्किन बैंक की सुविधा उपलब्ध कराएगा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने रविवार को कहा कि अग्नि दुर्घटनाओं में जले और विकृत हुए अंग न केवल पीड़ित के शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए समुचित चिकित्सा के साथ-साथ सामाजिक सहयोग और जन जागरूकता जरूरी है।

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    मंगल पांडेय ने कहा, "हम राज्य के अस्पतालों के बर्न यूनिट को और सुदृढ़ कर रहे हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग जल्द ही उन मेडिकल कॉलेजों में स्किन बैंक की सुविधा उपलब्ध कराएगा, जहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग वर्तमान में बर्न यूनिट संचालित कर रहा है। बता दें कि राज्य में 20 बर्न यूनिट कार्यरत हैं, जबकि एम्स पटना में निर्माणाधीन है।"

    स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय रविवार को नेशनल एकेडमी ऑफ बर्न्स इंडिया (एनएबीआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश के प्रख्यात प्लास्टिक सर्जनों का यह सम्मेलन शैक्षणिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और युवा चिकित्सकों को नवीनतम तकनीकों से भी अवगत कराता है।

    इस अवसर पर कार्यक्रम की आयोजक एम्स पटना की प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा सिंह, डॉ. प्रणव कुमार, पीएमसीएच के डॉ. संजय कुमार, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. विद्यापति चौधरी, डॉ. कुलदीप, डॉ. सेतुबंधु, राष्ट्रीय संकाय सदस्य डॉ. सुजाता साराभाई, डॉ. स्मिता, डॉ. अशोक सिंह, डॉ. बीके शर्मा, डॉ. मुकुल कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।

    नए अस्पतालों में मरीजों का तनाव दूर होगा

    स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पहली बार आयोजित राज्य स्तरीय स्वास्थ्य मेले में हजारों लोगों ने विभिन्न जांच सुविधाओं, निःशुल्क दवाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श का लाभ उठाया। स्वस्थ बिहार, समृद्ध बिहार के सपने को साकार करने की दिशा में यह एक ठोस कदम है।

    जन आरोग्य पर्व के नाम से आयोजित इस स्वास्थ्य मेले में इलाज के साथ-साथ मनोरंजन का भी प्रावधान था। संगीत से तनाव दूर करना भी इलाज का एक अहम हिस्सा है। आज राज्य में बन रहे सभी नए अस्पतालों में म्यूजिक सिस्टम की व्यवस्था की गई है। मरीज के तनाव को कम करके इलाज को और भी प्रभावी बनाया जा सकता है।

    जलने से बचाव और प्राथमिक उपचार के तरीके

    पटना: नेशनल एकेडमी ऑफ बर्न्स इंडिया (एनएबीआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन में बिहार-झारखंड समेत देश भर के बर्न्स के क्षेत्र में कार्यरत सभी प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। सीएमई के आयोजक एम्स पटना में प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा सिंह और डॉ. प्रणव ने बताया कि इसमें 200 से ज़्यादा प्लास्टिक सर्जन, रेजिडेंट, नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट और डाइटीशियन शामिल हुए।

    बर्न्स अकादमी की अध्यक्ष, सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली की डॉ. सुजाता साराभाई, लोकनायक अस्पताल, दिल्ली के डॉ. प्रभात श्रीवास्तव, केईएम अस्पताल, मुंबई की डॉ. विनीता पुरी और सचिव, बेंगलुरु की डॉ. स्मिता ने अपने अनुभव साझा किए।

    केजीएमयू, लखनऊ के डॉ. विजय कुमार, एसजीपीजीआई के डॉ. राजीव अग्रवाल, सिलीगुड़ी की डॉ. नीला भट्टाचार्य, गुवाहाटी के डॉ. बीपी शर्मा और महाराष्ट्र के डॉ. रमाकांत ने जटिल मामलों में आधुनिक उपचार तकनीकों पर व्याख्यान दिए। डॉ. वीणा सिंह ने बताया कि सीएमई का उद्देश्य युवा डॉक्टरों को जलने की दुर्घटनाओं की रोकथाम, प्राथमिक उपचार, घाव की ड्रेसिंग, विकृतियों की सर्जरी और जले हुए रोगियों के सामाजिक पुनर्वास की आधुनिक तकनीकों से अवगत कराना था।

    स्किन बैंक के लाभ

    बिहार और पटना में अभी एक भी स्किन बैंक नहीं है। ऐसे में गंभीर रूप से जले हुए रोगियों को दिल्ली, मुंबई, पुणे या दक्षिण भारत के अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। स्किन बैंक होने से राज्य में ही गंभीर रूप से जले हुए रोगियों की स्किन ग्राफ्टिंग की जा सकेगी।

    इससे खुले घावों को ढकने में मदद मिलेगी, जिससे संक्रमण और दर्द का खतरा कम होगा। 60 से 90 प्रतिशत जले हुए रोगियों की जान बचाने के लिए स्किन ग्राफ्टिंग आवश्यक है, जिसके लिए स्किन बैंक होना चाहिए। राज्य की लगभग 13 करोड़ की आबादी और घनी बस्तियों के कारण आग लगने की घटनाएं बड़ी संख्या में होती हैं।