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Health issues: छठ के बाद हृदय रोगियों की बढ़ीं समस्याएं, इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के बेड फुल

ठंढ बढ़ने के साथ ही हृदय रोगियों की समस्‍या बढ़ गई है। इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्‍थान की इमरजेंसी में सभी 30 बेड फुल हो गए हैं। स्थिति यह है कि स्ट्रेचर पर लिटाकर इलाज करना पड़ रहा है।

By Shubh NpathakEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 02:33 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 02:33 PM (IST)
Health issues: छठ के बाद हृदय रोगियों की बढ़ीं समस्याएं, इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के बेड फुल
हृदय के मरीजों को ऐसे मौसम में रखना होगा खास ध्‍यान। जागरण

पटना, जेएनएन। प्रदेश में हृदय रोग के इकलौते सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल आइजीआइसी (इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान) की इमरजेंसी से रोगियों को मायूस लौटना पड़ रहा है। इसका कारण मरीजों को लिटाने के लिए बेड नहीं होना बताया जा रहा है। बताते चलें कि विगत चार दिनों से इमरजेंसी के सभी 30 बेड के अलावा स्ट्रेचर तक में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि ठंड के वृद्धि के साथ हृदय व हाई ब्लड प्रेशर के रोगी अपनी दवाएं नियमित रूप से लेते रहें। बताते चलें कि हृदयाघात की स्थिति में पहले घंटे को गोल्डन ऑवर माना जाता है।    

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रोगियों की अधिक संख्या के कारण काम नहीं आ रहे उपाय

कार्यकारी निदेशक डॉ. सुनील कुमार ने अधिक से अधिक रोगियों का इलाज करने के लिए इमरजेंसी से रोगियों को वार्ड में जल्द शिफ्ट कराने के लिए सुबह के साथ शाम को भी कोरोना जांच शुरू करा दिया है। बावजूद इसके इमरजेंसी में पहुंचने वाले  रोगियों को वापस करना पड़ रहा है। इसी क्रम में चार दिन पूर्व बेगूसराय की महिला की बिना इलाज के मौत हो गई थी।

तीमारदारों की भीड़ पर लगी रोक

मुख्य आकस्मिकी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एके झा ने बताया कि इमरजेंसी से रोगियों को वार्ड में शिफ्ट कराने के लिए सुबह 10 और रात को आठ बजे एंटीजन रैपिड किट से कोरोना की जांच कराई जा रही है। इसके अलावा इमरजेंसी से भीड़ कम करने के लिए एक रोगी के साथ एक परिजन को ही प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। गंभीर रोगियों के साथ दो लोग रह सकते हैं लेकिन उनमें से एक को बाहर रहना होगा।

24 घंटे एंजियोप्लास्टी से भी बढ़ी भीड़

कार्यकारी निदेशक डॉ. सुनील कुमार की पहल पर 20 दिन पूर्व 24 घंटे  एंजियोप्लास्टी सुविधा की शुरुआत हो गई है। इसके लिए संस्थान के सभी सात डीएम (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) की कैथलैब में ड्यूटी लगाई गई है।  इससे पहले संस्थान में रोगी को भर्ती कर हालत स्थिर होने के बाद एंजियोप्लास्टी प्लान की जाती थी। ऐसे में गंभीर रोगियों को आइजीआइएमएस या निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था। सस्ते या मुफ्त में स्टेंट लगवाने की व्यवस्था के कारण भी लोगों की भीड़ बढ़ी है।

सावधानी

  • हृदय, ब्लड प्रेशर व मधुमेह की दवाएं नियमित रूप से लेते रहें।
  • ठंड में धूप निकलने के बाद ही टहलने जाएं।
  • अधिक गर्म माहौल से भी बचें।
  • खानपान में तले-भुने के बजाय सब्जी व सूप आदि ज्यादा लें।
  • ठंड के एक्सपोजर से बचने का प्रयास करें।

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