Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूथ्‍स के सिर चढ़कर बोल रहा 'हाफ गर्लफ्रेंड' का जादू, रविवार तक हाउसफुल

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Fri, 19 May 2017 08:22 PM (IST)

    शेखर भगत की किताब पर आधारित फिल्‍म 'हाफ गर्लफ्रेंड' की पहले दिन से ही धूम मच गई है। सिनेमाघरों में रविवार तक हाउसफुल है।

    यूथ्‍स के सिर चढ़कर बोल रहा 'हाफ गर्लफ्रेंड' का जादू, रविवार तक हाउसफुल

    पटना [जेएनएन]। चेतन भगत की किताब 'हाफ गर्लफ्रेंड' पर आधारित मोहित सूरी की फिल्म 'हाफ गर्लफ्रेंड' शुक्रवार से सिनेमा घर में लग चुकी है। पहले दिन से ही फिल्म युवाओं के सर चढ़कर बोल रही है। फिल्म का क्रेज इस कदर है कि गांधी मैदान का मोना सिनेमा हॉल रविवार तक हाउस फुल है। सोमवार की टिकट के लिए लोग अभी से लाइन में लगे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'हाफ गर्लफ्रेंड' के लिए लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ को फिल्म बिहार से जुड़ी होने के कारण अच्छी लगी तो किसी ने गाने अच्छे बताए। पहले हाफ में फिल्म दर्शकों को बांध रही है। वहीं क्लाईमैक्स फिल्म की कमजोरी बनकर सामने आया है।
    रोशनी के अनुसार फिल्म एक बार देखने लायक है। खासकर बिहार के लोगों को तो जरूर देखनी चाहिए। श्रद्धा कपूर का काम अच्छा है। उनके अनुसार फिल्म की शुरुआत अच्छी है, मगर इस कड़ी को वो आखरी तक नहीं जोड़ सकी।
    पटना की मनीषा ने दो दिन पहले से ही टिकट लेकर रखा था। उन्‍हें फिल्म में कुछ खास नहीं लगा। गाने अच्छे हैं। अर्जुन का बिहारी अवतार भी बेहतर है। फिल्म का पहला हिस्सा देखने लायक है। अंत में फिल्म पूरी तरह से लीक से हट जाती है।
    पटना के अमित कहते हैं कि फिल्म अपनी भाषा से बिहार की याद दिलाती है। बिहारी पृष्ठभूमि के लोगों को यह फिल्म जरूर पसंद आएगी। गाने काफी बेहतर हैं। क्लाइमैक्स काफी रोमांचित करने वाला है। प्यार और दोस्ती के बीच की कड़ी को काफी अच्छे से प्रदर्शित किया गया है।
    संजना कहती हैं कि फिल्‍म की शुरुआत दर्शकों को जोड़ती है। फिल्म में प्यार और दोस्ती की स्थिति को परिभाषित किया गया है। गानों की वजह से फिल्म बेहतर हो गई है। फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती।
    शेखर को फिल्म में बिहार की छवि थोड़ी अलग दिखाई देती है। खासकर युवा फिल्म की कहानी को जरूर अपने से जोड़ सकते हैं। कहानी बांध कर रखती है।