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नेपाल का आंखों देखा हाल- काठमांडू की सड़कों पर अब भी सन्नाटा

छह दिन बाद भी काठमांडू झटके, दहशत और मातम से पूरी तरह उबर नहीं पाया है। शुक्रवार को भी जल्द सुबह जब कंपन महसूस हुआ तो डरावनी यादें फिर से ताजा हो गईं।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 01 May 2015 07:20 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2015 07:27 PM (IST)
नेपाल का आंखों देखा हाल- काठमांडू की सड़कों पर अब भी सन्नाटा

काठमांडू [अरविंद शर्मा]। छह दिन बाद भी काठमांडू झटके, दहशत और मातम से पूरी तरह उबर नहीं पाया है। शुक्रवार को भी जल्द सुबह जब कंपन महसूस हुआ तो डरावनी यादें फिर से ताजा हो गईं, लेकिन वक्त के साथ मन का डर धीरे धीरे अब कमजोर पड़ता जा रहा जा रहा है। यही कारण है कि जिन मुहल्लों में क्षति न के बराबर हुई है वहां के लोग धीरे धीरे सामान्य होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जिन मुहल्लों में सर्वाधिक क्षति हुई है वहां आज भी दहशत का आलम है और मौत का मातम है।

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इस बीच मलबे हटाकर जिंदगियां बचाने का काम शुक्रवार को भी जारी रहा। कलंकी और जोरीपाटी में डोजर लगाकर मलबे हटाए जा रहे हैं। एक ध्वस्त अपार्टमेंट के मलबे से चार शव भी बरामद किए गए हैं। दुर्गम इलाके में राहत और बचाव टीम छह दिन बाद भी नहीं पहुंच सकी है। सिंधुपाल चौक जिले में कई ऐसे गांव हैं, जो भूकंप में पूरी तरह तबाह हो गए हैं। नेपाल प्रशासन भी मान रहा है कि सिंधुपाल चौक जिले के 80 फीसद मकान ध्वस्त हो गए हैं। पहाडिय़ों पर बसे अधिकांश गांवों को ऊपर से टूट कर गिरे चट्टानों ने कुचल दिया है। हफ्ते भर में भी इलाज की सुविधा नहीं पहुंचने से इन गांवों के लोग तिल तिल कर मर रहे हैं। यहां राहत पहुंचाने का काम शुक्रवार को भी जारी रहा, लेकिन दुर्गम में कई ऐसे गांव हैं जहां सेना भी नहीं पहुंच रही है।

काठमांडू में सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में दोपहर में भी सन्नाटा है। नया वानेश्वर, बसुंधरा, सीता पाइला, कलंकी, जोरीपाटी, बलाजू, गोंडाबू की सड़कों पर इक्के-दुक्के राहगीर एवं वाहन दिख रहे हैं। सबसे ज्यादा दहशत तो ऊंचे भवनों में रहने वाले लोगों के दिल में है। यही कारण है कि काठमांडू की 90 फीसद बहुमंजिली इमारतें आज भी खाली हैं। उनमें रहने वाले लोग या तो अपने गांव चले गए हैं या टेंटों में डेरा जमा रखा है। काठमांडू छोड़कर भागने का सिलसिला अभी भी कम नहीं रहा। तिल गंगा के खाली मैदान में बिहार और उत्तर प्रदेश की सैकड़ों बसें खड़ी हैं। इनमें बैठने के लिए दोनों राज्यों के लोग सुबह से ही कतार में खड़े हैं।

काठमांडू में कंपन की गति कम हो गई है, लेकिन स्कूल, कॉलेज, व्यापारिक प्रतिष्ठान अभी भी बंद हैं। छोटे दुकानदारों ने जरूर हिम्मत दिखाई है, जिनकी दुकानों के शटर उठने के बाद बाजार में कुछ रौनक अवश्य आ गई है।


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