बिहार में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दे रही बिजली कंपनी, इन दो जिलों में होगा काम शुरू
बिजली कंपनी ने अक्षय ऊर्जा वाले क्षेत्रों में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के लिए ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की संभावना तलाशी है। लखीसराय के कजरा में सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना के बाद यह काम शुरू हो सकता है। पावर ग्रिड ने 2012 में इसकी अवधारणा दी थी। बांका और लखीसराय में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर पर काम शुरू होने की संभावना है क्योंकि यहां अक्षय ऊर्जा की प्रचुरता है।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिजली कंपनी ने ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर की स्थापना के लिए ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की संभावना तलाशनी शुरू कर दी है। यह लाइन उन इलाकों में बिछाई जाएगी जहाँ अक्षय ऊर्जा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
संभावना है कि लखीसराय के कजरा में बन रही देश की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना के पूरा होने के बाद ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के लिए ट्रांसमिशन लाइन का काम शुरू हो जाएगा।
क्या है ग्रीन एनर्जी?
ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर की अवधारणा सितंबर 2012 में अस्तित्व में आई थी। पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी थी।
इस अवधारणा के तहत, जिस क्षेत्र में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा या जल विद्युत से संबंधित इकाई है और जहां अक्षय ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है, वहां ऐसी ट्रांसमिशन लाइनों की व्यवस्था की जानी चाहिए जो केवल अक्षय ऊर्जा का ही संचरण करती हों। राज्यों को अपने स्तर पर इसके लिए ट्रांसमिशन लाइनों की व्यवस्था करनी चाहिए।
बांका और लखीसराय क्षेत्र में शुरू हो सकता है ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर
बांका और लखीसराय क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर पर काम शुरू होने की संभावना है। लखीसराय के कजरा में देश की सबसे बड़ी बैटरी स्टोरेज सौर ऊर्जा उत्पादन इकाई स्थापित की जा रही है।
वहां दो इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। पहले चरण में स्थापित की जा रही इकाई की उत्पादन क्षमता 185 मेगावाट है। दूसरे चरण में स्थापित की जाने वाली इकाई की क्षमता 116 मेगावाट है।
इस लिहाज से आने वाले समय में इस क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा की प्रचुरता होगी। यह क्षेत्र ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के मानदंडों पर सर्वश्रेष्ठ बनेगा। बांका में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा उपलब्ध है। ऐसे में यहाँ भी ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर की संभावना है।
बिजली कंपनी उन क्षेत्रों की पहचान कर रही है जहां ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर शुरू किया जा सकता है। बिहार में पवन ऊर्जा उत्पादन इकाई नहीं है, इसलिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के तहत सौर ऊर्जा को पूरी तरह ध्यान में रखा जा रहा है।
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