Bihar News: सैलरी का इंतजार कर रहे यूनिवर्सिटी के शिक्षकों-कर्मियों के लिए गुड न्यूज, 453 करोड़ का अनुदान जारी
बिहार के 13 विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए शिक्षा विभाग 453 करोड़ रुपये का अनुदान जारी करेगा। यह राशि मार्च से मई तक के वेतन के लिए है। शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग से सहमति मांगी है जिसके बाद राशि जारी की जाएगी। इस अनुदान से विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को राहत मिलेगी। विश्वविद्यालयों के शिक्षकों-कर्मियों को वेतनादि का भुगतान होगा।

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी 13 विश्वविद्यालयों को तीन माह के 453 करोड़ 34 लाख रुपये की अनुदान राशि मिलेगी। यह अनुदान राशि मार्च से चालू मई तक की होगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग को अनुदान राशि की स्वीकृति के लिए संचिका भेजी है।
वित्त विभाग की सहमति के बाद जारी होगी राशि
वित्त विभाग की सहमति के बाद शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालयों को राशि जारी होगी। इस राशि से संबंधित विश्वविद्यालयों और उसके अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को मार्च से मई तक के वेतनादि का भुगतान होगा।
उच्च शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि वित्त विभाग से शिक्षा विभाग के अनुदान मांग संबंधी प्रस्ताव पर सहमति मिलते ही अगले सप्ताह राशि जारी कर दी जाएगी।इस अनुदान में विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान की राशि शामिल है।
इसके अतिरिक्त सेवानिवृत शिक्षतों और कर्मचारियों को भी विगत मार्च से मई माह तक के पेंशन की राशि का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा विश्वविद्यालयों के विकास मद में भी राशि जारी की जाएगी।
इन विश्वविद्यालयों ने की थी वेतन भुगतान की मांग
संबंधित 13 पारंपरिक विश्वविद्यालयों में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, बीआर आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय।
दरभंगा, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा, पूर्णिया विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय एवं मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, पटना शामिल हैं। शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन एवं पेंशन भुगतान लंबित रहने से इनके संगठनों ने राशि भुगतान की मांग शिक्षा मंत्री से की थी।

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