Mata Sita Temple: पुनौराधाम में दिखेगी माता सीता की जीवन-गाथा, भव्य मंदिर का ब्लूप्रिंट तैयार
अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर सीतामढ़ी के पुनौराधाम में माता जानकी का भव्य मंदिर बनेगा। मंदिर परिसर में संग्रहालय वेद पाठशाला पुस्तकालय धर्मशाला और जानकी कुंड घाट होंगे। 882 करोड़ की लागत से बनने वाले इस मंदिर का निर्माण बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम करेगा। मंदिर में मिथिला हाट ऑडिटोरियम और सुरक्षा व्यवस्था भी होगी। बाहरी परिसर में लैंडस्केपिंग और अन्य सुविधाएं होंगी।
कुमार रजत, पटना। अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तर्ज पर सीतामढ़ी के पुनौराधाम में बनने वाले माता जानकी के भव्य मंदिर का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। माता सीता की जन्मस्थली पर बनने वाले इस मंदिर परिसर में वृहद संग्रहालय भी होगा जिसमें माता सीता के जन्म से लेकर वनवास और फिर वाल्मीकि आश्रम में बिताए गए जीवन-प्रसंग की झलक दिखेगी।
वेदों की जानकारी देने के लिए वेद पाठशाला और पुस्तकालय का निर्माण भी किया जाएगा। तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए शानदार धर्मशाला एवं सुविधा केंद्र भी बनाया जाएगा। इसके अलावा मंदिर के ठीक पीछे माता जानकी कुंड घाट के निर्माण की योजना है। इसके पास ही यज्ञ मंडप एवं अनुष्ठान मंडप का निर्माण किया जाएगा। सीता रसोई और प्रसाद भोग स्थल भी होगा।
पर्यटन विभाग के अनुसार, अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के विकास की कार्ययोजना बनाने में शामिल एजेंसी ने ही माता जानकी मंदिर के डिजाइन कंसल्टेंट की जिम्मेदारी निभाई है। अगले माह अगस्त में मंदिर निर्माण के शिलान्यास के साथ निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
पुनौराधाम में माता जानकी के मंदिर का निर्माण 882 करोड़ की राशि से किया जाएगा। इसके निर्माण की जिम्मेदारी बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम को दी गई है। पहले माता जानकी के मंदिर निर्माण के लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद की नियंत्रणाधीन 17 एकड़ जमीन ही थी। इसके बाद मंदिर के भव्य स्वरूप को देखते हुए राज्य सरकार ने 50 एकड़ और जमीन का अधिग्रहण करने का निर्णय लिया, जिसके लिए 120 करोड़ की राशि अलग से दी गई है।
मिथिला हाट के साथ ऑडिटोरियम भी बनेगा:
माता जानकी का भव्य मंदिर में मिथिला की लोक-संस्कृति की भी झलक दिखेगी। इसके लिए मंदिर परिसर में मिथिला हाट का भी निर्माण किया जाएगा। इसमें मिथिला के लोक कलाकारों और उनके उत्पादों को भी जगह दी जाएगी ताकि यहां आने वाले देश-विदेश के पर्यटक मधुबनी पेंटिंग सहित मिथिला की लोककलाओं से परिचित हो सकें। सांस्कृतिक आयोजनों के लिए ऑडिटोरियम एवं भजन संध्या स्थल का निर्माण किया जाएगा।
मंदिर परिसर में मुख्य पुजारी से लेकर अन्य कर्मियाें के विश्राम के लिए भी जगह बनाई जाएगी। मुख्य पुजारी, मंदिर के कर्मियाें और श्रद्धालुओं के विश्राम की अलग-अलग व्यवस्था होगी। फूड कोर्ट और कैफेटेरिया भी होगा। सुरक्षा-व्यवस्था सृदृढ हो इसके लिए परिसर में ही पुलिस बूथ, फायर स्टेशन, वॉच टावर आदि बनाए जाएंगे। मंदिर के बाहरी परिसर को शानदार लैंडस्कैप, पेड़-पौधों से सुसज्जित किया जाएगा।
यह होगा मंदिर परिसर का आंतरिक हिस्सा:
माता जानकी कुंड घाट, यज्ञ मंडप एवं अनुष्ठान मंडप, प्रसाद भोग और रसोई, वेद पाठशाला और पुस्तकालय, संत निवास, मुख्य पुजारी आवास, तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, कैफेटेरिया एवं फूड कोर्ट, आडिटोरियम, ढका हुआ कॉरिडोर, भजन संध्या स्थल, भंडारा, मेला मैदान स्टेज, तीर्थयात्रियों के लिए विश्राम गृह, एडमिन एवं ट्रस्ट कार्यालय, कर्मियों का विश्रामगृह, स्टाफ कैंटीन, मिथिला हाट, पुलिस बूथ, वाच टावर, फायर स्टेशन, गार्ड रूम, गेट-वे, शौचालय आदि।
बाहरी परिसर में होंगे ये काम: पाथ-वे और पार्किंग, मंदिर कोर्टयार्ड, लैंडस्केप एवं पौधरोपण, बैठने के लिए बेंच, पेयजल, स्टार्म वाटर ड्रेनेज, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, भूमिगत संप टंकी, चारदीवारी, सड़क निर्माण आदि।
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