2006 से 2012 के बीच नियुक्त नियोजित शिक्षकों को मिले ग्रेजुएट प्रशिक्षित वेतनमान : हाई कोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले से राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह वर्ष 2012 से पहले विभिन्न मध्य विद्यालयों में नियुक्त नियोजित शिक्षकों को ग्रेजुएट प्रशिक्षित वेतनमान प्रदान करे।पद के अनुरूप वेतनमान और सभी आवश्यक लाभ दिए जाएं जिससे उनके संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 14 16 और 21) की रक्षा हो सके।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले से राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह वर्ष 2012 से पहले विभिन्न मध्य विद्यालयों में नियुक्त नियोजित शिक्षकों को ग्रेजुएट प्रशिक्षित वेतनमान प्रदान करे। यह आदेश न्यायाधीश पूर्णेदु सिंह ने याचिकाकर्ता राजेश कुमार पांडेय की ओर से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वे शिक्षक जो वर्ष 2006 से 2012 के बीच पंचायत शिक्षक/नियोजित शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए हैं, और जिनके पास ग्रेजुएट प्रशिक्षित या समकक्ष योग्यता है, उन्हें उस पद के अनुरूप वेतनमान और सभी आवश्यक लाभ दिए जाएं, जिससे उनके संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 14, 16 और 21) की रक्षा हो सके।
78 पृष्ठों के इस विस्तारपूर्ण निर्णय में अदालत ने कहा कि शिक्षा विभाग को निष्पक्ष एवं समान व्यवहार करते हुए तीन महीने की अवधि के भीतर यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी। न्यायालय ने शिक्षा विभाग के उस आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें 2012 के नियमों के आधार पर याचिकाकर्ता को ग्रेजुएट प्रशिक्षित वेतनमान देने से इंकार किया गया था।
याचिकाकर्ता ने यह मामला उठाया था कि वर्ष 2005 में उन्हें पंचायत शिक्षा मित्र के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन 2012 के नियमों के लागू होने के बावजूद उन्हें ग्रेजुएट ग्रेड और इसके तहत संशोधित वेतन तथा एरियर का लाभ नहीं दिया गया। इस ऐतिहासिक फैसले से हजारों नियोजित शिक्षकों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से वेतन विसंगति और असमानता के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे।
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