Move to Jagran APP

बिहार में बालू ठीकेदारों के लिए सरकार ने नियम किए सख्त, ढुलाई को लेकर बनाई नई व्यवस्था

खान एवं भू-तत्व विभाग ने 28 जिलों में अगले पांच वर्ष के लिए बालू घाटों की बंदोबस्त प्रक्रिया प्रारंभ की है। सड़क परिवहन उच्च मार्ग मंत्रालय के निर्देश पर बालू ढुलाई वाले वाहनों पर जीपीएस लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Akshay PandeyPublished: Sun, 09 Oct 2022 08:58 PM (IST)Updated: Sun, 09 Oct 2022 08:58 PM (IST)
बिहार में बालू ठीकेदारों के लिए सरकार ने नियम किए सख्त, ढुलाई को लेकर बनाई नई व्यवस्था
बिहार में बालू वाहनों पर जीपीएस लगाना होगा। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना : प्रदेश के 28 जिलों में बालू घाटों के बंदोबस्त की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। कुछ जिलों में 10 से 11 अक्टूबर के बीच टेंडर को अंतिम रूप दिया जाएगा तो कुछ जिलों में यह प्रक्रिया 17-20 अक्टूबर के बीच पूरी होगी। इस बीच खान एवं भू-तत्व विभाग ने ठीकेदारों के लिए बालू ढुलाई के नियम और सख्त कर दिए हैं। नई व्यवस्था में जिन ठीकेदारों को बालू घाटों की बंदोबस्ती मिलेगी उन्हें बालू की ढुलाई के पूर्व अपने सभी वाहनों पर जीपीएस लगान होगा। इसके साथ ही इसके साथ ही संबंधित वाहनों पर लोड शेल उपकरण भी अनिवार्य रूप से लगाना होगा।

prime article banner

पांच वर्ष के लिए बालू घाटों की बंदोबस्त प्रक्रिया प्रारंभ

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर जिलावार बनी जिला सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) के आधार पर खान एवं भू-तत्व विभाग ने 28 जिलों में अगले पांच वर्ष के लिए बालू घाटों की बंदोबस्त प्रक्रिया प्रारंभ की है। पहली बार नई नियमावली के तहत हो रही बंदोबस्त में नदियों को कई हिस्सों में बांटा गया है। लक्ष्य है कि अधिक से अधिक लोगों को बालू के ठीके प्राप्त हो सकें। जिलों में बालू घाटों की जारी बंदोबस्त प्रक्रिया के बीच विभाग ने आदेश जारी किया है कि जिन ठीकेदारों को घाटों की बंदोबस्त मिलेगी उन्हें बालू खनन के बाद इसकी ढ़लाई के पूर्व अपने वाहनों में जीपीएस लगाना होगा। जीपीएस वाहनों के की मानीटरिंग मुख्यालय स्तर पर होगी। इसके साथ ही वाहनों पर लोड शेल भी लगाना होगा। 

बालू ढुलाई वाले वाहनों पर जीपीएस लगाने के निर्देश

विभाग के सूत्रों ने बताया सड़क परिवहन उच्च मार्ग मंत्रालय के निर्देश पर बालू ढुलाई वाले वाहनों पर जीपीएस लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। जीपीएस लगे वाहनों की मुख्यालय स्तर पर ट्रैकिंग की व्यवस्था रहेगी। इस व्यवस्था के प्रभावी होने से जहां यह पता करना आसान होगा कि बालू लदे ट्रक या ट्रैक्टर का गंतव्य क्या है, वहीं यह भी पता किया जा सकेगा कि बालू की अवैध ढुलाई तो नहीं हो रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.