Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Jamin Jamabandi: जमाबंदी सुधार के मामले में अंचलाधिकारियों के लचर रुख पर सरकार सख्त, ACS ने लिया एक्शन

    Updated: Tue, 13 Aug 2024 05:15 PM (IST)

    जमाबंदी सुधार के मामले में अंचलाधिकारियों के लचर रुख पर सरकार सख्त हो गई है। अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। अपर मुख्य सचिव का यह पत्र आवेदनों की ऑनलाइन समीक्षा के आधार पर लिखा गया है। समीक्षा में पाया गया कि रैयतों की ओर से साक्ष्य देने के बाद भी बड़ी संख्या में आवेदन लौटा दिए गए या उसमें मापी की आवश्यकता बताई गई।

    Hero Image
    अंचलाधिकारियों के लचर रुख पर सरकार सख्त हो गई है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, पटना। डिजिटाइज्ड जमाबंदी में सुधार के लिए आए आवेदनों पर अंचलाधिकारियों के लचर रुख पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने नाराजगी जताई है। सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे परिमार्जन प्लस पोर्टल पर आने वाले आवेदनों का प्रभावी निष्पादन सुनिश्चत करें। इसे रैयतों के लिए सुगम बनाएं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अपर मुख्य सचिव का यह पत्र आवेदनों की ऑनलाइन समीक्षा के आधार पर लिखा गया है। समीक्षा में पाया गया कि रैयतों की ओर से साक्ष्य देने के बाद भी बड़ी संख्या में आवेदन लौटा दिए गए या उसमें मापी की आवश्यकता बताई गई।

    उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर हो जमाबंदी में सुधार

    पत्र में पूर्व में दिए गए आदेशों का विवरण देते हुए कहा गया है कि जमीन की मापी को अपवाद के रूप में लेना चाहिए। प्रयास यह हो कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर जमाबंदी में सुधार किए जाएं। असल में ऑफलाइन एवं ऑनलाइन जमाबंदियों में एकरूपता न रहने के कारण रैयत इसमें सुधार के लिए आवेदन करते हैं।

    ये त्रुटियां खेसरा, रकबा, रैयत का नाम आदि में होती है। इसके लिए रैयतों से खतियान, एलपीसी, लगान रसीद, दाखिल-खारिज अभिलेख, केवाला, अंचल पंजी की सत्यापित प्रति, पर्चा या स्वामित्व से जुड़े किसी अन्य दस्तावेज की मांग की जाती है। रैयतों की शिकायत यह भी है कि पर्याप्त साक्ष्य रहने के बाद भी उनके आवेदन लौटा दिए जाते हैं।

    पत्र में कहा गया है कि मापी की प्रक्रिया उसी हालत में अपनाई जाए, जब रैयत के पास पर्याप्त दस्तावेजी साक्ष्य नहीं हो।

    समीक्षा में यह तथ्य भी उभर कर आया कि दस्तावेजी साक्ष्य पर ध्यान दिए बिना रुटीन तरीके से मापी की अनुशंसा की जा रही है। ऐसे आवेदनों को भी लौटाया जा रहा है, जिनमें रैयत के स्तर पर त्रुटि सुधार करने की गुंजाइश नहीं रहती है।

    ये भी पढ़ें- Bihar Bhumi: सीलिंग एक्ट से बचने के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे भू-माफिया, अधिकारी और नेता दे रहे जालसाजी में साथ

    ये भी पढ़ें- Greenfield Township: पटना, मुजफ्फरपुर समेत नौ शहरों में बसेगी ग्रीनफील्ड टाउनशिप, सितंबर से शुरू होगा भू-अर्जन

    comedy show banner
    comedy show banner