Gopal Khemka Murder: मालसलामी में छिपा, घटना के अगले दिन गंगा पथ पर... खेमका हत्याकांड में शूटर उमेश के कई खुलासे
गोपाल खेमका हत्याकांड के आरोपी अशोक साव और शूटर उमेश यादव घटना के बाद भी पटना में ही रुके रहे। उमेश ने खेमका को गोली मारने के बाद मालसलामी स्थित अपने ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, पटना। गोपाल खेमका की हत्या करने के आरोपित मास्टरमाइंड अशोक साव और शूटर उमेश यादव दोनों ही घटना के बाद भी पटना में ही रुके हुए थे।
उमेश यादव रात करीब 11:40 में गांधी मैदान के पास गोपाल खेमका को गोली मारने के बाद उसी मोटरसाइकिल से वापस पटना सिटी के मालसलामी के जलकद्दर बाग स्थित अपने घर चला गया था। वहीं अशोक साव पटना संग्रहालय के पास उदयगिरी अपार्टमेंट में रुका था।
दोनों का आत्मविश्वास इस कदर था कि हत्या के महज नौ घंटे के बाद ही दोनों अगली सुबह ही जेपी गंगा पथ पर मिले भी थे। शूटर उमेश यादव ने पुलिस पूछताछ में हत्या की बात स्वीकार करते हुए पूरी घटना की जानकारी दी है।
गोपाल खेमका की दिनचर्या थी कि वह रोज शाम में आठ बजे बांकीपुर क्लब जाते थे और रात करीब 11:30 बजे खुद गाड़ी चलाकर घर वापस आते थे। क्लब से निकलते समय उनके दोस्त सुदेश सरिन भी साथ होते थे जिन्हें वह बाकरगंज मोड़ पर उतार देते थे।
चार जुलाई को उमेश रात करीब 11:30 बजे बांकीपुर क्लब पहुंचा। वहां गोपाल खेमका की गाड़ी देख वह उनकी आवास की ओर बढ़ गया और उनके आने का इंतजार करने लगा। कुछ समय बाद गोपाल खेमका खुद गाड़ी चलाते हुए अपार्टमेंट के गेट पर आए और जैसे ही रुके उसने शीशे में सटाकर गोली मार दी।
इसके बाद वह मोटरसाइकिल से जमाल रोड, बाईपास थाने के सामने मालसलामी देवी स्थान होते हुए अपने घर चला गया और हथियार को अपने घर के ऊपर वाले कमरे में छिपा दिया। हत्या के पहले उसे 50 हजार रुपये एडवांस मिले थे।
हत्या के अगले दिन पांच जुलाई को सुबह करीब आठ बजे उमेश जेपी गंगा पथ पर मालसलामी घाट के पास पहुंचा और अशोक साव का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद अशोक साव वहां पहुंचे और सुपारी की बाकी राशि तीन लाख 50 हजार रुपये दिए। इसके साथ मोबाइल भी दिया मगर उसमें सिम नहीं लगा था। इसके बाद दोनों अपने घर चले गए।
बांकीपुर क्लब में लगे कैमरों का नहीं मिला बैकअप
चर्चित उद्योगपति गोपाल खेमका हत्याकांड की जांच में जुटी एसआइटी सबसे पहले बांकीपुर क्लब पहुंची थी। खेमका वहीं से घर के लिए निकले थे।
कैमरा देख सीसीटीवी फुटेज देखने का प्रयास किया। पुलिस तब हैरान हो गई, जब पता चला कि कैमरों तो लगे है, लेकिन डीवीआर में एक दिन का बैकअप तक नहीं रखा जाता था। इसके बाद पुलिस को निजी कैमरों को खंगालना पड़ा।
रेंज आइजी जितेंद्र राणा ने बताया कि जांच में यह बातें सामने आई है कि बांकीपुर क्लब में सीसीटीवी कैमरों का कोई बैकअप रखा गया था। बैकअप क्यों नहीं है, इसके लिए नोटिस दिया जाएगा।
सात मिनट में पीछा, छह सेकेंड में मारी गोली
शूटर को यह जानकारी मिल चुकी थी गोपाल खेमका की दिनचर्या थी कि वह खुद गाड़ी चलाकर बांकीपुर जाते थे और घर वापस आते थे। चार जुलाई की रात 11.30 बजे बांकीपुर क्लब पहुंचा तो खेमका की गाड़ी देखा। उसे पता था कि वह बस कुछ ही देर में वहां से आवास के लिए निकलेंगे।
वह तुरंत कटारूका आवास के गेट के बाहर पहुंच गया। दो कार के बीच बाइक खड़ी कर उनकी गाड़ी के आने का इंतजार करने लगा। उसे इस बात की भी जानकारी थी कि गेट पर वह कुछ देर के लिए कार रोकेंगे, ताकि गेट खुल सके।
वहीं गार्ड को गेट तक आने में 50 से 55 सेकंड लगता, लेकिन उसके लिए घटना को अंजाम देने के लिए कुछ सेकेंड की जरूरत थी।

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