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    राजगीर, गया और नवादा की 11 लाख आबादी का प्‍यास बुझाएगी गंगा, जानें गंगा उद्वह योजना की हर बड़ी बात

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Sat, 17 Jul 2021 01:57 PM (IST)

    गया और नालंदा जिले के जलसंकट के समाधान के लिए 190 किलोमीटर पाइपलाइन के जरिये गंगा नदी का पानी मोकामा के मराची से राजगीर होते हुए गया तक लाया जाएगा। इसका निर्माण अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस कर वर्ष 2051 तक की आबादी को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।

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    गंगा उद्वह योजना के तहत बन रहा वाटर ट्रीटमेंट प्‍लांट। जागरण

    राजगीर (नालंदा), संवाद सहयोगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना, गंगा उद्वह योजना का काम युद्ध स्तर पर जारी है। बिहार के गया और नालंदा जिले के जलसंकट के समाधान के लिए 190 किलोमीटर पाइपलाइन के जरिये गंगा नदी का पानी मोकामा के मराची से राजगीर होते हुए गया तक लाया जाएगा। इसका निर्माण अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस कर वर्ष 2051 तक की आबादी को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। बता दें कि यह परियोजना बिहार के कैबिनेट से पास हुई थी।

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    फल्‍गु नदी तक जाएगा गंगा का पानी

    2836 करोड़ रुपए की लागत से इस योजना में पटना जिले के मोकामा के पास मराची के निकट से गंगा नदी का पानी सरमेरा, बरबीघा होते हुए राजगीर अनुमंडल क्षेत्र के गिरियक प्रखंड के घोड़ाकटोरा झील में पानी को गिराया जाएगा। यहां से पानी को गया जिले के फल्गु नदी तक ले जाया जायेगा। इसके लिए मराची से गया तक के सड़क के किनारे 190 किमी लंबी पाइपलाइन बिछायी जा रही है।

    मोटर पंप के सहारे ऊंचाई की ओर जाएगा पानी

    सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुशील प्रकाश ने जानकारी दी कि 190 किलोमीटर पाइपलाइन का काम 90 फीसदी पूरा कर लिया गया है। मराची से 67 राजगीर तक की दूरी में से 52 किलोमीटर पाइपलाइन नालंदा जिला के सरमेरा, बिंद, रहुई, बिहार शरीफ के बाद बाईपास तुंगी होते हुए महानंदपुर, मणियांवा, नानंद, चमरडीहा होते गिरियक कैनाल पर से घोड़ा कटोरा डैम तक काम हो चुका है। इसके बीच में छिटपुट ढंग से कहीं गैप क्लोजिंग तो कहीं कैनाल क्लोजिंग का काम बाकी है। गंगा नदी की सतह नीची है और राजगीर पहाड़ी इलाका है, इसलिए पानी खुद बहाव के साथ नहीं पहुंचेगा, इसके लिए मोटर पंप लगाए जाएंगे।

    500 से अधिक मजदूर लगातार कर रहे काम

    दूसरी तरफ गिरियक के घोड़ा कटोरा में डैम का निर्माण 50 से अधिक फीसदी तक किया जा चुका है। उपरौरा में वाटर सर्च टैंक का भी काम 60 फीसद तक किया जा चुका है। इस टैंक से प्रेशर से वाटर को रिलीज किया जाएगा। घोड़ा कटोरा में रिजर्वायर भी बनाया जा रहा है। इस पूरी परियोजना में लगभग 4 सौ से भी अधिक मजदूर काम पर लगे हैं। वहीं गिरियक के घोड़ा कटोरा डैम आदि निर्माण में 10 अधिकारी, पदाधिकारी और इंजिनियर के अलावे सौ से अधिक मजदूर जुटे हैं।

    हाथीदह में पंप हाउस का निर्माण अंतिम चरण में

    वहीं निर्माण स्थल पर भारी मशीनों, मालवाहक सहित मालढुलाई वाले वाहनों से काम लिया जा रहा है। इसमें 30 टीपर्स, 15 एस्केवेटर, 2 डोजर, 3 रोलर, 2 एस्क्रेटर के अलावे पर्याप्त संख्या में हाईवा और ट्रैक्टर सहित मालवाहक आदि मशीनें काम पर लगी हैं। उधर हाथीदह में पंप हाउस का निर्माण अंतिम चरण में है। इसमें केवल मोटर आदि मैकेनिज्म का इंस्टालेशन किया जाना है।

    घोड़ा कटोरा में जल संरक्षण के लिए बन रहा डैम

    नवादा जिले के म़ोतनाजे गांव में डब्ल्यूटीपी का निर्माण हो रहा है। इसी कड़ी में गया जिले के तेतर में निर्माणाधीन रिजर्वायर का काम भी बड़ी तेजी से चल‌ रहा है। अभी घोड़ाकटोरा के 354 एकड़ में जल भंडारण के लिए डैम का निर्माण जारी है। इस एरिया में रिजर्वायर एंड ड्रेन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर सर्च टैंक, बांध के समीप बोल्डर पीचिंग, टो ग्रैंड, रिक रौक सहित अन्य साईट पर काम चल रहा है।

    ट्रायल रन की अवधि बढ़ाई जा सकती है

    सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुशील प्रकाश ने बताया कि ट्रायल रन सितंबर माह में निर्धारित था, मगर कोरोना काल के कारण काम में पहुंची बाधा के कारण इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल ट्रायल रन का निर्धारित लक्ष्य सितंबर माह ही माना जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि अगर मौसम अनुकूल रहा, तो काम की प्रगति के हिसाब से ट्रायल रन का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर काम के दौरान 10 से भी ज्यादा दिनों तक लगातार बारिश होती रही, तो कार्य प्रगति प्रभावित हो सकती है।

    कोरोना काल में प्रभावित हुआ है परियोजना का लक्ष्य

    सहायक अभियंता सुशील प्रकाश ने यह भी बताया कि कोरोना काल की पहली और दूसरी लहर के कारण काम बाधित हुआ है। दूसरी लहर के दौरान कंस्ट्रक्शन साइट पर काम में जुटे अधिकारी, पदाधिकारी और इंजिनियर की टीम संक्रमित हो गए थे। इसके कारण सभी को होम आइसोलेशन में रहना पड़ा। और दोनों हीं लहर के लाकडाउन की वजह से विभिन्न साइटों का काम बंद हो गया था। वर्तमान में पाइपलाइन बिछाने के 90 फीसदी तक काम को संपन्न कर लिया गया है।

    गंगा जलापूर्ति योजना एक नजर में

    पहले चरण में मरांची गांव के निकट से गंगा जल को उद्वाह कर मराची-सरमेरा-बरबीघा-गिरियक, गिरियक-राजगीर, गिरियक-वानगंगा-तपोवन-जेठियन-बिकैयपुर-दशरथ मांझी पास, वजीरगंज-गया के रास्ते पाइप लाइन के माध्यम से गया, बोधगया और राजगीर के लिए पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

    अबगिल्‍ला पहाड़ी में बनेगा जलाशय

    वहीं राजगीर के घोड़ाकटोरा झील और पंचाने नदी के बीच बांध का निर्माण, मोहरा प्रखंड के तेतर पंचायत में बिकैयपुर गांव के पास पहाड़ी के नजदीक बांध का निर्माण तथा गया के मानपुर स्थित अबगिल्ला पहाड़ी में जलाशय का निर्माण कर जल भंडारण किया जाएगा। इसमें राजगीर के घोड़ा कटोरा क्षेत्र में 9.81 एमसीएम यानि मिलियन क्यूबिक मीटर की क्षमता का जलाशय, गया के तेतर में 18.53 एमसीएम और अबगिल्ला पहाड़तल्ली में 1.29 एमसीएम की क्षमता का जलाशय तैयार किया जा रहा है।

    तीन चरण में संपन्न होगी यह परियोजना

    गौरतलब है कि यह परियोजना तीन चरण में पूरी होगी। पहले चरण में पेयजल परियोजना पर काम हो रहा है। घोड़ाकटोरा के निर्माणाधीन डैम में ड्रिंकिंग वाटर के लिए 9.81 एमसीएम पानी के स्टोरेज की व्यवस्था की जा रही है। यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। घोड़ाकटोरा में टाउन वाइज वाटर स्टोरेज टैंक बनाए जाएंगे। प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद डब्ल्यूटीपी से प्यूरीफाई करने के बाद वाटर सप्लाई होगी।

    राजगीर, नवादा व गया को होगा फायदा

    यह परियोजना आगामी वर्ष 2051 तक की आबादी को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस योजना में चिह्नित किए गए नालंदा के राजगीर सहित गया और नवादा जिले के लोगों को स्वच्छ पेयजल के रूप में पवित्र गंगा का जल उपलब्ध होने लगेगा। सिंचाई विभाग के पापुलेशन सेंसेक्स सर्वे के मुताबिक वर्ष 2051 तक गया व बोधगया को मिलाकर कुल 9 लाख 94 हजार 3 सौ 12 तथा राजगीर क्षेत्र के 1 लाख 42 हजार 1 सौ 79 की जनसंख्या को इस योजना का लाभ लक्षित किया गया है।

    विभागीय सूत्रों के मुताबिक राजगीर नगर परिषद क्षेत्र के रिहायशी इलाके में छह हजार 650 हाउस होल्ड कनेक्शन दिया जाना है। योजना में प्रमुख संस्थानों में नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार पुलिस एकेडमी, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम सह स्पोर्ट्स एकेडमी, फिल्म सिटी, सीआरपीएफ कैंप में पेयजलापूर्ति होगी।

    बरसात में गंगा का पानी घोड़ा कटोरा डैम में किया जाएगा स्टोर

    इस योजना में मानसून के चार महीने यानि बरसात में गंगा की उफनती धाराओं के पानी को प्रोजेक्ट इंफ्रास्ट्रक्चर मैकेनिज्म तथा पाइप लाइन के माध्यम से घोड़ा कटोरा डैम में स्टोर किया जाएगा। बाढ़ के दिनों में जब गंगा का जलस्तर बढ़ जाता है। तब राज्य सरकार गंगा से पानी लेकर राजगीर, नवादा और गया पहुंचायेगी। गंगा का जलस्तर कम रहने पर पानी की आपूर्ति रोक दी जाएगी। बरसात के चार माह में गंगा नदी से पानी लाया और उसे भंडारण किया जाएगा। यही पानी गया, नवादा और नालंदा जिले में साल भर इस्तेमाल होगा।

    गंगाजल आपूर्ति शुरू होते सबमर्सिबल मोटर और डीप बोरिंग दंडनीय अपराध

    इस परियोजना के शुरू होते ही राजगीर में अब सबमर्सिबल तथा डीप बोरिंग दंडनीय अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। बता दें कि राजगीर के विभिन्न कुंड के गर्मजल झरने और धाराओं सहित सभी जलस्रोतों ने दम तोड़ दिया था। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि इस परियोजना से अब पानी की समस्या समाप्त हो जाएगी। इससे राजगीर का भू गर्भ जल का खजाना अपने मूल अस्तित्व में रहेगा। इस परियोजना के लाभ मिलते हीं लोगों के लिए सबमर्सिबल डीप बोरिंग करना दंडनीय अपराध हो जाएगा।