मनेर में गंगा का कहर, कटाव से एक दर्जन गांव नदी में विलीन
मनेर विधानसभा क्षेत्र में गंगा नदी के कटाव से एक दर्जन गांव और हजारों एकड़ कृषि भूमि नदी में विलीन हो गई है। कटाव पीड़ितों की मांग है कि उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाए। स्थानीय विधायक ने कटाव रोधी कार्यों के लिए आवाज उठाई है, लेकिन अपेक्षित कार्य नहीं हो सके हैं।

मनेर में गंगा का कहर
उमा शंकर गुप्ता,मनेर। मनेर विधानसभा क्षेत्र में कटाव एक गंभीर समस्या बन चुकी है। कटाव के कारण लगभग एक दर्जन गांव और हजारों एकड़ कृषि भूमि गंगा नदी में विलीन हो गई है।
हालांकि, कटाव रोकने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन खेत खलिहान लगातार नदी में समाते जा रहे हैं। इससे आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, कटाव पीड़ितों की मांग है कि उनके समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाए।
गंगा नदी के कटाव से गंगहारा, रामपुर लंगा टोला, जीवराखन टोला, गंगा टोला, नागा टोला, जमुनीपुर, रामनगर, बरैया टोला, नक्कू टोला, नयका टोला, नीलकंठ टोला, महावीर टोला, जमौगी टोला जैसे गांव विलीन हो चुके हैं।
मुख्य पेशा सोन नदी से जुड़ा
हजारों लोग बेघर हो गए हैं, जिनका मुख्य पेशा सोन नदी से जुड़ा था। कटाव के कारण कई गांवों की सैकड़ों एकड़ भूमि नदी में समा गई है। विस्थापित लोग अब अन्य स्थानों पर आशियाना बना चुके हैं।
स्थानीय निवासी मदनजीत सिंह ने बताया कि यदि सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो नयका टोला भी जमानिया बन जाएगा। कटाव प्रभावित क्षेत्र के लोग कृषि पर निर्भर थे, लेकिन अब उनके घर, बाग-बगीचे और खेत कटाव में समा चुके हैं।
बोल्डर पिचिंग से कटाव रुकता है
स्थानीय विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि उन्होंने कटाव रोधी कार्यों के लिए सदन से लेकर सड़क तक आवाज उठाई है, लेकिन अपेक्षित कार्य नहीं हो सके हैं। उन्होंने बताया कि बोल्डर पिचिंग से कटाव रुकता है, लेकिन पहले की योजनाएं विफल रही हैं।
हाल ही में कटाव की स्थिति को देखने के लिए अधिकारियों को हल्दी छपरा ले जाया गया था, जहां उन्हें बताया गया कि यदि कटाव रोकने का कार्य किया जाए, तो गांव की भूमि बचाई जा सकती है।

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