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    गंगा दशहरा पर रवियोग का उत्तम संयोग, दान-पुण्य से आएगी संपन्नता; यहां देखें स्नान के शुभ मुहूर्त

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 05:34 PM (IST)

    गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी में पांच जून गुरुवार को उत्तर फाल्गुनी एवं हस्त नक्षत्र के युग्म संयोग व वज्र योग में मनेगा। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा ...और पढ़ें

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    रवियोग के उत्तम संयोग से मनेगा गंगा दशहरा। जागरण आर्काइव।

    जासं, पटना। सनातन धर्मावलंबियों के ज्येष्ठ मास के सबसे प्रमुख पर्व गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी में पांच जून गुरुवार को उत्तर फाल्गुनी एवं हस्त नक्षत्र के युग्म संयोग व वज्र योग में मनेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन धरती पर वृष लग्न व हस्त नक्षत्र में मां गंगा का धरा पर अवतरण हुआ था। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा पृथ्वी पर प्रसन्नता और शुद्धता लेकर आई थीं। इसी दिन प्रभु श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग को स्थापित किया था।

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    स्नान और दान करना शुभ माना गया

    ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने स्कन्द पुराण के हवाले से बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को संवत्सरमुखी की संज्ञा दी गई है। इसमें स्नान और दान करना शुभ माना गया है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान एवं दान करने से दस महापातकों (तीन कायिक, चार वाचिक व तीन मानसिक) के बराबर के पापों से मुक्ति मिलती है।

    "ॐ नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः" का जाप करें

    इस दिन उत्तर फाल्गुनी एवं हस्त नक्षत्र का युग्म संयोग, सिद्ध योग एवं रवि योग का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। भविष्य पुराण के मुताबिक गंगा दशहरा के दिन स्नान, पूजा के बाद "ॐ नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः" का दस बार जप करने से कर्ज तथा कलंक के दोष से मुक्ति एवं अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

    दान-पुण्य से आएगी संपन्नता

    गंगा दशहरा के दिन सत्तू, पंखा, ऋतुफल, सुपाड़ी, गुड़, जल युक्त घड़ा के दान से आरोग्यता, समृद्धि और वंश वृद्धि का वरदान मिलता है । इस दिन स्नान के बाद दस दीपों की दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा ध्यान व स्नान से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, दूसरों की जैसे पापों से मुक्ति होती है।

    गंगा दशहरा के दिन गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प लें। इसे साफ-सुथरा रखेंगे, गंदगी या पूजन अवशेष नहीं डालें। इससे मां गंगा का अस्तित्व बना रहेगा । गंगा की सबसे बड़ी पूजा उसकी निर्मलता को बरकरार रखने की है। 

    इस मंत्र से करें मां गंगा की आराधना

    नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये। शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम: ।।

    अर्थात - हे भगवती, दस पाप हरने वाली गंगा, नारायणी, रेवती, शिव, दक्षा, अमृता, विश्वरूपिणी, नंदनी को को मेरा नमन।

    गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त 

    शाही स्नान- सुबह 04:59 बजे से 06:42 बजे तक

    सामान्य स्नान- प्रातः 05:15 बजे से पुरे दिन

    गुली काल मुहूर्त: सुबह 08:24 बजे से 10:06 बजे तक

    चर-लाभ-अमृत मुहूर्त: सुबह 10:06 बजे से शाम 03:15 बजे तक

    अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:21 बजे से 12:15 बजे तक