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    वाल्मीकि नगर से पटना तक 'टिया' की शत प्रतिशत शूटिंग बिहार में

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 07:50 PM (IST)

    बिहार सरकार की नई फिल्म प्रोत्साहन नीति राज्य में हिंदी फिल्म निर्माताओं के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं साबित हो रही है। बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के प्रयासों से अब फिल्म उद्योग का ध्यान लगातार बिहार की ओर आकर्षित हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण फिल्म ‘टिया’ है जिसकी सौ प्रतिशत शूटिंग बिहार में ही की जा रही है।

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    फिल्म की शूटिंग वाल्मीकिनगर से शुरू हुई और अब राजधानी पटना में चल रही है।

    डिजिटल टीम, पटना। बिहार सरकार की नई फिल्म प्रोत्साहन नीति राज्य में हिंदी फिल्म निर्माताओं के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं साबित हो रही है। बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के प्रयासों से अब फिल्म उद्योग का ध्यान लगातार बिहार की ओर आकर्षित हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण फिल्म ‘टिया’ है, जिसकी सौ प्रतिशत शूटिंग बिहार में ही की जा रही है। राव देवेंद्र सिंह के निर्देशन में बन रही यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है, जिसमें ‘द कश्मीर फाइल्स’ के अभिनेता दर्शन कुमार और ‘काली काली आंखें’ वेब सीरीज की अभिनेत्री आंचल सिंह मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। बाल कलाकार की भूमिका ईरा सिन्हा निभा रही हैं।

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    फिल्म की शूटिंग वाल्मीकिनगर से शुरू हुई और अब राजधानी पटना में चल रही है। फिल्म निर्माता सागर श्रीवास्तव ने राज्य सरकार की इस नीति की खुलकर सराहना की और बताया कि उन्हें शूटिंग के दौरान न केवल सरकारी सहयोग मिला। बल्कि, स्थानीय लोगों से भी भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ।

    फिल्म का 90 प्रतिशत हिस्सा वाल्मीकिनगर और आसपास के क्षेत्रों में फिल्माया गया है। जबकि, शेष 10 फीसदी शूटिंग पटना के बोरिंग रोड, मरीन ड्राइव, इस्कॉन मंदिर और राजवंशी नगर जैसी जगहों पर हो रही है। 20 जून तक पूरी शूटिंग समाप्त हो जाएगी और यह फिल्म नवंबर में सिनेमाघरों में रिलीज होने की संभावना है।

    इस मामले में कला, संस्कृति और युवा विभाग के सचिव प्रणव कुमार का कहना है कि फिल्म ‘टिया’ की पूरी शूटिंग बिहार में होना राज्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह देखकर प्रसन्नता होती है कि फिल्म निर्माता अब बिहार की संस्कृति, लोकेशंस और स्थानीय प्रतिभाओं को गंभीरता से ले रहे हैं। चाहे वाल्मीकि नगर की प्राकृतिक सुंदरता हो या पटना की आधुनिक पहचान—इन सबको बड़े पर्दे पर देखना गर्व की बात है। मुझे उम्मीद है कि ऐसे प्रयासों से न केवल फिल्म उद्योग को गति मिलेगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को नए अवसर भी प्राप्त होंगे। बिहार में इस तरह की रचनात्मक गतिविधियां लगातार बढ़ें—मैं व्यक्तिगत रूप से यही कामना करता हूं।

    प्रणव कुमार, सचिव, कला, संस्कृति और युवा विभाग

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