बिहार की बसों में ‘सम्मान की सवारी’, 4 लाख से अधिक दिव्यांग और सेनानियों ने उठाया मुफ्त यात्रा का लाभ
बिहार में सार्वजनिक परिवहन सामाजिक न्याय का माध्यम बन रहा है। 2017 से 2023 तक लगभग 4.96 लाख दिव्यांगजन, स्वतंत्रता सेनानी और जेपी सेनानियों ने सरकारी ...और पढ़ें

बिहार की बसों में ‘सम्मान की सवारी’
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में सार्वजनिक परिवहन केवल आवाजाही का साधन नहीं, बल्कि संवेदना और सामाजिक न्याय का माध्यम भी बन रहा है। राज्य की सरकारी बसों में वर्ष 2017 से 2023 के बीच लगभग 4 लाख 96 हजार से अधिक दिव्यांगजन, स्वतंत्रता सेनानी और जेपी सेनानियों ने मुफ्त या रियायती यात्रा का लाभ उठाया। यह पहल उन वर्गों के लिए सहारा बनी है, जिन्हें सहज और सुलभ यात्रा की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
यह आंकड़ा मंगलवार को परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक में सामने आया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए परिवहन मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि सरकार की यह नीति केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि इन सम्मानित यात्रियों के प्रति कृतज्ञता का सार्वजनिक संदेश है।
दिव्यांगजनों को 50 किमी तक पूरी छूट, उससे अधिक आधा किराया
मौजूदा नियमों के अनुसार दिव्यांगजन, स्वतंत्रता सेनानी और जेपी सेनानी 50 किलोमीटर तक की यात्रा पूरी तरह नि:शुल्क कर सकते हैं।
इसके बाद की दूरी पर केवल आधा किराया देना होता है। राज्यभर में संचालित बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (बीएसआरटीसी) की सभी बसों पर यह सुविधा लागू है।
मंत्री ने कहा कि यह व्यवस्था सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसमें सुविधाओं को जरूरतमंदों तक पहुँचना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
छह प्रमंडलों में बस सेवा, गया में सबसे अधिक लाभ
राज्य के छह प्रमंडलों, पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, पूर्णिया और गया, में सरकारी बसें लाखों यात्रियों को रोजाना सेवाए दे रही हैं।
इन ही रूटों पर दिव्यांग यात्रियों और सेनानियों ने विशेष रियायतों का उपयोग किया।
सबसे अधिक लाभ गया प्रमंडल में मिला, जहां 4,82,200 दिव्यांगजन और 5,320 जेपी सेनानी यात्रा कर चुके हैं।
निगम ने केवल इसी प्रमंडल में इस सुविधा पर 25 करोड़ रुपये से अधिक व्यय किए।
दूसरे प्रमंडलों में पटना में 4,016, मुजफ्फरपुर में 3,528, दरभंगा में 303, भागलपुर में 669 और पूर्णिया में 91 यात्रियों ने यह सुविधा ली।
‘सबका साथ, सबका विकास’ की मिसाल
मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि सरकारी बसों का किराया निजी वाहनों और ऑटो रिक्शा की तुलना में कम है।
ऐसे में यह रियायत उन यात्रियों के आर्थिक बोझ को कम करती है, जो अक्सर इलाज, सरकारी कार्य, या अन्य आवश्यक कारणों से सफर करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह कदम सामाजिक दायित्व का उदाहरण है और सरकार की 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' की नीति को व्यवहार में उतार रहा है।
विभाग का लक्ष्य है कि भविष्य में भी बस सेवाओं को और अधिक सुविधाजनक बनाते हुए सामाजिक सुरक्षा के दायरे का विस्तार किया जाए।

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