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    बिहार चुनाव से पहले पावर स्टार पवन सिंह को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह का छलका दर्द

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 06:26 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने आरा में चन्द्रवंशी जिला सम्मेलन में भाग लिया। उनसे आरा से चुनाव लड़ने और पवन सिंह की राजनीतिक भूमिका पर सवाल किए गए। सिंह ने कहा कि टिकट देना पार्टी का निर्णय है।

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    आरा पहुंचे भाजपा नेता सह पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह

    जागरण संवाददाता,आरा(भोजपुर)। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी क्रम में शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं आरा के पूर्व सांसद आरके सिंह आरा पहुंचे, जहां उन्होंने चन्द्रवंशी जिला सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन के दौरान मीडिया ने उनसे आरा से चुनाव लड़ने और भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह की राजनीतिक भूमिका को लेकर सवाल किया।

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    चुनाव लड़ने के सवाल पर आरके सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह से पार्टी का निर्णय है। उन्होंने साफ कहा कि किसे कहां से टिकट देना है, यह नेतृत्व तय करता है। वहीं जब उनसे भोजपुरी सिने स्टार पवन सिंह से जुड़े सवाल पूछे गए तो उन्होंने अपनी भावनाएं खुलकर रखीं। आरके सिंह ने कहा, “पहले टिकट मिलना, फिर कटना और उसके बाद दूसरी जगह से देने की बात करना, लेकिन अंत में नहीं देना—ऐसी स्थिति में स्वाभाविक रूप से किसी को भी दर्द होगा।”

    गौरतलब है कि हाल ही में पवन सिंह ने दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि आगामी चुनाव में पार्टी पवन सिंह को क्या जिम्मेदारी देगी।

    पवन सिंह इन दिनों सिर्फ राजनीति ही नहीं, बल्कि अपने लाइव शो कार्यक्रमों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। हाल ही में एक लाइव शो के दौरान उन्होंने अचानक मंच से यह कहते हुए कार्यक्रम छोड़ दिया कि उन्हें “सेवा में जाना है।” इसके बाद से ही उनके इस व्यवहार को लेकर चर्चाएं और तेज हो गईं।

    उल्लेखनीय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने रोहतास के काराकाट सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उनके चुनाव लड़ने का असर शाहाबाद की चारों लोकसभा सीटों पर देखने को मिला था, जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पवन सिंह की लोकप्रियता और उनकी रणनीति ने चुनावी समीकरणों को प्रभावित किया था।