चारा घोटाला मामले में 109 वें गवाह की हुई गवाही, पांच सौ रिश्वत में किसे हुई छह माह की सजा? पढ़िये कोर्ट की खबरें
रांची में चारा घोटाला मामले की सुनवाई जारी है, जिसमें 109वें गवाह ने गवाही दी। हस्तलिपि विशेषज्ञ की गवाही हुई। इस मामले में लालू प्रसाद समेत 18 आरोपितों के खिलाफ सुनवाई चल रही है। अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।

कोर्ट में चारा घोटाले में गवाही। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, पटना। चारा घोटाला से जुड़े एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश राकेश कुमार की अदालत में शुक्रवार को सीबीआई ने अपने 109 वें गवाह के रूप में एक हस्तलिपि विशेषज्ञ यूजीएस भटनागर की गवाही कराई।
मुख्य परीक्षण और प्रति परीक्षण के बाद गवाह को उन्मुक्त कर दिया गया। मामले में अगली सुनवाई चार दिसंबर 2025 को होगी । यह मामला भागलपुर के बांका उप जिला कोषागार से पशुपालन विभाग में जाली विपत्रों के आधार पर लगभग 45 लाख रुपयों की अवैध निकासी का है।
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद सहित कई तत्कालीन मंत्री, विधायक और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आरोपित हैं। सीबीआई ने मामले की प्राथमिकी आर सी 63 (ए) /96 के रूप में दर्ज करने के बाद 44 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। मामले में कई आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में लालू प्रसाद सहित 18 आरोपितों के खिलाफ सुनवाई जारी है।
पांच सौ रुपये रिश्वत मामले में सजा
पांच सौ रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के 32 वर्ष पुराने एक मामले में निगरानी के विशेष न्यायाधीश मोहम्मद रुस्तम की अदालत ने शुक्रवार को अंचल कर्मचारी को छह माह साधारण कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने दोषी पर पांच हजार रुपये आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर अभियुक्त को एक माह अतिरिक्त जेल में रहना होगा।
मामले का अभियुक्त औरंगाबाद जिला अंचल कार्यालय में तत्कालीन कर्मचारी रामचंद्र सिंह है। यह जानकारी शुक्रवार को अधिवक्ता कृष्ण मुरारी प्रसाद ने दी।
औरंगाबाद अंचल में जमीन दाखिल खारिज के लिए मांगी थी रिश्वत
उन्होंने बताया कि मामले के अभियुक्त रामचंद्र सिंह ने परिवादी की जमीन का दाखिल खारिज करने के एवज में ढाई हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी।
पुलिस ने अभियुक्त को अंचल कार्यालय में पांच सौ रुपये रिश्वत लेते 14 जुलाई 1993 को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में औरंगाबाद थाना में कांड संख्या 298/93 दर्ज किया गया था।
इस मामले में अदालत ने आठ जनवरी 2024 को संज्ञान लिया था। नौ फरवरी 2024 को अदालत ने अभियुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात के तहत आरोप गठित किया था। 32 वर्ष चले इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पांच लोगों ने गवाही दी है।

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