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    Bihar Politics: बिहार की राजनीति से फिल्मी सितारे 'आउट'! पिछले 20-25 सालों में पहली बार हुआ ऐसा

    वर्ष 2009 में परिसीमन के बाद पटना लोकसभा सीट को पटना साहिब और पाटलिपुत्र लोकसभा सीटों में बांट दिया गया। तब से हर बार पटना साहिब पर फिल्मी सितारों ने किस्मत आजमाई है। 2009 में भाजपा ने बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट दिया। उनके सामने कांग्रेस ने पटना के ही रहने वाले फिल्म और टेलीविजन के चमकते सितारे शेखर सुमन को उम्मीदवार बनाया।

    By Rajat Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 03 Apr 2024 02:50 PM (IST)
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    बिहार की राजनीति से फिल्मी सितारे 'आउट'! पिछले 20-25 सालों में पहली बार हुआ ऐसा

    कुमार रजत, पटना। एक तरफ दिल्ली, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में कई फिल्मी सितारे लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं बिहार में इस बार सितारे चुनावी मैदान से गायब हैं। पिछले दो-ढाई दशकों में यह पहली बार है, जब कोई भी फिल्मी सितारा बिहार से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहा।

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    पिछली बार पटना साहिब से चुनाव हारने वाले शत्रुघ्न सिन्हा भी तृणमूल कांग्रेस का दामन थामकर बंगाल के आसनसोल पहुंच गए हैं। दरअसल, बिहार की सियासी जमीन फिल्मी सितारों को रास भी नहीं आती। शत्रुघ्न सिन्हा को छोड़ दें तो यहां से शेखर सुमन, कुणाल सिंह और प्रकाश झा ने भी अपनी किस्मत आजमाई मगर जीत नसीब नहीं हो सकी।

    पटना साहिब से हर बार सितारों ने आजमाई किस्मत

    वर्ष 2009 में परिसीमन के बाद पटना लोकसभा सीट को पटना साहिब और पाटलिपुत्र लोकसभा सीटों में बांट दिया गया। तब से हर बार पटना साहिब पर फिल्मी सितारों ने किस्मत आजमाई है। 2009 में भाजपा ने बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट दिया। उनके सामने कांग्रेस ने पटना के ही रहने वाले फिल्म और टेलीविजन के चमकते सितारे शेखर सुमन को उम्मीदवार बनाया।

    एकतरफा मुकाबले में शत्रुघ्न सिन्हा ने तीन लाख 16 हजार से अधिक वोट हासिल किए। शेखर सुमन महज 61 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस ने 2014 में शत्रुघ्न सिन्हा के सामने भोजपुरी के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले कुणाल सिंह को उम्मीदवार बनाया मगर फिर से शाटगन सिन्हा ढाई लाख से अधिक मतों से विजयी हुए।

    वर्ष 2019 में भाजपा ने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटकर रविशंकर प्रसाद को दिया। शत्रुघ्न कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से उतरे मगर पौने तीन लाख वोटों से चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया और बंगाल के आसनसोल से उपचुनाव जीतकर सांसद बने।

    प्रकाश झा ने लगाई हार की हैट्रिक

    राजनीति, अपहरण और गंगाजल जैसी सुपरहिट फिल्मों के निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा को असली राजनीति रास नहीं आई। उन्होंने बिहार से लोकसभा चुनाव में तीन बार किस्मत आजमाई मगर हर बार हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2004 में प्रकाश झा बेतिया सीट से निर्दलीय लड़े और बुरी तरह चुनाव हारे। राजद के रघुनाथ झा विजयी हुए।

    परिसीमन के बाद बेतिया सीट का नाम पश्चिमी चंपारण हो गया। जहां 2009 में प्रकाश झा ने रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा मगर 47 हजार वोट से हार गए। अगली बार जदयू के टिकट पर फिर पश्चिमी चंपारण सीट से ही किस्मत आजमाई मगर इस बार एक लाख 11 हजार वोट से हारे। दोनों ही बार भाजपा के डा. संजय जायसवाल ने उन्हें हराया।

    दिल्ली-यूपी में धूम मचा रहे भोजपुरी कलाकार

    भोजपुरी फिल्में भले ही बिहार में धूम मचाती हों मगर उसके कलाकार राजनीति की पिच पर दिल्ली और उत्तरप्रदेश में छक्का लगा रहे हैं। बिहार के कैमूर के रहने वाले भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी लोकसभा की उत्तर-पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद रह चुके हैं। एक बार फिर उन्हें दिल्ली से भाजपा का टिकट मिला है।

    इसी तरह भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन गोरखपुर जबकि दिनेश लाल यादव निरहुआ आजमगढ़ सीट से भाजपा के सांसद रह चुके हैं और फिर से चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।

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