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    Famous Food of Bihar: बिहार का एनर्जी टानिक है सत्तू, बनाने में बेहद आसान और इसका इतिहास है काफी रोचक

    By Rahul KumarEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jul 2022 01:08 PM (IST)

    बिहार के लिट्टी चोखा के साथ सत्तू से बनने वाला ड्रिंक भी अब गांव से निकल कर ग्लोबल हो गया है। कभी गरीब तपके के लगो इससे भूख मिटाते थे लेकिन अब ये मार्डन डायट चार्ट में शामिल हो गया है।

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    सत्तू से बनने वाली ड्रिंक स्वास्थ्य के लिए अच्छी। सांकेतिक तस्वीर

    पटना, आनलाइन डेस्क। बिहार में खाने पीने की काफी विविधता है। यहां के कई डिश देश ही नहीं विदेशों में भी बड़े चाव से लोग खाते हैं। लिट्टी चोखा के बारे में अब सब जानते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी लिट्टी चोखा की कई बार प्रशंसा कर चुके हैं। लेकिन सत्तू का इस्तेमाल केवल लिट्टी बनाने के दौरान ही नहीं होता। प्रदेश में सत्तू से एक ड्रिंक तैयारी की जाती है, जो अब काफी फेमस है। इसे बनाना भी बेहद आसान है और इसके फायदे भी बहुत हैं। एक वक्त था जब गरीब तबके के लोग सत्तू पीकर अपनी भूख मिटाया करते थे, लेकिन आज सत्तू मार्डन डाउट चार्ट में शामिल हो गया है। इसका इतिहास भी काफी रोचक है। 

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    सत्तू के हैं कई फायदे

    एक वक्त था जब बिहार के गरीब तपके के लोग सत्तू पीकर अपना पेट भरा करते थे। लेकिन धीरे-धीरे सत्तू से बनने वाले इस ड्रिंक ने लोगों को अपनी ओर खींचना शुरू किया। इसके फायदे ने लोगों को अपना दीवाना बनाया और लोग सड़कों पर कतारों में खड़े होकर सत्तू पीने लगे। बनाने की आसान विधि की वजह से घरों में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ने लगा। खास कर गर्मी के दिनों सत्तू को लोग अमृत से कम नहीं मानते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि इसके सेवल से लू से बचाव होता है। ये प्रोटीन, फाइबर,आयरन, कैल्शियम, मैंगनीज और मैग्नीशियम से भरपूर होता है. इसलिए इसे संपूर्ण भोजन भी कहा जाता है। ये पाचन तंत्र के लिए फी फायदेमंद होता है। 

    काफी रोचक है इतिहास

    सतू से बना ड्रिंक काफी स्वादिष्ट और पोष्टिक माना जाता है। ऐसी बातें प्रचलित हैं कि पुराने जमाने में युद्ध के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया जाता था। चने से बना सत्तू रखने मे आसान होता है और इसे काफी दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए युद्द के दौरान इसे रशद के तौर भी इस्तेमाल करने की बात सामने आती है। 

    बौद्ध भिक्षु भी करते थे सत्तू का इस्तेमाल

    भूख मिटाने और पोषण के लिए आसान तरीका होने की वजह से बौद्ध भिक्षु भी इसका इस्तेमाल किया करते थे। इतिहासकारों के हिसाब से बौद्ध भिक्षु जब भी यात्रा पर निकलते थे, सत्तू को साथ रखते थे। ताकि रास्ते में भूख लगने पर इसके इस्तेमाल किया जा सके।

    सत्तू बनाने की विधि

    बिहार में चने से बने सत्तू को लोग पानी में मिलाने के बाद उसमें नमक, जीरा पाउडर ,प्याज, नींबू और हरि मिर्च मिलाते हैं। सब चीजों को अच्छी तरह मिलाने के बाद लोग इसका सेवन करते हैं। पटना समेत बिहार के अन्य जिलों के लोग इस देसी एनर्जी ड्रिंक को काफी पसंद करते हैं। 

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