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    Bihar Politics: बिहार की सियासत में 'फैमिली फर्स्ट', लालू परिवार और पासवान परिवार भी पीछे नहीं

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 04:33 PM (IST)

    बिहार की राजनीति में वंशवाद कोई नई बात नहीं है। नेता अपनी विरासत संतानों को सौंपने के लिए उत्सुक हैं। कई पार्टियां परिवार की पार्टियां बन गई हैं। इस बार बिहार चुनाव में भी 'फैमिली फर्स्ट' का नजारा है, जहां नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिए गए हैं। कांग्रेस से शुरू हुई यह परंपरा बिहार में भी खूब चली। लालू परिवार और पासवान परिवार भी इसमें पीछे नहीं हैं।

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    बिहार की सियासत में 'फैमिली फर्स्ट', लालू परिवार और पासवान परिवार भी पीछे नहीं


    दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार की सियासत में वंशवाद कोई नई बात नहीं है। मौका मिलते ही नेता अपनी विरासत संतान को सौंपने के लिए बेताब दिखते हैं। कुछ क्षेत्रीय दल तो परिवार की पार्टी बन गए हैं। इसमें जिसमें बेटा-बेटी, भांजा-भांजी और भाई-भतीजा के साथ समधी-समधिन के लिए भी जगह सुरक्षित रहती है। इसके बाद जगह बचती है, तो कार्यकर्ता स्थान पाते हैं।

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    पार्टियों में परिवार को सबसे अधिक प्रमुखता मिलती है। इस बार भी बिहार चुनाव में ''फैमिली फर्स्ट'' जैसा नजारा है। इसमें कोई भी पार्टी अछूती नहीं है। कमोवेश पार्टियों ने नेताओं के बेटे-बेटियां, बहुएं, भांजे-भतीजे समेत चार दर्जन से ज्यादा नजदीकी रिश्तेदारों को टिकट देने में दिलेरी दिखाई है।

    कांग्रेस ने की राजनीति में परिवारवाद की शुरुआत

    वैसे देखा जाए तो राजनीति में वंश को विरासत सौंपने का चलन कांग्रेस में शुरू हुआ। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपने शासनकाल में ही इंदिरा गांधी को पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवा दिया था। इंदिरा गांधी के समय में ही उनके पुत्र संजय गांधी का पार्टी में इतना महत्व बढ़ गया था कि उनकी हर जगह तूती बोलती थी।

    इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस ने अपना और देश का नेता राजीव गांधी को चुना। फिर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद अब प्रियंका गांधी। यहां तक कि भाजपा भी अछूती नहीं रही।

    श्रीकृष्ण सिंह व कर्पूरी ठाकुर के पुत्रों ने भी विरासत संभाली

    कांग्रेस से शुरू हुई इस परिपाटी से बिहार की सियासत भी अछूती नहीं रही। पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह और समाजवादी नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर ने जीते-जी अपने पुत्रों को राजनीति में नहीं आने दिया, किंतु बाद में स्थिति बदल गई। श्रीकृष्ण सिंह के पुत्र बंदीशंकर सिंह विधायक बने और मंत्री भी। कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर ने भी पिता के प्रताप से मंत्री पद तक हासिल किया।

    रोचक यह कि कांग्रेस में जिस परंपरा की शुरुआत प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी, उसे बिहार में कांग्रेस के दो दिग्गज ललित नारायण मिश्र और अनुग्रह नारायण सिंह ने बखूबी आगे बढ़ाने का काम किया। पूर्व मुख्यमंत्री हरिहर सिंह के पुत्र मृगेंद्र प्रताप सिंह और उनके भाई अमरेंद्र प्रताप सिंह ने भी राजनीति में खूब शोहरत बटोरी।

    टाटा कर्मचारी यूनियन के नेता रहे मृगेंद्र प्रताप सिंह झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे। वहीं अमरेंद्र प्रताप सिंह बिहार की राजनीति में नाम कमाया। कांग्रेस के धाकड़ नेता एलपी शाही की बहू वीणा शाही भी विधायक व मंत्री रहीं। बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह के पुत्र सत्येंद्र नारायण सिंह मुख्यमंत्री बने। परंपरा आगे बढ़ी।

    उनके पुत्र निखिल कुमार औरंगाबाद से सांसद एवं बाद में राज्यपाल पद तक पहुंचे। उनकी पत्नी श्यामा सिन्हा भी औरंगाबाद की सांसद रहीं। कांग्रेस के एक और कद्दावर नेता ललित नारायण मिश्र का परिवार सियासत में कभी पीछे नहीं रहा। उनके भाई जगन्नाथ मिश्र दो-दो बार मुख्यमंत्री बने। उनके पुत्र नीतीश मिश्र अभी बिहार सरकार में मंत्री हैं। इसी तरह ललित नारायण मिश्र के पुत्र विजय मिश्र एमएलसी और उनके पुत्र ऋषि मिश्र भी विधायक रह चुके हैं।

    अभी के दौर में लालू परिवार का जलवा

    राजद के प्रमुख लालू प्रसाद बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने। फिर चारा घोटाले के आरोप में जेल गए तो पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया। अभी राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हैं। वहीं उनके छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। लालू-राबड़ी के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव विधायक हैं और पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। लालू-राबड़ी की बड़ी पुत्री डॉ. मीसा भारती सांसद हैं।

    पासवान और मांझी परिवार भी पीछे नहीं

    लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक रामविलास पासवान खुद वीपी सिंह से लेकर नरेन्द्र मोदी की सरकार में कई मंत्रालयों को संभाला। खास बात यह कि रामविलास पासवान के परिवार के लोग ही पार्टी के सारे पद संभालते थे। रामविलास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होते थे।

    दूसरे भाई पशुपति कुमार पारस प्रदेश अध्यक्ष और तीसरे भाई रामचंद्र पासवान संसदीय दल के नेता। अब पुत्र चिराग उसी राह पर चल रहे हैं। रामविलास पासवान के जीवित रहते उनके भाई रामचंद्र पासवान और पशुपति कुमार पारस, पुत्र चिराग पासवान एवं भतीजा प्रिंस पासवान सांसद रहे।

    उनके निधन के बाद लोजपा दो हिस्से में बंट गई। तब एक धड़ा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का नेतृत्व कर रहे पारस केंद्र सरकार में मंत्री पद तक पहुंचे।दूसरे धड़े की कमान संभाल रहे चिराग पासवान अभी केंद्रीय मंत्री हैं। उनके बहनोई अरुण भारती जमुई से सांसद हैं। इस विधानसभा चुनाव में चिराग ने भांजे सीमांत मृणाल को गरखा विधानसभा से उम्मीदवार बनाया है।

    इसी तरह हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी सियासत में फैमिली को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं हैं। उनका पुत्र डॉ.संतोष कुमार सुमन नीतीश सरकार में मंत्री हैं ताे बहु दीपा मांझी और समधीन ज्योति देवी विधायिका हैं। मांझी ने इस चुनाव में भी बहु और समधीन को उम्मीदवार बनाया है। रोचक यह कि राजनीतिक परिवारों के लिए पार्टियां जागीर से कम नहीं होती हैं।

    कई और परिवार भी राजनीति रंग में

    लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की सांसद वीणा सिंह और जदयू के एमएलसी दिनेश सिंह की पुत्री कोमल सिंह गायघाट से जदयू की उम्मीदवार हैं। इसी तरह पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और उनकी पत्नी व पूर्व विधायक अन्नु शुक्ला की पुत्री शिवानी शुक्ला लालगंज से राजद की उम्मीदवार हैं। पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के दो-दो पुत्र भी जदयू से विधायक रहे। अभी सुमित कुमार सिंह नीतीश सरकार में मंत्री हैं और इस चुनाव में चकाई सीट से जदयू के उम्मीदवार हैं।

    समाजवादी नेता जगदेव प्रसाद वर्मा के पुत्र नागमणि और उनकी पत्नी सुचित्रा सिन्हा भी विधायक, सांसद और मंत्री पद तक पहुंची। भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ.सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर पहले विधान पार्षद बनाए गए और फिर सांसद। हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव विधायक बन चुके है।

    भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य गोपाल नारायण सिंह के पुत्र त्रिविक्रम सिंह को औरंगाबाद सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने भाई संतोष सहनी को गौड़ा-बौराम से उम्मीदवार बनाया है। रालोमो के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने पत्नी स्नेहलता कुशवाहा काे सासाराम से उम्मीदवार बनाया है। यानी, बिहार की सियासत में ''फैमिली फर्स्ट'' का फॉर्मूला जोर पकड़ता जा रहा है।

    राजद में कितने प्रत्याशी?

     

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    बोधगया कुमार सर्वजीत पासवान पूर्व सांसद राजेश कुमार के पुत्र
    ओबरा ऋषि कुमार पूर्व मंत्री कांति सिंह के पुत्र
    जहानाबाद राहुल शर्मा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र
    कुर्था सुदय यादव पूर्व मंत्री मुंद्रिका यादव के पुत्र
    शाहपुर राहुल तिवारी पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी के पुत्र
    शिवहर नवनीत झा पूर्व मंत्री रघुनाथ झा के पौत्र
    परिहार स्मिता पूर्वे गुप्ता पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे की बहु
    जौकीहाट मोहम्मद शाहनवाज आलम पूर्व मंत्री मो. तस्लीमुद्दीन के पुत्र
    राघोपुर तेजस्वी प्रसाद यादव पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद व राबड़ी देवी के पुत्र
    रघुनाथपुर ओसामा शहाब पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के पुत्र
    उजियारपुर आलोक मेहता पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता के पुत्र
    रामगढ़ अजीत सिंह पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह के पुत्र
    मोकामा वीणा देवी पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी
    लालगंज शिवानी शुक्ला पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला व अन्नु शुक्ला की पुत्री
    गोविंदपुर पूर्णिमा देवी विधायक कौशल यादव की पत्नी
    नवादा कौशल यादव विधायक पूर्णिमा यादव का पति


    हम में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    बाराचट्टी ज्योति देवी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की समधन
    इमामगंज दीपा मांझी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहु
    अतरी रोहित कुमार विधायक अनिल कुमार का भतीजा


    लोजपा (रामविलास) में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    गरखा (अनु. जाति) सीमांत मृणाल केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का भांजा
    ब्रह्मपुर हुलास पाण्डेय पूर्व विधायक सुनील पाण्डेय के भाई
    गोविंदगंज राजू तिवारी पूर्व विधायक राजन तिवारी के भाई


    रालोजपा में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    अलौली यशराज पासवान पूर्व मंत्री पशुपति कुमार पारस के पुत्र

    वीआईपी में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    गौड़ा-बौराम संतोष सहनी वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी के भाई
    बाबूबरही बिंदु गुलाब यादव पूर्व विधायक गुलाब यादव की पुत्री


    रालोमो में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    सासाराम स्नेहलता राज्यसभा सदस्य व रालोमो के प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी


    कांग्रेस में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    कुटुम्बा राजेश राम पूर्व मंत्री दिलकेश्वर राम के पुत्र
    नरकटियागंज शाश्वत केदार पूर्व सांसद विनोद पाण्डेय के पुत्र

     

    जदयू में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    गायघाट कोमल सिंह सांसद वीणा सिंह व एमएलसी दिनेश सिंह की पुत्री
    भोरे सुनील कुमार पूर्व विधायक चंद्रिका राम के पुत्र
    मांझी रणधीर सिंह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र
    मोकामा अनंत सिंह पूर्व मंत्री दिलीप सिंह के भाई
    घोसी ऋतुराज कुमार पूर्व सांसद अरुण कुमार के पुत्र
    नबीनगर चेतन आनंद सांसद लवली आनंद व पूर्व सांसद आनंद मोहन के पुत्र
    चकाई सुमित कुमार सिंह पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह के पुत्र
    मोरवा विद्यासागर सिंह निषाद पूर्व विधायक रामचंद्र सहनी के पुत्र
    अमरपुर जयंत राज पूर्व विधायक जर्नादन मांझी के पुत्र
    ईस्लामपुर रुहेल रंजन पूर्व विधायक राजीव रंजन के पुत्र
    राजगीर कौशल किशोर पूर्व विधायक सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र


    भाजपा में कितने प्रत्याशी?

    विधानसभा प्रत्याशी रिश्तेदार
    तारापुर सम्राट चौधरी पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी के पुत्र
    झंझारपुर नीतीश मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र
    दीघा संजीव चौरसिया पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र
    जमुई श्रेयसी सिंह पूर्व मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री
    औरंगाबाद त्रिविक्रम सिंह पूर्व राज्यसभा सदस्य गोपाल नारायण सिंह के पुत्र
    बांकीपुर नितिन नवीन पूर्व विधायक नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के पुत्र
    औराई रमा निषाद पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी