सर्जिकल स्ट्राइक : शहीद सैनिकों की आत्माएं हो रही होंगी खुश...परिजनों को संतोष
भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक ने उड़ी हमले में शहीद हुए परिजनों के चेहरे पर खुशी ला दी है। आज हर शहीद जवान के घर में खुशी का माहौल है।
पटना [काजल]। उड़ी हमले में मारे गए विधवाओं की सूनी मांग और बच्चों की सूनी आंखें देखकर सबका कलेजा फटता है, लेकिन पति की चिता की आग जो उनके सीने में धधक रही है उसे आज बहुत सुकून मिला है। भारतीय सेना ने उड़ी हमले का बदला लेने के लिए पहली बार भारत की सीमा लांघकर पाकिस्तान के सीमाक्षेत्र में सर्जिकल स्ट्राइक की जिसमें सेना ने पाकिस्तान के नौ जवानों को मार गिराया है।
इस खबर का सबको इंतजार था लेकिन भारतीय सेना एेसी कार्रवाई करेगी यह अंदेशा किसी को नहीं थी। इससे पहले भी हर साल पाकिस्तान के हमले में हमारे देश की सेना के कई सैनिक मारे जाते हैं और उनकी शहादत के बाद उनके घर-परिवार को किन कठिन परिस्थितिओं का सामना करना पड़ता है यह वही महसूस करता है जिसपर बीतती है। बच्चे अनाथ हो जाते हैं, पत्नियां पूरी उम्र बेवा बनकर गुजारती हैं।
एेसे हमले में जिसमें किसी की कोई गलती नहीं होती बेकसूर सैनिक उसके शिकार बनते हैं और उनके चले जाने के बाद झेलता है पूरा परिवार। इधर, कुछ हमले के बाद शहीद के बच्चों ने गृहमंत्री से रोकर गुहार लगाई कि अब पाकिस्तान पर कार्रवाई कीजिए ताकि किसी के सर से यूं पिता का साया ना उठे।
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हाल ही में उड़ी हमले में बिहार के शहीद सैनिकों के परिवार में जहां मातम का माहौल था आज उनके चेहरे पर संतोष और खुशी के भाव झलके। उन्हें इस बात की खुशी थी कि केंद्र सरकार ने उनसे जो वादा किया था कि इसका जवाब देंगे वो वादा निभाया है।
18 जवानों के घरवालों, माता-पिता, पत्नी और बच्चों ने रो-रो कर यही कहा था पैसा नहीं बदला चाहिए। शहीदों की पत्नियों ने कहा था कि हमें शांति तब ही मिलेगी जब सरकार इस हमले का बदला लेगी। बुधवार को भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद शहीदों के परिवार वाले बेहद खुश हैं।
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सबसे ज्यादा असर बिहार के गया के जवान सुनील कुमार विद्यार्थी की तीन बेटियों के चेहरों पर दिखा। सुनील कुमार विद्यार्थी की बेटियों ने अपने शहीद पिता की शहादत के बाद अपने अदम्य साहस और हिम्मत का परिचय दिया था। शहीद सुनील की तीन बेटियों ने पिता की मौत की खबर मिलने के बाद भी तय स्कूल की परीक्षा में हिस्सा लिया और अपनी-अपनी परीक्षाएं दीं जबकि उनके पिता का शव तबतक घर भी नहीं पहुंचा था।
शव पहुंचने से पहले सोमवार को तीनों बेटियों ने स्कूल जाकर अपनी परीक्षाएं दीं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसे हालात में परीक्षा देने की हिम्मत कैसे जुटाई तो उनका कहना था कि हमारे पिता हमें बेटों की तरह रखते थे। पापा तो देश के लिए कुर्बान हो गए, हमें भी कहते थे कि हम भी देश के लिए कुछ करें।
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