जागरण विशेष: बिहार समेत देश के बाजार में हर चौथा सामान नकली, 78 प्रतिशत लोगों को जानकारी ही नहीं
‘स्टेट आफ काउंटरफीटिंग इन इंडिया 2022’ की रिपोर्ट में बाजार में नकली सामानों से जुड़े कई तथ्य सामने आए हैं। नकली सामान से जुड़े वर्ष 2018 में 8855 एवं 2019 में 8871 मामले दर्ज हुए हैं। 2003 2018 और 2019 में ऐसे मामलों में गिरफ्तारियां भी हुई हैं।

नलिनी रंजन, पटना। बिहार समेत देश के बाजारों में बिकने वाले ब्रांडेड कपड़े, एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल के पुर्जे, दवाएं, कृषि रसायन और उपभोक्ता सामानों में हर चौथा उत्पाद नकली है। 78 प्रतिशत उपभोक्ताओं को असली-नकली में फर्क नहीं पता होता।
कई बार देखा गया है कि असली कंपनी के पास नकली सामानों की शिकायत पहुंच रही है। बिहार नकली सामानों को दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश और तीसरे स्थान पर राजस्थान है।
यह जानकारी आथेंटिकेशन साल्यूशन प्रोवाइडर एसोसिएशन (एएसपीए) और क्रिसिल द्वारा जारी ‘स्टेट आफ काउंटरफीटिंग इन इंडिया 2022’ की रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट पटना समेत देशभर के 12 शहरों में उपभोक्ता व खुदरा दुकानदारों पर किए गए सर्वे के आधार पर तैयार हुई है। एएसपीए अध्यक्ष नकुल पसरीचा ने कहा कि नकली माल के बाजार में पहुंचने से लगभग सभी उद्योग प्रभावित हैं।
ऐसे कर सकते हैं पहचान
सजगता से हम असली व नकली की पहचान कर सकते हैं। असली सामान पर कोड, सीरियल नंबर, मॉडल नंबर, ट्रेडमार्क और पेटेंट संबंधी कई सूचनाएं रहती हैं।
नकली सामान के नाम की स्पेलिंग में फर्क होता है। सामान की फोटो खींचकर ओरिजिनल वेबसाइट पर तुलना की जा सकती है।
नकली आटोमेटिव पार्ट में पटना दूसरे स्थान पर
पटना में नकली आटोमेटिव पार्ट की बिक्री के मामले में दूसरे स्थान पर है। पटना में यह 34 प्रतिशत, चेन्नई में 38 प्रतिशत, इंदौर में 26 प्रतिशत है। आटो क्षेत्र में सबसे ज्यादा नकली ब्रेक पैड उपलब्ध हैं।
कपड़े के ब्रांड में इंदौर में सबसे अधिक 89 प्रतिशत, अहमदाबाद 50, कोलकाता 47, चेन्नई में 47 प्रतिशत एवं पटना में 29 प्रतिशत कपड़े के ब्रांड नकली हैं।
खाने-पीने के उत्पाद में इंदौर में 60, अहमदाबाद में 41 एवं कोलकाता में 42 प्रतिशत एवं पटना में 29 प्रतिशत नकली ब्रांड के सामान उपलब्ध हैं।
इसी तरह पटना में इलेक्ट्रानिक्स समानों में ब्रांडेंड कंपनियों के नकली सामानों के अलावा एलईडी टीवी व एयरकूलर आदि के ब्रांडेंड कंपनियों के सही समान में से कुछ महंगे आरिजनल पार्ट निकालकर लोकल सस्ते पार्ट लगाकर बेचने के भी मामले पकड़ में आए हैं।
क्रिसिल मार्केट इंटेलीजेंस एंड एनालिटिक्स के वरीय निदेशक सुरेश कृष्णमूर्ति ने कहा कि खाना पकाने के तेल, बेबी केयर आइटम से लेकर दवाओं तक हर तरह के नकली सामान बाजार में बेचे जा रहे हैं।
महज एक-दो प्रतिशत ही करते हैं शिकायत
बताया गया है कि पूर्वी भारत क्षेत्र में उपभोक्ता सामान खरीद के समय नकली सामान खरीदने से अनजान थे। पटना एवं कोलकाता में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 78 प्रतिशत है, इसमें 70 से 75 प्रतिशत लोगों को नकली सामान की जानकारी होने के बाद कोई शिकायत नहीं थी।
लगभग 15 प्रतिशत उपभोक्ताओं से सामान को दुकानदार को वापस लौटा दिया। महज एक प्रतिशत उपभोक्ता ही मौलिक सामान बनाने वाली कंपनी से नकली सामान की शिकायत करते हैं। इसके अतिरिक्त 21 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने जानबूझकर नकली उत्पाद खरीदते है।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पटना की स्थिति
क्षेत्र | नकली सामान(प्रतिशत में) | देश में स्थान |
आटोमोटिव पार्ट | 34 | दूसरा |
ब्रांडेड परिधान | 29 | पांचवां |
एफएमसीजी/पैक्ड सामान | 29 | पांचवां |
उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक सामान | 21 | सातवां |
फार्मास्यूटिकल्स | 18 | छठा |
कृषि रसायन | 13 | छठा |
इन शहरों में हुआ सर्वे
पटना, कोलकाता, दिल्ली, आगरा, जलंधर, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर, चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद।
मामले हुए दर्ज
राज्य | 2018 | 2019 | 2020 |
उत्तर प्रदेश | 135 | 180 | 184 |
राजस्थान | 27 | 46 | 72 |
मध्य प्रदेश | 24 | 33 | 49 |
झारखंड | 30 | 26 | 40 |
हरियाणा | 13 | 27 | 40 |
बिहार | 28 | 51 | 27 |
दिल्ली | 29 | 24 | 20 |
महाराष्ट्र | 16 | 26 | 23 |
कर्नाटक | 08 | 09 | 18 |
बंगाल | 26 | 30 | 23 |
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