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    Education news:शिक्षा विभाग को आठ विश्वविद्यालयों ने नहीं दिया 269 करोड़ का हिसाब

    Updated: Sat, 12 Jul 2025 05:43 PM (IST)

    जिन आठ विश्वविद्यालयों के पास हिसाब बकाया है उनमें मगध विश्वविद्यालय वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय बीएन मंडल विश्वविद्यालय बीआरए बिहार विश्वविद्यालय तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय जयप्रकाश विश्वविद्यालय एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय शामिल हैं।बकाया हिसाब संबद्ध डिग्री कालेजों के स्नातक शैक्षिक सत्र 2014-17 तक के रिजल्ट उपलब्ध कराये।

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    शिक्षा विभाग ने आठ विश्वविद्यालयों ने नहीं दिया 269 करोड़ का हिसाब

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के विश्वविद्यालयों में वित्तीय कुप्रबंधन चरम पर है। निर्माण कार्य से लेकर कापियों समेत अन्य सामानों की खरीद में अनियमितताएं सामने आती रही हैं। अब नया खुलासा यह है कि चार वर्षों का 269 करोड़ रुपये का हिसाब ही नहीं मिल रहा है। शिक्षा विभाग ने संबंधिति विश्वविद्यालयों को चालू वित्तीय वर्ष में अनुदान राशि रोकने का अल्टीमेटम दिया है।

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    हालांकि, इस मामले को शिक्षा विभाग ने विगत माह राजभवन में कुलपतियों की बैठक में राज्यपाल एवं कुलाधिपिति के समक्ष उठाया था। तब इसे गंभीरता से लेते हुए राजभवन ने संबंधित राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराने को कहा था। फिर भी कुलसचिवों ने बकाया हिसाब नहीं सौंपा। राजभवन सचिवालय की ओर से पत्र लिखकर अनुदान राशि संबंधी उपयोगिता प्रमाण उपलब्ध कराने का निर्देश कुलसचिवों को दिया गया है।

    उच्च शिक्षा निदेशालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि राज्य के आठ विश्वविद्यालयों ने दो अरब 69 करोड़ 54 लाख 87 हजार 160 रुपये का हिसाब विभाग को नहीं दिया हैं। बकाया हिसाब संबद्ध डिग्री कालेजों के स्नातक शैक्षिक सत्र 2014-17 तक के रिजल्ट उपलब्ध कराये। जिन आठ विश्वविद्यालयों के पास हिसाब बकाया है, उनमें मगध विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय शामिल हैं।

    मगध विवि ने 120 करोड़ 69 लाख उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं सौंपा

    मगध विश्वविद्यालय के सर्वाधिक 120 करोड़ 69 लाख रुपये का हिसाब बकाया है। इस विश्वविद्यालय को कुल 348 करोड़ 32 लाख रुपए अनुदान राशि दी गई। इसमें से 120 करोड़ 69 लाख रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र बकाया है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय को 215 करोड़ दो लाख रुपये की राशि दी गई। इसमें से 40 करोड़ 73 लाख 24 हजार रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र बकाया है। जयप्रकाश विश्वविद्यालय को नौ करोड़ 60 लाख रुपये की राशि दी गयी थी।

    इस पूरी राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र विश्वविद्यालय ने नहीं दिया है। बीएन मंडल विश्वविद्यालय को 71 करोड़ 38 लाख रुपये की राशि दी गयी। इसमें 37 करोड़ 71 लाख 91 हजार रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र बकाया है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय को 139 करोड़ 56 लाख रुपये की राशि दी गई। इसमें से 30 करोड़ 79 लाख 94 हजार रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र बकाया है।

    तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को 132 करोड़ 43 लाख 75 हजार रुपये की राशि मिली। उसमें से 22 करोड़ 35 लाख 96 हजार रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र विश्वविद्यालय ने नहीं दिया है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को 130 करोड़ सात लाख 52 हजार रुपये की राशि दी गयी।

    उसमें से छह करोड़ 79 लाख 95 हजार रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र बकाया है। इसी प्रकार कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को दो करोड़ 38 लाख 23 हजार रुपये की राशि मिली। उसमें से 83 लाख 85 हजार रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र विश्वविद्यालस ने नहीं दिया है।