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    Bihar News: मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति पर ED ने कसा शिकंजा, उत्तर प्रदेश में लाखों की संपत्ति कर ली जब्त

    By Sunil RajEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Wed, 06 Dec 2023 06:38 PM (IST)

    मगध विवि के कुलपति रहने के दौरान राजेंद्र प्रसाद पर आरोप लगे थे कि उन्होंने करीब 30 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया है। जिसके बाद 17 नवंबर 2021 में विशेष निगरानी इकाई ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद राजेंद्र प्रसाद के गया और गोरखपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारा था। अब ईडी ने राजेंद्र प्रसाद की संपत्ति जब्त की है।

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    मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति पर ED ने कसा शिकंजा, उत्तर प्रदेश में लाखों की संपत्ति कर ली जब्त

    राज्य ब्यूरो, पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद की 64.53 लाख रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। राजेंद्र प्रसाद पर यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई है। जब्त संपत्ति राजेंद्र प्रसाद के परिवार के सदस्यों और परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत है। जब्त संपत्ति उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के धनघटा में हैं।

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    प्रवर्तन निदेशालय ने यह कार्रवाई विशेष निगरानी इकाई द्वारा राजेंद्र प्रसाद पर की गई कार्रवाई और उन पर दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की। बता दें कि मगध विवि के कुलपति रहने के दौरान राजेंद्र प्रसाद पर आरोप लगे थे कि उन्होंने करीब 30 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया है। जिसके बाद 17 नवंबर 2021 में विशेष निगरानी इकाई ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद राजेंद्र प्रसाद के गया और गोरखपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारा था।

    विशेष निगरानी इकाई ने बरामद किया था 1.84 करोड़ कैश

    प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को आधिकारिक जानकारी में बताया कि विशेष निगरानी इकाई ने राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ की गई छापामारी में 1.84 करोड़ रुपये नकद और बैंक खातों में जब्त 90.79 लाख रुपये की राशि बरामद की थी।

    ईडी ने बाद में अपनी जांच में पाया कि सितंबर 2019 से नवंबर 2021 तक, राजेंद्र प्रसाद ने अपराध की आय का इस्तेमाल अपने बेटे डॉ. अशोक कुमार और आरपी कालेज के नाम पर पांच संपत्तियों को नकद में हासिल करने के लिए किया, जिसका प्रतिनिधित्व उनके भाई अवधेश प्रसाद करते हैं।

    आर पी कॉलेज के नाम पर हासिल की गई संपत्तियों को परिवार के स्वामित्व वाली प्यारी देवी मेमोरियल वेलफेयर ट्रस्ट को पट्टे पर हस्तांतरित किया गया। ईडी ने दावा किया कि प्रसाद ने अपराध से प्राप्त आय को ट्रस्ट की आय के रूप में दिखाने के लिए ट्रस्ट के बैंक खाते में नकदी के रूप में जमा किया।

    जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि प्रसाद द्वारा परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट का उपयोग करके अपराध की आय से अर्जित संपत्तियों को बेदाग संपत्तियों के रूप में पेश करने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को शामिल करते हुए एक सुनियोजित साजिश रची थी। इस मामले की जांच आगे भी जारी रहेगी।

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