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    ईडी ने उदाहरण के साथ सामने रखा टेंडर का खेल, रिशु श्री और संजीव हंस को कितना मिला? ये भी हुआ साफ

    विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने टेंडर मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच के दौरान पता चला है कि रिशु श्री ने जल संसाधन विभाग नगर विकास एवं आवास विभाग और भवन निर्माण जैसे कई विभागों के टेंडर को अधिकारियों को कमीशन पहुंचाकर मैनेज किया था। संजीव हंस में इसमें थे।

    By Rajat Kumar Edited By: Akshay Pandey Updated: Sat, 03 May 2025 10:59 PM (IST)
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    रिशु श्री ने 125 करोड़ का टेंडर किया था मैनेज।

    राज्य ब्यूरो, पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट के अनुसार, रिशु श्री ने जल संसाधन विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग और भवन निर्माण जैसे कई विभागों के टेंडर को अधिकारियों को कमीशन पहुंचाकर मैनेज किया था।

    संजीव हंस को 67 लाख नकद

    इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने इन दावों की जांच शुरू कर दी है। ईडी की रिपोर्ट में बाकायदा उदाहरण के साथ टेंडर के खेल का पर्दाफाश किया गया है। इसमें जल संसाधन विभाग के एक टेंडर को मैनेज करने के लिए तत्कालीन सचिव संजीव हंस को 67 लाख नकद रिश्वत पहुंचाने की जानकारी भी दी गई है।

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    125 करोड़ की अनुमानित लागत से निविदा

    ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, जल संसाधन विभाग ने सुपौल के बीरपुर में भौतिक माडलिंग केंद्र स्थापित करने के लिए 125 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निविदा जारी की थी। रिशु श्री ने जल संसाधन विभाग में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए यह टेंडर अहमदाबाद स्थित मेसर्स शेवरोक्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिलवा दिया।

    संतोष कुमार द्वारा नियंत्रित है फर्म

    फिर बाद में इस काम का उप-ठेका मेसर्स मातृस्व कंस्ट्रक्शन को दिलवा दिया। यह रिशु श्री के करीबी सहयोगी और कर्मचारी संतोष कुमार द्वारा नियंत्रित एक फर्म था। जांच रिपोर्ट के अनुसार, रिशु श्री ने संतोष कुमार के माध्यम से शुरुआती फंडिंग के रूप में इसमें लगभग चार करोड़ रुपये का निवेश भी किया था।  

    एस सर यानी संजीव हंस 

    जांच के दौरान ईडी ने पिछले साल 16 जुलाई को पटना के शांति कुंज, एसके विहार में उप-ठेकेदार मेसर्स मातृस्व इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय परिसर में तलाशी अभियान चलाया। इसमें पवन कुमार की पहचान कंपनी के निदेशक के रूप में हुई। उसके पास रिश्वत के नाम पर लेनदेन का विवरण भी मिला। जब पवन कुमार से शीट में 'एस सर' के रूप में 67 लाख रुपये दर्ज किए जाने के बारे पूछा गया तो उसने बताया कि 'एस सर' तत्कालीन जल संसाधन सचिव संजीव हंस हैं और उन्हें कमीशन (रिश्वत) के रूप में इस राशि का नकद भुगतान किया गया था। संजीव हंस के अलावा पवन कुमार ने जल संसाधन विभाग के विभिन्न अधिकारियों का भी नाम लिया है, जिनके खिलाफ रिश्वत के रूप में भुगतान ईडी के द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों में दर्ज पाया गया है। 

    विभागीय ठेकेदारों से 50 लाख का कमीशन भी लिया 

    जांच के दौरान ईडी ने पाया कि 24 जुलाई, 2020 को एचडीएफसी बैंक में मेसर्स मातृस्व इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के खाते से कमलकांत गुप्ता नामक व्यक्ति के खाते में 50 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए। निदेशक पवन कुमार ने ईडी अधिकारियों को दिए अपने बयान में खुलासा किया कि कमलकांत को 50 लाख रुपये की यह राशि कुछ और नहीं बल्कि संजीव हंस का जल संसाधन विभाग के ठेकेदारों से लिया गया कमीशन है। यह भी जानकारी मिली कि पवन कुमार ईंधन व्यय के रूप में बढ़ी हुई राशि दिखाता था ताकि इस नकदी का उपयोग विभिन्न सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत देने में किया जा सके।